जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है। अब जब स्वयं का बंटाधार करने का ठेका कोई खुद ही ले लेता है तो उसकी अकल कहाँ चल पाती है, यही हाल आजकल राहुल गांधी का है जो खुद तो गर्त में जा ही रहे हैं, साथ में अपनी पार्टी की भी लुटिया डूबोने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लोकतंत्र में सत्ता का समर्थन और विरोध एक साथ चलता है, दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं। परन्तु कई बार विरोध करने के लिए अनावश्यक तौर पर विरोध में खड़े हो जाना बाल हठ और बेवकूफी के समान है। यही बेवकूफी आज राहुल गांधी कर रहे हैं पर उन्हीं की पार्टी से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह उनकी इस बेवकूफी को गलत बताते नहीं थक रहे हैं। बात जलियांवाला बाग के नवीनीकरण और पुनरुत्थान से जुड़ी हुई है जिसके विरुद्ध राहुल ने ट्वीट से लेकर क्या कुछ नहीं किया ताकि विरोध दर्ज करा सकें। वहीं अमरिंदर, मोदी सरकार के निर्णयों से सहमति जता रहे हैं, अब इससे कांग्रेस अधर में लटक चुकी है कि कौन सही – कौन गलत!
यूँ तो राहुल गांधी, पीएम मोदी के हर फैसले में त्रुटियां निकालने के लिए जाने जाते हैं पर इस बार उनका निशाना करोड़ों देशवासियों की भावनाओं से जुड़े जलियांवाला बाग से जुड़ाव रखता है। दरअसल, बीते 28 अगस्त को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम जनता को जलियांवाला बाग स्मारक के पुनर्निर्मित परिसर के उद्घाटन के बाद वहां आकर उसका साक्षी बनने के लिए आग्रह किया था। पीएम मोदी ने कहा था कि पुनर्निर्मित जलियांवाला बाग स्मारक “अप्रैल 1919 के भीषण नरसंहार को प्रदर्शित करेगा और शहीदों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा की भावना पैदा करेगा”। हालाँकि, राहुल गांधी समेत तथाकथित लिबरल ब्रिगेड ने इसे उस क्रूरता के “इतिहास को मिटाने” का प्रयास बता दिया और केंद्र सरकार की आलोचना करनी शुरू कर दी।
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राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि- “जलियाँवाला बाग के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। मैं एक शहीद का बेटा हूँ- शहीदों का अपमान किसी क़ीमत पर सहन नहीं करूँगा। हम इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं।” यह कोई नई बात नहीं है जब राहुल देश के लिए समर्पित स्थलों को या उसकी धरोहर को संजोए रखने के फैसले पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। लेकिन अब जब इन्होंने फिर से अपना दुखड़ा रोना शुरू कर ही दिया है तो प्रतिक्रिया, टिका-टिप्पणी ज़ोरों पर है। सत्ता पक्ष और उसके घटक दल राहुल को गलत कहें उससे पूर्व ही कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जलियाँवाला बाग में हुए नए परिवर्तन को बहुत अच्छा बताया है। उन्होंने कहा, “मैं नहीं जानता क्या हटाया गया है मेरे लिए जो भी हुआ है अच्छा दिख रहा है।”
जलियाँवाला बाग़ के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता।
मैं एक शहीद का बेटा हूँ- शहीदों का अपमान किसी क़ीमत पर सहन नहीं करूँगा।
हम इस अभद्र क्रूरता के ख़िलाफ़ हैं। pic.twitter.com/3tWgsqc7Lx
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 31, 2021
"I don't know what has been removed. To me it looks very nice," says Punjab CM Captain Amarinder Singh over the renovation of the Jallianwala Bagh pic.twitter.com/uM3aut0Opo
— ANI (@ANI) August 31, 2021
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सत्य तो यह है कि केंद्र सरकार ने वास्तव में कुछ इधर का उधर किया होता या तथ्यों में छेड़छाड़ की होती तो अमरिंदर इस कदम से लेश मात्र भी सहमत नहीं दिखते क्योंकि इस बाग में हुए नरसंहार से सबसे भयावह स्मृतियाँ पंजाब के रहवासियों की ही जुडी हुई हैं। अमरिंदर ने जिस प्रकार केंद्र के क्रियान्वन पर निस्संकोच सहमति व्यक्त की है वो सोच समझ कर ही की है। इस कदम से जलियांवाला बाग त्याग-तप और देशभक्ति में सराबोर बलिदान का प्रतिबिंब बनकर अवतरित हुआ है। तभी राज्य के प्रमुखतः सभी सिख समुदाय के रहवासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए अमरिंदर ने राहुल के बयान पर हामी नहीं भरी क्योंकि यहाँ मामला स्वतंत्रता के लिए दिए गए सर्वोच्च बलिदान की थी। ऐसे में यदि आजादी में शुन्य योगदान देने वाले नेताओं के बयान पर अमरिंदर सहमति व्यक्त कर देते तो उनके जीवन में यह सबसे बड़ा प्रश्न, दाग और कलंक लग जाता।
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राहुल गांधी के तथ्यहीन बयानों की भेंट न चढ़ते हुए अमरिंदर ने सही निर्णय लेते हुए वास्तविकता और सत्य का साथ दिया, जिससे अब राहुल के पेट में मरोड़े उठने प्रारंभ हो चुके होंगे। एक ओर कांग्रेस में सिद्धू-अमरिंदर की कलह की वजह से राज्य कांग्रेस इकाई में सिरफुटव्वल की स्थिति बनी हुई है। एक ओर कांग्रेस में सिद्धू अमरिंदर की कलह की वजह से सिरफुटव्वल मची है, अब जब सिद्धू को दरकिनार करते हुए राहुल और आलाकमान ने अमरिंदर का साथ दिया तो इस बयान के बाद स्थिति बदलती नजर आ रही है। ऐसे में राहुल गांधी का हाल न खुदा मिला न विसाल ए सनम जैसा हो गया है, एक ओर सिद्धू से ठन गई है और दूसरी ओर अमरिंदर की असहमतियाँ भी उबाल पर हैं। साथ ही राहुल को एक और आइना अवश्य दिख गया होगा।