चीन दुनिया को दिखाने के लिए Evergrande को बचाने में जुटा है जो इसकी ‘ताबूत में आखिरी कील’ साबित होगा

चीन ही इस कंपनी की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण बनेगा!

एवरग्रांडे कंपनी लोगो

चीन का आर्थिक विकास एक ढकोसले और फरेब के अलावा कुछ भी नहीं हैं,  और ये हम नहीं कह रहे बल्कि उसकी आर्थिक स्थिति का बड़ा हिस्सा माने जाने वाले रियल एस्टेट सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी एवरग्रांडे (Evergrande) का डूबना दर्शा रहा है। ये दिखाता है कि चीन वैश्विक स्तर पर अपने आर्थिक विकास का बस एक कल्पनाशील आवरण चढ़ा कर बैठा है। ऐसे में एवरग्रांडे (Evergrande) कंपनी की हालत से चीन भी हड़बड़ाहट में है, और इसी के चलते वैश्विक बाजार में अस्थिरता का माहोल है। ऐसे में इस कंपनी को डिफॉल्टर होने से बचाने के लिए पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने वित्तीय सिस्टम में 17 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो, और उसके जरिए कंपनी की आर्थिक स्थिति भी सुधरे।

चीन का हाउसिंग बबल फटने लगा है, और इसके लपेटे में आई है वहां की रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांडे (Evergrande), जो अपने निवेशकों के साथ ही ऋणदाताओं को भी कर्ज का पैसा नहीं चुका पा रही है।ऐसे में पूरे विश्व के शेयर बाजारों में गिरावट देखी गई है। पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने अपनी कंपनी की अनिश्चितता से ध्यान हटाने का एक नया तरीका निकाला है, और इस केंद्रीय बैंक ने मार्केट में लिक्विडिटी बरक़रार रखने के लिए वित्तीय सिस्टम में 17 अरब डॉलर की बड़ी रकम डाली है। चीन इससे ये दिखाना चाह रहा है कि वो अपनी इस कंपनी को डिफॉल्टर होने से बचाने के हर संभव प्रयास कर रहा है। इसका एक बड़ा कारण ये है कि जनवरी के बाद से ओपन मार्केट ऑपरेशंस के जरिए फाइनेंशियल सिस्टम को मजबूत करने की यह सबसे बड़ी कोशिश है।

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नियमों के मुताबिक एवरग्रांडे (Evergrande) को इस वर्ष के अंत तक बॉन्ड्स पर 66.9 करोड़ डॉलर के इंटरेस्ट रकम का भुगतान करना है। इसमें से 8.35 करोड़ डॉलर का भुगतान तत्काल प्रभाव से दिया जाना है। अगर 30 दिनों के अंदर यह भुगतान नहीं होता तो इसे डिफॉल्ट माना जाएगा। एक तरफ चीनी बैंक ने पैसा लगाया तो दूसरी ओर हॉन्ग कॉन्ग स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी के शेयरों में बढ़ोतरी देखी गई। ऐसे में ये दिखाने की कोशिश है, कि कंपनी पर लोगों का विश्वास बनने लगा है किंतु सच ये है कि ऐसा कुछ भी होने वाला नहीं है, कंपनी की हालत के कारण निवेशकों का भरोसा उठ चुका है।

सिक्योरिटी कूपनों के भी डिफॉल्टर होने की बात कही गई है, ये ऐसे पेमेंट होते हैं जिनके तहत तीस दिन में भुगतान होता है। ये कूपन इस वर्ष के अंत तक 669 मिलियन डॉलर के बांड ब्याज का हिस्सा बन सकते हैं। इसको लेकर pantheon macroeconomics limited के मुख्य चीन अर्थशास्त्री क्रेग बॉथम (Craig Botham) ने कहा, “संपूर्ण अचल संपत्ति क्षेत्र वित्तीय सवालों के घेरे में हैं, और चूक से बचने के लिए अस्पष्ट बयान इसे लंबे समय तक बचा कर नहीं रख सकेंगे।” पीबीओसी का आरक्षित-आवश्यकता अनुपात कट अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरी है।”

एवरग्रांडे के डॉलर मूल्यवर्ग के बांडों पर भुगतान गुरुवार को होने वाला था। न्यूयॉर्क में कारोबारी दिन के अंत तक, कंपनी ने अभी भी सार्वजनिक रूप से यह नहीं बताया था कि उसने भुगतान किया है या योजना बनाई है। यही कारण है कि अब निवेशक और कर्जदार अपनी कीमत बॉन्ड में लेने को तैयार नहीं हैं। Evergrande को इस साल के अंत तक जो कीमत चुकानी है, वो उसके लिए चुका पाना नामुमकिन है। संभवतः यही कारण कि अब चीन ने अपनी कंपनी से वैश्विक ध्यान हटाने के लिए जनवरी के बाद बाजार में सबसे ज्यादा पैसा डाला है, जिससे तरलता बनी रहे।

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चीन के सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी की बात करें, तो एवरग्रांडे कंपनी निवेशकों ऋणदाताओं और आपूर्तिकर्ताओं के 305 बिलियन डॉलर वापस नहीं कर पा रही है। कंपनी के 70,000 निवेशकों ने पूरे देश में फैले हुए कार्यालयों पर प्रदर्शन किया जा रहा है। एवरग्रांडे (Evergrande) के इतने प्रोजेक्ट अधूरी अवस्था में पड़े हैं कि उनके सभी फ्लोर एक साथ रखने पर अमेरिकी शहर मैनहैटन का तीन चौथाई हिस्सा ढक जाएगा। ऐसे में चीनी शेयर बाजार में गिरावट आई है, जिसका असर वैश्विक बाजाऱों पर भी असर पड़ रहा है। ऐसे में चीन तरलता लाने के लिए प्रयास कर रहा है, किन्तु सच यही की छोटे समय विशाल कीमत चुका पाना Evergrande के लिए सर्वाधिक मुश्किल होगा।

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