राकेश टिकैत और हार्दिक पटेल में क्या समानता है? दोनों के दोनों राष्ट्रद्रोही हैं, दोनों के दोनों को विपक्ष द्वारा मोदी सरकार को उनके सबसे चर्चित गढ़ से अपदस्थ करने के लिए तैयार किया गया था। लेकिन दोनों की हरकतें ऐसी निकली कि उन्होंने थाली में सजा के भाजपा को उनके प्रिय राज्य सौंपे। हार्दिक पटेल की गुंडई ने गुजरात को पुनः भाजपा की झोली में डाल दिया, और अब राकेश टिकैत के मुज़फ्फरनगर के सम्बोधन से इतना तो सुनिश्चित हो चुका है कि वे थाली में सजाकर उत्तर प्रदेश को योगी आदित्यनाथ के हाथों सौंपेंगे। असल में राकेश टिकैत ने अपने सम्बोधन उसी मुज़फ्फरनगर में ‘अल्लाह हु अकबर’ के नारे लगाए, जहां 8 वर्ष पहले सांप्रदायिक दंगों में कई हिंदुओं की हत्या हुई थी।
हाल ही में मुज़फ्फरनगर में ‘किसान महापंचायत’ आयोजित की गई। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आयोजित इस ‘महापंचायत’ का प्रमुख उद्देश्य था ‘कमजोर’ पड़ रहे किसान आंदोलन को धार देना और ‘किसान नेताओं’ का शक्ति प्रदर्शन। News 18 की रिपोर्ट के अनुसार ‘किसानों’ को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “इन लोगों [भाजपा] ने हमेशा लोगों को बांटने का काम किया है और दंगे भड़काने का काम किया है। हमें एकजुट होकर काम करना होगा। हम दंगे भड़काने वालों के हाथ में अपना उत्तर प्रदेश नहीं दे सकते।”
इसी के बाद राकेश टिकैत ने अपने समर्थकों से अल्लाह-हु-अकबर के नारे लगाने को कहा लेकिन, जैसे ही जनाब को अपने निर्णय की गंभीरता समझ में आई, उन्होंने तुरंत हर-हर महादेव के भी नारे लगवाए, ताकि बात न बिगड़ने पाए। इसके बाद राकेश टिकैत एक बार फिर कृषि कानून को हटवाने का घिसा पिटा राग अलापने लगे। उन्होंने कहा कि, “जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जाती, हम कहीं नहीं जाएंगे। हमें अपने उत्पादों पर एमएसपी की गारंटी चाहिए। जब तक हमारी मांगें नहीं पूरी हो जाती, हम देश भर में प्रदर्शन करेंगे।”
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असल में अपने इस सम्बोधन से राकेश टिकैत ने एक ही तीर से दो निशाने भेदने की कोशिश की हैं, परंतु अपने लिए नहीं, योगी सरकार के लिए। एक तो पहले ही ‘किसान आंदोलन’ के लिए जनसमर्थन लगभग खत्म हो चुका है, और दूसरा मुजफ्फरनगर में ‘अल्लाह-हु-अकबर’ के नारे लगवाकर राकेश टिकैत ने जाट समुदाय के आत्मसम्मान को चुनौती दी है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि टिकैत स्वयं एक जाट नेता हैं और इस तरह से ‘अल्लाह-हु-अकबर’ करना मुजफ्फरनगर के जाटों के घाव को कुरेदने का काम करेगा। वर्ष 2013 में जब एक लड़की से छेड़खानी का विरोध करने पर मुज़फ्फरनगर में दो हिंदुओं की निर्मम हत्या हुई थी, जिसके प्रतिरोध में भीषण दंगे भड़के थे, तब यही राकेश टिकैत कहीं दिखाई नहीं पड़ रहे थे।
जाट मुस्लिम एकता के नाम पर वे मुज़फ्फरनगर के दंगा पीड़ितों का उपहास उड़ा रहे हैं, और ये बात कई जाट इतनी सरलता से नहीं भूलने वाले, जितना राकेश टिकैत को प्रतीत हो रहा है। इस बात का सर्वाधिक लाभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही होगा, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी धाक जमाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने को तैयार है। इस बयान का उपयोग योगी आदित्यनाथ अपनी चुनावी सभाओं में भी करने वाले हैं।
इसके अलावा शायद राकेश टिकैत ये भूल गए हैं कि यह वही मुज़फ्फरनगर है, जहां अभी हाल ही में सम्पन्न ग्राम पंचायत एवं ब्लॉक परिषद चुनावों में उनकी पार्टी को किसी ने पानी तक नहीं पूछा था। जिस प्रकार से हार्दिक पटेल को उन्हीं के गृह नगर मेहसाना तक में लोगों ने उसकी ओछी राजनीति के पीछे नकार दिया था, ठीक उसी प्रकार राकेश टिकैत को उसकी घटिया सोच और उससे भी घटिया राजनीति के लिए ग्राम पंचायत चुनाव में जबरदस्त पटखनी मिली, जहां उनकी पार्टी के प्रत्याशी को भाजपा के मुकाबले मात्र 4 वोट मिले।
ऐसे में इतना तो स्पष्ट है कि अपने मुज़फ्फरनगर के सम्बोधन से राकेश टिकैत ने योगी आदित्यनाथ के लिए 2022 की राह और अधिक सरल बना दी है। जिस प्रकार से उन्होंने निस्संकोच ‘अल्लाह हु अकबर’ के नारे लगाए हैं, उससे न केवल उन्होंने लोगों के मन में से उसके लिए सहानुभूति की भावनाएँ हटवाने का प्रबंध किया है, अपितु आगामी विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ के लिए एक सशक्त अभियान की भी नींव रखी है। स्पष्ट शब्दों में, अपने ओछे बयान से राकेश टिकैत ने योगी आदित्यनाथ को थाली में सजाकर यूपी देने का प्रबंध किया है।