आप हरिगढ़ को किसलिए जानते हैं? उसके तालों के लिए? उसके निश्छल सेवक कल्याण सिंह, जिन्होंने सनातन धर्म के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया? नहीं, हरिगढ़ को दो कारणों से भारत में जाना जाता है – हरिगढ़ पर विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा थोपे गए नाम अलीगढ़ के कारण, और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कारण, जो सदियों से भारत और भारत के संस्कृति के विरुद्ध विष उगलने वालों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देता रहा है, और भारत विरोधी तत्वों को पल्लवित पोषित करता रहा है। परंतु योगी आदित्यनाथ अब हरिगढ़ के माथे से इस कलंक को सदैव के लिए धोना चाहते हैं। हाल ही में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर राजा राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के आधारशिला की नींव रखी।
यह विश्वविद्यालय कोल तहसील में 92 एकड़ की आवंटित भूमि पर निर्मित होगा। स्मरण रहे कि राजा महेंद्र प्रताप एक वीर क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अफगानिस्तान में आज़ाद भारत की प्रथम सरकार प्रथम विश्व युद्ध के दौरान स्थापित की थी। उन्होंने अलीगढ़ विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए भी काफी सहायता की, लेकिन स्वतंत्र भारत में उनके योगदान को ऐसे भुलाया गया, जैसे चाय में से मक्खी को निकाल के फेंक दिया जाता है।
पिछले कई दशकों से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने किस प्रकार से अलीगढ़ और भारत की छवि वैश्विक स्तर पर बिगाड़ने का प्रयास किया है, ये किसी से भी नहीं छुपा है। विभाजन से लेकर CAA विरोधी प्रदर्शनों में इस विश्वविद्यालय ने सदैव भारत के विरुद्ध विष ही उगलवाया है। यदि प्रत्यक्ष रूप से इसने भारत का विरोध नहीं किया, तो शरजील इमाम जैसे भारत विरोधी देशद्रोहियों को मंच देने का कार्य तो अवश्य किया है।
परंतु अब ऐसा और नहीं चलेगा। जैसा कि अभी हाल ही में सामने आया है, अलीगढ़ का नाम पुनः हरिगढ़ करने पर उत्तर प्रदेश का प्रशासन विचाराधीन है। इसके अलावा केंद्र सरकार अलीगढ़ में रक्षा कॉरीडोर की स्थापना करने जा रही है। TFI पोस्ट के विश्लेषणात्मक लेख के अनुसार,
“खबरों के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने अलीगढ़ में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए 19 कंपनियों को 55 हेक्टेयर की जमीन आवंटित कर दी है जिसके जरिए यहां करीब 1,245 करोड़ रुपए का बड़ा निवेश आएगा। अलीगढ़ का ये आवंटन ड्रोन बनाने वाली कंपनी एलन एंड एलवन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को दिया गया है। अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक खैर तहसील में कंपनी को ये आवंटन करीब 30 वर्षों के लिए दिया गया है। वहीं संभावनाएं हैं कि जल्द ही अन्य कई रक्षा क्षेत्र की कंपनियां भी अलीगढ़ में निवेश की शुरुआत कर सकती हैं।”
इसके अलावा राजा महेंद्र प्रताप सिंह के स्मृति में विश्वविद्यालय की स्थापना करने का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। सामाजिक न्याय के पुरोधा और वीर क्रांतिकारी राजा महेंद्र प्रताप सिंह बड़ी जल्दी व्यक्तियों के चरित्र को पहचान जाते थे। इसलिए उन्होंने एक समय काँग्रेस और मोहनदास गांधी को मोहम्मद अली जिन्ना और उसके दोमुंहे स्वरूप के बारे भी अवगत कराने का प्रयास किया था। TFI पोस्ट के ही लेख के अनुसार, “महेंद्र प्रताप सिंह को देश का बंटवारा करवाने वाले मोहम्मद जिन्ना का विरोधी माना जाता था। उन्होंने 1930 में कांग्रेस नेता जवाहर लाल नेहरू को एक चिट्ठी लिखकर कहा था कि मोहम्मद अली जिन्ना एक जहरीला सांप है, उसे गले मत लगाइए। स्पष्ट है कि महेंद्र प्रताप एक दूरदर्शिता वाले व्यक्ति थे, एवं उन्होंने जिन्ना की बदनीयती को पहचान लिया था।”
ऐसे में कई सदियों से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने जिस प्रकार से हरिगढ़ की छवि नष्ट की थी, अब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश प्रशासन उस पर पूर्णविराम लगाने जा रहा है। सब कुछ सही रहे, तो अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ भी होगा, और AMU के अलगाववादी, इतिहास का भाग बनकर रह जाएंगे।