मणि रत्नम इन दिनों फिर चर्चा में है। इस बार नेटफ़्लिक्स पर उनकी वेब सीरीज़ ‘नवरस’ प्रसारित हुई है, जो भारतीय शास्त्रों के अनुसार नवरस के सिद्धांत का विश्लेषण करती है। लेकिन ये विवादों में घिरी हुई है, और इसके पीछे कट्टरपंथी इस्लामवादी संगठन रज़ा अकादेमी ने नेटफ़्लिक्स पर प्रतिबंध लगाने तक की बात कही है। इससे पहले भी मणि रत्नम का कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहा है, और एक बार तो उनके जान पर भी बन आई थी।
परंतु ये ‘नवरस’ का विवाद क्या है, जिसके पीछे कट्टरपंथी मुसलमान इतना पगलाये हुए हैं? दरअसल, नेटफ़्लिक्स पर प्रसारित हुई ‘नवरस’ मूल रूप से एक 9 एपिसोड की वेब सीरीज़ है, जिसे मूल रूप से तमिल भाषा में निर्मित किया गया है। हर एपिसोड को देश के कुछ जाने माने निर्देशकों ने निर्देशित किया है, जैसे बिजॉय नाम्बियार, गौतम वासुदेव मेनन, प्रियदर्शन इत्यादि। यह भारतीय शस्त्रों के अनुसार ‘नवरस’ के सिद्धांत का आधुनिक रूपांतरण है।
तो इसमें गलत क्या है? दरअसल, एक तमिल समाचार पत्र में ‘नवरस’ के प्रचार हेतु एक पोस्टर दिया गया, जिसमें कट्टरपंथी मुसलमानों को लगता है कि उनके कुरान की आयतों का दुरुपयोग हुआ है। भारतीय सुन्नी मुसलमानों के लिए एक संगठन रज़ा अकादमी ने नेटफ्लिक्स पर एक तमिल समाचार पत्र Dailythanthi पर नवरसा को प्रचारित करने के लिए एक विज्ञापन में कुरान से एक कविता का उपयोग कर प्रकाशित करने का आरोप लगाया है। इसी के साथ साथ इस संबंध में #BanNetflix भी कुछ दिनों से ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था।
ज्ञात हो कि, रज़ा अकादमी पूर्व में अपने आचरण को लेकर कई बार चर्चाओं में रहा है, वो बात अलग है कि वो तमाम चर्चाएँ रज़ा अकादमी के नकारात्मक चरित्र को दर्शाती है। इस संगठन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युएल मैक्रों के खिलाफ फतवा जारी किया था। रजा अकादमी ने ही धमकी दी थी कि अगर ‘मोहम्मद: द मैसेंजर ऑफ गॉड’ को बैन नहीं किया गया तो कानून-व्यवस्था खराब हो सकती है।
लेकिन ये मणि रत्नम के लिए कोई नहीं बात नहीं है। यूं तो वे विचारधारा से वामपंथी हैं, और वे उन लोगों में भी शामिल रहे हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए कहा था कि ‘जय श्री राम’ का नारा एक भड़काऊ युद्धघोष है। हालांकि, आजकल के नकली वामपंथियों की तरह वे कट्टरपंथी मुसलमानों से भिड़ने से पहले दस बार नहीं सोचते। इसके पीछे तो एक बार उनकी जान पर भी बन आई थी।
‘बॉम्बे’ फिल्म याद है? हाँ वही ‘बॉम्बे’, जिसके गीत जैसे ‘कहना ही क्या’, ‘हम्मा हम्मा’, ‘तू ही रे’ आज भी लोगों के म्यूज़िक कलेक्शन में शामिल रहते हैं? 1995 में प्रदर्शित इस फिल्म के पीछे मणि रत्नम की हत्या करने का प्रयास किया गया था, और उनपर उनके आवास पे बम से हमला भी किया गया था।
इसका कारण? दरअसल बॉम्बे में मणि रत्नम ने धारणा के विपरीत जाकर एक हिन्दू पत्रकार और एक मुस्लिम कन्या के बीच प्रेम कथा को दिखाने का साहस किया था। ये फिल्म 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के पश्चात मुंबई में हुए दंगों को केंद्र में रखते हुए बनाई गई थी, और इसमें उलटे मणि रत्नम ने ऐसा कुछ भी नहीं डाला, जिससे कट्टरपंथी मुसलमान भड़क जाए। लेकिन एक हिन्दू लड़के और एक मुस्लिम लड़की में प्रेम कथा के बारे में ही सोचकर वे मणि रत्नम की हत्या करने पर उतारू हो गए। कुछ ऐसे ही हिंसक प्रदर्शन का सामना निर्देशक अनिल शर्मा को भी करना पड़ा, जब उन्होंने एक सिख युवक और एक मुस्लिम युवती की प्रेम कथा को ‘गदर – एक प्रेम कथा’ में चित्रित किया। हालांकि, वे अलग ही मिट्टी के बने थे, जिसका परिणाम आज सबके सामने है।
इससे पहले भी 1992 में मणि रत्नम ने ‘रोजा’ फिल्म बनाई, जहां उन्होंने कश्मीर में फैल रहे उग्रवाद पर ध्यान केंद्रित किया। ये वो समय था जब बड़े बड़े बुद्धिजीवी इस बारे में चर्चा करने से भी बच रहे थे, परंतु मणि रत्नम ने बिना लाग लपेट के दिखाया। तभी से वे कट्टरपंथी मुसलमानों के ‘हिटलिस्ट’ पर रहे हैं, और ‘नवरस’ से एक बार फिर उन्होंने जाने अनजाने में कट्टरपंथी मुसलमानों को बुरी तरह भड़का दिया है।