चीनी Apps को ध्वस्त करने के बाद PM Modi ने शुरू किया चाइनिज फोन के खिलाफ स्वच्छता अभियान

चाइनिज फोन

भारत द्वारा किये जा रहे इस डिजिटल स्ट्राइक की जितनी तारीफ की जाए वो कम है! इस डिजिटल स्ट्राइक के लिए तो चीन भी तैयार नहीं था। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि बदला ऐसे भी लिया जा सकता है। हो हल्ला करनें वाले बड़े बड़े धुरंधर चुप्पी साध लिए है। भारत एक ओर चीन के साथ अपने समझौतों पर नियंत्रण रेखा से आगे नहीं बढ़ने दे रहा है और दूसरी ओर, चीन को आर्थिक रूप से कमजोर कर रहा है। इतना कमजोर करने की तैयारी है कि आर्थिक आतंकवाद को चीन अब कभी भी नहीं फैला सकता है। भारत और चीन के बीच में भी लगभग हर साल 100 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार होता है। चीन भारत में सबसे ज्यादा बड़े स्तर पर पैसा मोबाइल फोन नेटवर्क से कमाता है। भारत में अगर चाइनिज फोन कम्पनियों के मार्किट शेयर को देखा जाए तो 2021 के दूसरे तिमाही में शाओमी (Xiaomi) 28%, वीवो 15%, रियलमी 15%, ओप्पो 10 प्रतिशत यानी भारतीय फोन मार्किट में चाइनिज कम्पनियों का शेयर कुल मिलाकर 68% के करीब है और वनप्लस जैसे ब्रांड को मिला दिया जाए तो ये आंकड़ा 75% से ज्यादा है।

वनप्लस प्रीमियम फोन रेंज (₹30000) में 34% हिस्सेदारी रखता है। रियलमी 5 करोड़ फोन बेच चुका है। भारत के लोगों द्वारा वित्त वर्ष 2018 में चाइनिज फोन को खरीदने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं! चीन भारत से ही पैसा कमाकर भारतीय सेना के जवानों से लड़ता है। चीन की मजबूरी और मजबूती को जानते हुए भी कभी भी पूर्व सरकारों द्वारा सीधे सीधे हमला नहीं किया गया है। चीन से एक तरफ हमारी सेना निपट रही है तो दूसरी ओर यह जरूरी है कि उसके ऊपर आर्थिक प्रहार किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डोकलाम और  पेंगोंग त्सो विवाद के बाद एक तय तरीके से आर्थिक मोर्चे पर लड़ाई को शुरू किया था। उस समय सरकार के आदेश से 100 से ज्यादा चाइनिज एप्पलीकेशन जिसमें टिकटोक और पब्जी भी शामिल था, उसे बैन किया गया था। इस बैन के बाद से चाइनिज फोन कम्पनियों को लगभग 10 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ।

देश में उस वक़्त एन्टी चाइना भावनाएं एकदम चरम पर थीं लेकिन इन सबके बावजूद भारत में चाइनिज फोन की बिक्री में कमी नहीं आ पा रही थी। कारण यह हो सकता है कि चीन के फोन भारत जैसे मध्यम आकार के आय वाले देश में सस्ते दामों पर मिल जाते थे। शाओमी (Xiaomi) का फोन जिसमें 4 जीबी रैम और 64 जीबी ROM होता है वो लोगों को 10 से 12 हजार में मिल जाता है। कोई भी गैर चाइनिज फोन कम्पनी जैसे SAMSUNG जो मोबाइल फोन को 15 से 17 हजार रुपये में उपलब्ध कराती थी तब जनता अपना हित देखते हुए और मजबूरी में चीन का फोन लेने के लिए विवश हुआ करती थी।

सरकार ने इस मोर्चे पर भी क्रमबद्ध तरीके से लगाम लगाना शुरू कर दिया था। सरकार द्वारा 2020 में फोन को जीएसटी स्लैब 12 से 18% में रखा गया। इसके नतीजतन चाइनिज फोन कम्पनियों के फोन की कीमत में एक हजार से दो हजार तक का अंतर आ गया। ओप्पो A11K की कीमत में 500 की बढ़ोतरी हुई, शाओमी (Xiaomi) नोट 9 प्रो की कीमत में 2000 की बढ़ोतरी हो गई, रियलमी के टीवी वगैरह 2000 रुपये महंगे हो गए।

