पंजशीर घाटी बन सकती है तालिबानियों की कब्रगाह, कांपते पैरों से घाटी की ओर बढ़ रहे हैं आतंकी

पंजशीर के ‘शेरों’ ने कहा- हम तैयार हैं!

पंजशीर विद्रोही गुट

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान द्वारा कब्जे के बाद अब वहां स्थिति गृह युद्ध की बन रही है। तालिबान के लिए अभी भी रास्ते आसान नहीं हैं। बहुत से प्रान्तों में विद्रोह शुरू हो गया है और पंजशीर में भी विद्रोही गुट तैयार है। अपनी सरकार बनाने की तैयारी कर रहे तालिबानी लड़ाकों को पंजशीर के लड़ाकों से तगड़ी टक्कर मिल रही है। खबर तो यह भी है कि पंजशीर के साथ साथ अब बागलान प्रांत में भी तालिबान को बड़ा झटका लगा है। खबर के अनुसार बागलान में विद्रोही गुटों ने करीब 300 तालिबानी आतंकियों को मार दिया गया है और कुछ को जिंदा पकड़ लिया गया है। तालिबानी आतंकी पंजशीर की तरफ भले ही बढ़ रहे हैं लेकिन कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने इसे तालिबान का आत्मघाती कदम बताया है।

300 से अधिक आतंकी ढेर

दरअसल BBC की पत्रकार यालदा हकीम ने ट्वीट कर बताया है कि बागलान में वहां के विद्रोहियों द्वारा तालिबानियों पर ये हमला किया गया है। ये खबर तब आ रही है जब पंजशीर में हजारों लड़ाकों को युद्ध के लिए तैयार किया जा रहा है और कई विद्रोही गुट एक साथ हो रहे हैं। सालेह और अहमद मसूद की नॉर्दन एलायंस ने बागलान प्रांत को तालिबानी कब्जे से आजाद करा दिया है।

वहीं अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति ने बताया है कि तालिबान लड़ाके पंजशीर के प्रवेश द्वार पर बड़ी संख्या में एकत्र हुए हैं, जहां कई विरोधी गुट तालिबानियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पंजशीर की तरफ जाने वाले सलांग हाइवे को बंद कर दिया गया है।

सोमवार सुबह एक ट्वीट में, सालेह ने कहा, “पड़ोसी अंदराब प्रांत में मुंह की खाने के बाद तालिबान ने अपने लड़ाके पंजशीर घाटी के प्रवेश द्वार के पास इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। इस बीच सालांग हाइवे को हमारे लड़ाकों ने बंद कर दिया है।”

नागरिक भी उतर रहे हैं तालिबान के खिलाफ

कई अफगान नागरिकों को तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सड़कों पर उतरते देखा गया। नागरिक नॉर्थरन अलायन्स और आतंकवादी समूह को चुनौती देने वाले पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के समर्थन में आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार अंदराब में भारी लड़ाई में लगभग 300 तालिबानी मारे गए थे।

अफ़ग़ानिस्तान में अब अलग-अलग छोर से विद्रोह शुरू हो गया है। एक तरफ बागलान में विद्रोह हो रहा है तो दूसरी ओर, तालिबान के लिए “वाटरलू” समान पंजशीर में विद्रोही नेताओं ने हाथ मिला लिया जिसका परिणाम यह हुआ कि अब विद्रोही गुट तालिबान के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करते हुए कई जिलों पर वापस अधिकार जमा लिया है। पंजशीर में देश के पक्ष वाले अफगानी फौजियों और तालिबान विद्रोहियों को इकट्ठा किया गया है। रेजिस्टेंस फ्रंट या नॉर्थरन अलायन्स के प्रवक्ता अली मैसम नजारी ने न्यूज एजेंसी AFP को बताया कि तालिबानियों के खिलाफ करीब 9 हजार लड़ाकों की फौज तैयार कर ली गई है। इन फौजों को लगातार ट्रेनिंग दी जा रही है। इनके पास गाड़ियां और हथियार भी हैं।”

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तालिबान भी पंजशीर में संभावित नुकसान को जानता है और वह भी पंजशीर मामले को जल्दी हल करने के पक्ष में हैं क्योंकि अगर पंजशीर के लड़ाकों को शांत नहीं किया गया तो तालिबान को सरकार चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी खबर आ रही है कि तालिबान, विद्रोही गुटों को साथ में आने का न्यौता दे रहा है। वह विद्रोही गुटों के साथ सुलह करना चाहता है।

सूत्रों के मुताबिक, तालिबान के वार्ताकार, अहमद शाह मसूद में बेटे अहमद मसूद से लगातार सरकार में शामिल होने के लिए बातचीत कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है। रेजिस्टेंस फ्रंट के नजारी ने यह भी साफ कर दिया है कि पंजशीर सरकार चलाने के लिए नई व्यवस्था चाहता है और इसके लिए वो बातचीत को भी तैयार हैं, पर जरूरत पड़ी तो वे जंग करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

तालिबान और पंजशीर, इन दोनों की लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है। हालांकि रूस बीच में वार्ता के लिए अगुवाई कर सकता है। खबर के मुताबिक, काबुल में रूसी राजदूत, दिमित्री झिरनोव का कहना है कि, “तालिबान ने उनके दूतावास से उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में विद्रोही गुटों को संवाद के लिए सन्देश देना चाहता है। तालिबान पंजशीर की स्थिति को देखते हुए राजनीतिक समझौते पर पहुंचने के लिए तैयार है।”

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पंजशीर तालिबान के लिए साबित होगा ‘वाटरलू’

जिस तरह से नेपोलियन बोनापार्ट युद्ध जीत रहा था, तथा उसकी सेना द्वारा जीत की चर्चाएं होने लगी थी लेकिन बाद में विरोधियों के गुट ने वाटरलू में उसको भी हरा दिया था। उसी तरह इस समय तालिबान के लिए भी पंजशीर वाटरलू से कम नहीं है। अमरुल्लाह सालेह के उत्तरी गठबंधन ने शुक्रवार को ही तालिबान लड़ाकों से 3 जिले छीनने का ऐलान किया था। इन जिलों में तालिबानी झंडा हटाकर अफगानिस्तान का राष्ट्रीय झंडा फहरा दिया गया था। नॉर्थरन अलायंस के पास सोवियत संघ के समय की हेलीकॉप्टर और अन्य सैन्य संसाधन मौजूद है।

अमरुल्लाह सालेह विद्रोही गुट के सबसे बड़े चेहरे हैं। TFI ने पहले भी बताया है की, राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह छोटे-छोटे कबीलों को लेकर तालिबान के खिलाफ लड़ाई की तैयारी कर रहे है। अमरुल्लाह सालेह भी इस सुगर कोटिंग के झांसे में नही आने वाले है। इन सारे बातों से एक चीज तो साफ है। तालिबान नॉर्थरन अलायन्स से डरता है। विद्रोही गुट पीछे नहीं हटेंगे। अमरुल्लाह सालेह देश के कार्यवाहक नहीं, असल राष्ट्रपति है। ऐसा लगता है कि पंजशीर ही तालिबान के लिए वाटरलू साबित होगा।

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