‘बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है हर शाख पे उल्लू बैठें हैं अंजाम ऐ गुलिस्तां क्या होगा। आज कांग्रेस इसी मंत्र को आगे लेकर बढ़ रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPI(M) के नेता और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने राहुल गांधी से मुलाकात की है, जिससे उनके कांग्रेस में आने की अटकलें तेज हो गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कन्हैया राहुल से दो बार मिल चुके हैं जिसमें मध्यस्थ के तौर पर कथित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी मौजूद रहे। कांग्रेस को इस वक्त संजीवनी की आवश्यकता है और ऐसा लगता है कि उसकी तलाश कन्हैया कुमार पर आकर खत्म हुई है। हालांकि, कन्हैया कुमार कांग्रेस को पुनर्जीवित तो नहीं, लेकिन कांग्रेस को गर्त में ले जाने का इंतजाम अवश्य कर देंगे।
दरअसल, राहुल गांधी और प्रशांत किशोर से मुलाक़ात के बाद कई विशेषज्ञ यह कयास लगा रहे हैं कि कन्हैया कुमार कांग्रेस में भी शामिल हो सकते हैं। अमर उजाला की मानें तो प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी को राय दी है कि पुराने नेताओं का असर अब कांग्रेस पार्टी में समाप्त हो गया है इसलिए अब युवाओं को मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसकी भरपाई कन्हैया की एंट्री से की जा सकती है। प्रशांत किशोर का मानना है कि कन्हैया जिस प्रकार से भाषण देते हैं उससे वह वोटरों को अधिक लुभा सकते हैं।
यह किसी से छुपा नहीं है कि कन्हैया कुमार का कम्युनिस्ट पार्टी से पहले ही मोहभंग हो गया था। पिछले साल से चली आ रही असहमतियों पर पूर्ण विराम लगाने के कोई प्रयास न कन्हैया कुमार ने किया और न ही सीपीआई ने। आज सीपीआई कहाँ है यह सब जानते हैं, कन्हैया कुमार को अपने दल में सीपीआई ने इसलिए शामिल किया था ताकि वो दल सक्रिय राजनीति में पुनः वापसी कर सके परंतु कन्हैया द्वारा JNU में किए गए कांड के कारण यह मुमकिन न हो सका। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने ऐसी पठखनी दी जिससे आज तक वह उबर नहीं पाये हैं।
और पढ़ें- कन्हैया कुमार को अपने गांव के लोगों से ही नहीं मिला समर्थन
वहीं उनकी वर्तमान पार्टी उनसे इस वर्ष की शुरुआत से ही नाराज़ चल रही है जिसकी वजह इस बीते वर्ष 1 दिसंबर 2020 को पटना में पार्टी ऑफिस में उनकी कार्यालय सचिव इंदु भूषण के साथ मारपीट थी। इसी के परिणामस्वरूप इस वर्ष जनवरी में हैदराबाद में हुई पार्टी की बैठक में कन्हैया कुमार के विरुद्ध अनुशासनहीनता के लिए निंदा प्रस्ताव पारित भी किया गया था। अब ऐसा लगता है कि वह कांग्रेस में ही प्रस्थान करेंगे।
हालांकि, कांग्रेस ज्वाइन करने वाली अटकलों को कन्हैया कुमार ख़ारिज कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह की परिस्थिति दिखाई दे रही है और प्रशांत किशोर सक्रिय दिख रहे हैं उससे कुछ और ही परिणाम देखेने को मिल सकता है।
जहाँ एक ओर सीपीआई जैसा विलुप्त दल सूझबूझ का परिचय देते हुए कन्हैया कुमार को गायब करने की परोक्ष रूप से इतनी कोशिशें कर रहा है, वहीं कांग्रेस जैसा देश का सबसे पुराना दल कन्हैया कुमार के लिए रेड कार्पेट बिछाने की तैयारी में जुटा हुआ है। ये सभी करतब किसे कहाँ ले जाते हैं वो तो आने वाला वक्त बता ही देगा, परंतु कन्हैया कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखें तो उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस में उनके शामिल होने से पार्टी और गर्त में जाएगी।