भारत में फिर चुपचाप फोन के पार्ट्स की कीमत बढ़ाई गई। इस पर ज्यादा विवाद नहीं हुआ, लेकिन यह तरीका इतना कारगर साबित हो गया कि अभी हाल ही में रियलमी 8 (4+128) को 14,499 रुपये पर लॉन्च किया गया, लेकिन इस मोबाइल की कीमत 500, 500 टुकड़ो में बढ़ाकर 15,999 रुपये करना पड़ गया। कंपनी के अधिकारियों द्वारा यह बात कही गई कि देश में और विश्व भर में फोन के सामग्री की कीमत बढ़ गई है और उनकी किल्लत चल रही है। Xiaomi ने कहा कि वह ‘चिपसेट, बैटरी, मेमोरी चिप्स आदि जैसे घटकों की कीमतों में वृद्धि और लागत में वृद्धि के कारण कंपनी ने अपने उपकरणों के अंतिम बिक्री मूल्य में भी वृद्धि की है।‘

इन सबके बीच नोएडा में फैक्ट्री लगा चुकी सैमसंग ने अपने फोन की कीमत को बढ़ाया नहीं, बल्कि कम किया है। चाइनिज मोबाइल निर्माता महंगे पार्ट्स की वजह से 5G टेक्नोलॉजी के फोन कम पैसे में नहीं बन पा रहे हैं, एसे में सैमसंग की रणनीति को समझना जरूरी है। सैमसंग भारत में M नामक सीरीज बनाती है। यह नोएडा के प्लांट में बनता है। आज अमेजन पर रियलमी के फोन (6+128) ₹17,000 में मिलेंगे पर सैमसंग जैसी विश्वसनीय कम्पनी वही चीज M31 (6+128), ₹ 15, 499 में उपलब्ध करा रही है। जल्द ही 5G फोन ( SAMSUNG M32 5G) आज ही 18, 499 में मिलना शुरू हो जाएगा। हालांकि, सैमसंग भी बाहरी कम्पनी है लेकिन दक्षिण कोरिया भारत से युद्ध करने नहीं आता है, बल्कि वह अयोध्या में माता सीता के नामपर पार्क बनाने जा रहा है। ऐसे में भारत को अपने हित अब तय करनें होंगे।

टाटा ने हाल ही में सेमीकंडक्टर मार्किट में कदम रखा है। देश के भीतर फोन बनाने वाली कम्पनियों को इसका सीधे सीधे लाभ मिलेगा। ₹10,000 के नीचे का मार्किट अभी भी सैमसंग टारगेट नहीं कर रही है लेकिन 10 सितंबर से वह भी तैयार हो जाएगा। अब आप सोच रहे होंगे कि 10 सितंबर को ऐसा क्या है। दस सितंबर को जिओ 4G और 5G फोन मार्किट में आ जाएंगे। मुकेश अम्बानी ने पहले ही JioNext फोन को दुनिया का सबसे सस्ता 4G बनाने का लक्ष्य रखा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह फोन ₹5000 से ₹7000 तक होगा।

इस क्रमबद्ध तरीके से चाइनिज फोन कम्पनियों को अप्रत्यक्ष रूप से देश के बाहर का रास्ता दिखाकर प्रधानमंत्री ने चीन के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है। भारत का बाजार 140 करोड़ लोगों का है। इसी के दम पर विश्व के मार्किट शेयर में चीनी कम्पनियां दम भरती थीं, लेकिन जब चीन ने भारत से कमाई कर भारत के जवानों पर हमला किया तो देश ने चीन के हकीकत को समझा। खैर कहा जाता है कि दो पैसे की प्याली गई तो गई, कुत्ते की जात तो मालूम हो गई! चीन के संबंध में भी कुछ ऐसा ही है।

लोवर श्रेणी में Jio Next, मध्य में Samsung (जबतक कोई भारतीय कम्पनी उतना नाम ना कमा ले) और उच्च श्रेणी में Apple और गूगल पिक्सल का बाजार बनाकर चीन के रेवेन्यू को खत्म किया जा सकता है। अब इससे चीन क्या खोएगा? यह इससे समझिये कि भारत में अभी 75 करोड़ लोगों के पास फोन है। 2023 में यह आंकड़ा 97 करोड़ पहुंचने की उम्मीद है, फिर भी देश की समस्त जनता फोन का इस्तेमाल नहीं कर पाएगी। यहां 22 करोड़ फोन का मतलब है 2.20 लाख करोड़ का व्यापार (अगर फोन की औसत कीमत ₹10000)। अगर कोई कम्पनी 10% शुद्ध मुनाफा रखे तो ₹22,000 करोड़ की शुद्ध कमाई कर सकती है पर जब कम्पनियों के मार्किट शेयर ही कम होंगे तो मार्किट कैपिटल भी कम होगा।

कुल मिलाकर कहें तो भारत सरकार चीन के मोबाइल्स को और बढ़ने नहीं दे सकती बल्कि भारतीय बाजार में उसकी पकड़ को ही कमजोर करने में जुटी है।

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