साल 2020 के मध्य तक पंजाब की राजनीति को लेकर ये कहा रहा था कि राज्य में कांग्रेस पार्टी अन्य राजनीतिक दलों से कहीं ज्यादा मजबूत है और आसानी से 2022 का विधानसभा चुनाव जीत सकती थी। इसके विपरीत आज की स्थिति को देखकर ये कहा जा सकता है कि राज्य में सर्वाधिक कमजोर अगर कोई पार्टी है तो वो है कांग्रेस। पार्टी में एक साल में हुई इस बर्बादी की मुख्य वजह पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी हैं, जिन्होंने कैप्टन से तल्खियों के बीच नवजोत सिंह सिद्धू जैसे एक ऐसे नेता को महत्व दिया, जो कि अपने भविष्य को लेकर हमेशा ही आशंकित रहा है। सिद्धू की मांगों के अनुसार सीएम पद से कैप्टन को हटाया गया और सिद्धू के करीबी चन्नी को सीएम बनाया गया, इसके बावजूद सिद्धू संतुष्ट नहीं हैं। नतीजा ये कि नैतिकता का ढोंग करते हुए उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। इन सबके बीच कांग्रेस पार्टी अधर में लटक गई है क्योंकि पार्टी के पास न कैप्टन हैं और न ही सिद्धू। वहीं, नए सीएम चन्नी से कुछ अपेक्षा करना बचपना ही होगा।
सिद्धू ने भी दिया इस्तीफा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से सर्वाधिक नफरत है, क्योंकि उनके रहते पंजाब की राजनीति में राहुल का दखल नहीं हो पा रहा था। नतीजा ये कि पहले राहुल ने अपने करीबी सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया और फिर कैप्टन को सीएम पद से हटने के लिए मजबूर कर दिया। कैप्टन के हटने के दो सप्ताह बाद ही अब सिद्धू ने भी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर पार्टी को झटका दे दिया है। वहीं, सिद्धू की नाराजगी को लेकर खबरें ये भी हैं कि उनके खेमे के विधायकों को कैबिनेट में ज्यादा जगह नहीं मिली।
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सिद्धू का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस को ये लगा था कि राज्य में राजनीतिक स्थिति सामान्य हो चुकी है। सिद्धू ने अपने इस्तीफे में कहा, “किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में गिरावट समझौते से शुरू होती है, मैं पंजाब के भविष्य को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता हूं, इसीलिए मैं पंजाब प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे रहा हूं।” स्पष्ट है कि सिद्धू नैतिकता के आधार पर इस्तीफे का रोना रो रहे हैं। असल में कैप्टन का अपमान कर सिद्धू ने ही सर्वाधिक नैतिकता की धज्जियां उड़ाई हैं, इसलिए सिद्धू द्वारा दिए वक्तव्य हास्यास्पद ही लगते हैं।
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) September 28, 2021
कैप्टन ने लिए मजे
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के अपमान में सर्वाधिक भूमिका नवजोत सिंह सिद्धू की रही है। यही कारण है कि कैप्टन ने हमेशा ही सिद्धू को एक अस्थिर दिमाग का व्यक्ति बताया है, जो कि कभी भी कुछ भी कर सकता है। ऐसे में बिना किसी कारण अचानक आए सिद्धू के इस्तीफे के संबंध में कैप्टन ने ट्वीट कर लिखा, “मैंने पहले ही कहा था कि वो एक स्थिर आदमी नहीं है, बॉर्डर से जुड़े पंजाब जैसे राज्य के लिए बिल्कुल फिट नहीं है।” सिद्धू के अचानक इस्तीफे के बाद के एक तरफ जहां राहुल गांधी के फैसलों पर सवाल खड़े हो गए हैं, तो दूसरी ओर राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बनती दिख रही है।
I told you so…he is not a stable man and not fit for the border state of punjab.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) September 28, 2021
चन्नी अकेले पड़े गए
सिद्धू के इस्तीफे को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही है कि अचानक उन्होंने इस्तीफा दिया ही क्यों? टीएफआई ने आपको पहले एक रिपोर्ट में बताया था कि कैसे सिद्धू और सीएम चन्नी के बीच कैबिनेट के गठन को लेकर टकराव हो रहा था और चन्नी को कांग्रेस आलाकमान सिद्धू से ज्यादा महत्व दे रहा था। इतना ही नहीं, चन्नी की कैबिनेट में सिद्धू खेमें की अपेक्षा कैप्टन खेमे के विधायकों को ज्याद तवज्ज़ो दी गई। जिसके कारण सिद्धू की नाराजगी ही उनके इस्तीफे की मुख्य वजह हो सकती है। इसके विपरीत चन्नी अब बिल्कुल अकेले पड़ गए हैं, जो कि अपने हिसाब से पंजाब की सरकार का संचालन कर रहे हैं।
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अस्थिता का पर्याय सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू के क्रिकेट करियर की बात करें तो ये कहा जा सकता है कि वो धैर्य धारण करने वाले खिलाड़ी नहीं थे। यही कारण है कि वो आक्रामक शॉट्स मारने के चक्कर में अनेकों बार जल्दी ही अपना विकेट गंवा बैठते। उनकी आक्रामकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो एक बार अपने कप्तान से इतना नाराज हो गए थे कि 1996 में इग्लैंड की एक सीरीज बीच में ही छोड़कर वापस भारत लौट आए थे। राजनीति में भी उनकी स्थिति कुछ ऐसी ही थी। वो जब तक भाजपा में रहे तब तक अपने अजीबोगरीब बयानों के कारण चर्चा में रहे। वहीं, कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर पहले उन्हें पंजाब में कैबिनेट स्तर पर का पद मिला, उनकी पत्नी को भी पद दिए गए लेकिन वो कैप्टन का सहयोग करने की बजाए उनका विरोध करने लगे।
ऐसे में राहुल गांधी ने उनकी नाराजगी खत्म करने के लिए कैप्टन को सीएम पद से हटवाया और सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष का पद दिया। यहां तक कि सिद्धू के करीबी चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम तक बना दिया है, किन्तु अब भी सिद्धू अपनी पार्टी से संतुष्ट नहीं है। नतीजा ये कि वो इस्तीफा दे चुके हैं, या कहें कि हिट विकेट हो चुके हैं। सिद्धू का ये रवैया अब कांग्रेस के लिए पंजाब के विधानसभा चुनाव में अनेकों मुश्किलें खड़ी करने वाला है।
आज की स्थिति में कांग्रेस से कैप्टन अमरिंदर सिंह नाराज हैं, सिद्धू बिना कारण बताए इस्तीफा दे चुके हैं और पार्टी चरणजीत सिंह चन्नी जैसे नेता के हाथ में आ गई है, जिसके नेतृत्व में पार्टी का चुनाव लड़ना और जीतना असंभव प्रतीत होता है। वहीं, अब इस पूरे खेल में कांग्रेस के लिए सबसे बड़े दुश्मन सिद्धू ही साबित हुए हैं, जिन्होंने कांग्रेस को अधर में लाकर खड़ा कर दिया है।