चीन कर रहा टेक सेक्टर पर Crackdown, अब 1000 दिन में $1 ट्रिलियन की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनेगा भारत

CCP अनियंत्रित इंटरनेट कंपनियों पर लगाम लगा रहा है, अब इसी का फायदा उठाएगा भारत!

1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल अर्थव्यवस्था योजना

चीनी सरकार तकनीकी कंपनियों पर गंभीर प्रतिबंध लगा रही है। चाहे वह डेटा सुरक्षा या विपणन प्रथा हो या फिर IPO फ्लोटिंग। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी समय-समय पर उद्यमियों को सबक सिखाने के लिए कई गंभीर कदमें उठाती है, ताकि उन्हें याद रहे कि मालिक कौन है? परंतु अब भारत सरकार ने इसी का फायदा उठाते हुए अगले कुछ वर्षों में भारत को 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखते हुए 1,000 दिनों का एजेंडा तैयार किया है।

दरअसल, एक तरफ दुनिया चीनी तकनीक उद्योग से बाहर निकल रही है, वहीं भारत, विदेशी निवेशकों के लिए रेड कार्पेट बिछाने के लिए तैयार है। क्या यह भारतीय स्टार्ट-अप और घरेलू निजी इक्विटी (पीई) फंडों के अनुकूल व्यापारिक वातावरण है? अगर भारतीय स्टार्ट-अप्स से पूछें तो उनका जवाब नैसर्गिक रूप से “हां” है।

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चीन के एक्शन से भारत को होगा फायदा

यूएस वेंचर इनवेस्टर “मार्च कैपिटल पार्टनर्स” के एमडी सुमंत मंडल ने कहा कि चीन के प्रौद्योगिकी उद्योग पर कार्रवाई का मतलब है कि उभरते बाजारों में निवेश चाहने वाले वैश्विक निवेशक भारत की ओर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। निवेशक अब “सरकारी जोखिम” पर अधिक ध्यान दे रहे हैं क्योंकि वे चीनी प्रौद्योगिकी कंपनियों का हाल देख चुके।

कैलिफोर्निया स्थित फर्म ‘’सांता मोनिका’’ के संस्थापक ने कहा की इंटरनेट और क्लाउड सॉफ्टवेयर जैसे क्षेत्रों में भारतीय स्टार्टअप बिना किसी जोखिम के मजबूत विकास संभावनाएं प्रदान करते हैं।

चीनी नियामक अनियंत्रित इंटरनेट कंपनियों पर लगाम लगा रहे हैं, जो गेमिंग से लेकर अर्थपूजा, आर्थिक साम्राज्यवाद से लेकर निःस्वार्थ साम्यवादी स्वामिभक्ति तक सब कुछ फैलाता है। जो कंपनी या नागरिक उनकी वृद्धि और कमाई की संभावनाओं के बारे में सवाल उठाता है चीन उसे कुचलने में जुट जाता है। खैर, भारत को इससे अद्वितीय लाभ की संभावना सृजित हुई है। यह आपदा में अवसर के समतुल्य है।

भारत का इंटरनेट उद्योग चीन की अपेक्षा छोटा है। भारतीय स्टार्टअप और आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) नें तेज गति से हाल ही में अरबों रूपये का लाभ कमाया है। चीन के बाजार  का आकार और पैमाना बेजोड़ है लेकिन चीन के व्यापारिक वातावरण में जोखिम और व्यापारिक पुरस्कार के आयाम बदल गए हैं। अमेरिका, यूरोप, एशिया और मध्य पूर्व के निवेशक अब अपने निवेश स्थानांतरित करके अपने पोर्टफोलियो को संतुलित करना चाहते हैं।

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 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था का लक्ष्य

सरकार इस परिस्थिति का लाभ उठाने को पूर्णतः प्रतिबद्ध है, सरकार की प्रतिबद्धता उसके प्रयासो से दिखती है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) ने अगले कुछ वर्षों में भारत को 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखते हुए 1,000 दिनों का एजेंडा तैयार किया है। इस योजना का उद्देश्य भारत को दुनिया में सबसे बड़ा कनेक्टेड राष्ट्र बनाना, डिजिटल शासन में सामंजस्य लाना, प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नियमों और कानूनों को सरल बनाना और भारत के उच्च तकनीक कौशल के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने बताया कि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि भारत में फ्री इंटरनेट हो जो कि विश्वसनीय, सुरक्षित और जवाबदेह रहे और सरकारी सरकारी हस्तक्षेप कम से कम हो। इस एजेंडे में हाई-टेक क्षेत्र और विकासशील कौशल अन्य फोकस क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में AI, साइबर सुरक्षा, सुपर कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर, ब्लॉकचैन और क्वांटम कंप्यूटिंग शामिल हैं।

अधिकारी के अनुसार, “हमारा ध्यान बहुत स्पष्ट है। हम सबके लिए सब कुछ नहीं करने जा रहे हैं। हम उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जहां हम एक राष्ट्र के रूप में अच्छे हैं और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी होंगे, इसलिए हम उन क्षेत्रों को चुनेंगे और उन पर ध्यान केंद्रित करेंगे।”

इंडिया मार्केट स्ट्रैटेजी शीर्षक वाली क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय आईटी कंपनियों के राजस्व में तेज वृद्धि देखी गई है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि उद्योग से 13 अरब डॉलर की वृद्धि होगी। इसका लक्ष्य 3 वर्षों में 1 करोड़ कुशल आईटी जनशक्ति तैयार करना है। अधिकारी ने यह भी कहा कि अर्धचालक निर्माताओं और उच्च मूल्य वर्धित उत्पादों को प्राप्त करना भी एक प्रमुख फोकस क्षेत्र है। इसके साथ ही “मार्च कैपिटल” के वृहद पूंजी निवेश द्वारा भारतीय स्टार्टअप का समर्थन करने का एक लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है और चीन के इस निरंकुश नीति के कारण इस योजना में निवेश को बढ़ने की संभावना भी दिख रही है।

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ऐसे समय में जब अमेरिका, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसी Semiconductor उत्पादक शक्तियां चीन से दूरी बनाए रखना चाह रही हैं और इस कम्युनिस्ट राष्ट्र को आपूर्ति श्रृंखला से बाहर करने के लिए विकल्प तलाश कर रही हैं, वैसे समय में भारत एक बेहतरीन विकल्प है। जिनपिंग के करण चीन का तकनीकी उद्योग अब जल्द ही बर्बाद होने वाला है तथा भारत तकनीकी क्षेत्र में वैश्विक शक्ति बनने के लिए बीजिंग के इसी दर्द का फायदा उठाने जा रहा है।

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