पेगासस के मुद्दे पर देश की संसद में विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा अराजकता मचाई जा रही है। ऐसे में अब ये मामला देश की सर्वोच्च अदालत में भी पहुंच गया है। पेगासस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में 9 याचिकाएं लगाई गई हैं, जिसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट मामले को तो गंभीर बताया है, साथ ही पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के विरुद्ध याचिका लगाने वाले वकील को फटकार भी लगाई है कि वो किसी भी तरह का राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश न करें। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि सभी को पता था कि उनके फोन के साथ छेड़छाड़ हुई है, तो उन्हें आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराना चाहिए था, ये लोग अभी तक किस बात का इंतजार कर रहे थे। चीफ जस्टिस का ये सवाल दर्शाता है कि इस मुद्दे पर राजनीति करने वालों की मंशाओं पर कोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
पेगासस मामले में दाखिल 9 याचिकाओं के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई शुरू कर दी है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की पहली फटकार वकील एम एल शर्मा को झेलनी पड़ी। चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने स्पष्ट तौर एम एल शर्मा की याचिका को लेकर कहा कि आपने याचिका अखबारों की कटिंग के आधार पर दायर की है, इसके दायर करने का मतलब ही क्या है। चीफ जस्टिस ने पीएम मोदी गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ दायर इस याचिका के संबंध में कहा कि आप किसी भी तरह लाभ लेने की कोशिश न करें। चीफ जस्टिस का ये बयान स्पष्ट तौर पर इस मुद्दे पर राजनीति करने वालों को झटका था।
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इसके साथ कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल को भी सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि पेगासस सॉफ्टवेयर व्यक्ति की प्राइवेसी पर हमला है और संविधान के नियमों के खिलाफ है। सिर्फ एक फोन के दम पर कोई भी सरकार और व्यक्ति हमारी ज़िंदगी में घुस सकता है, सबकुछ देख-सुन सकता है। उन्होंने इस मामले को लेकर अनेकों सवाल खड़े किए हैं, लेकिन इन संवेदनशील आरोपों को लेकर चीफ जस्टिस ने कहा कि अभी तक इस मामले में कोई FIR क्यों नहीं दर्ज की गई?
सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल को ही झटका देते हुए कहा कि ये मामला दो वर्ष पहले भी आया था। एक अंतरराष्ट्रीय और गंभीर मुद्दा है। ऐसे में आवश्यक था कि याचिका में ठोस तरीके से तथ्यों को शामिल किया जाए। चीफ जस्टिस ने सवाल किया कि अभी तक किसी ने भी इस मामले में आपराधिक शिकायत क्यों नहीं की, ये आईटी एक्ट के तहत की जा सकती थी, और न ही कोई FIR दर्ज की गई है। स्पष्ट है कि इस मामले में कोर्ट विपक्ष की और याचिकाकर्ताओं की नीतियों पर भी सवाल खड़े किए हैं, क्योंकि चीफ जस्टिस ने कहा कि सारी रिपोर्ट्स दो साल पुरानी हैं, और आप इतने संवेदनशील थे, तो दो वर्ष बाद ही क्यों आए हैं।
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विपक्ष इस पेगासस के मुद्दे पर सड़क से संसद तक अराजकता मचा रहा है, जबकि सरकार की बात सुनना विपक्ष की नीयत ही नहीं है। ऐसे में एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में ये मामला पहले दिन विपक्ष के लिए कुछ गंभीर सवाल लेकर आया है क्योंकि न पुराने मामले में केवल प्रत्येक मुद्दे पर अराजकता हो रही है, किसी ने भी अभी तक इस मामले में कानूनी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया है। ऐसे में सर्वोच्च अदालत ने भले ही सरकार को पेगासस मामले में विशेष ध्यान देने और मामले में जांच के संकेत दिए हों, किन्तु विपक्ष के बड़ा सवाल यही रहेगा कि इन लोगों ने इस मामले में पहले कोई एफआईआर क्यों नहीं की, जो इनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है।