मानसून सत्र के दौरान लोकतंत्र के मंदिर, संसद भवन में जो कुछ भी हुआ वो पूरे देश ने देखा था। विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा जानवरों जैसा व्यवहार किया जा रहा था। उनके अंदर की विवशता, झुंझलाहट और बौखलाहट साफ प्रदर्शित हो रही थी। विपक्षी दलों के नेता वेल के पास हो-हल्ला कर रहे थे, कई नेता पर्चियां और रूल बुक फाड़ रहे थे। जो तमाशा देश ने देखा, शायद ही इतिहास में ऐसा कभी हुआ हो। राज्यसभा सभापति समेत तमाम बड़े नेताओं ने इसकी निंदा की थी। उसी समय संसद के अफेयर मिनिस्टर प्रह्लाद जोशी ने एक विशेष जांच समिति बनाने का सुझाव दिया था। उन्होंने सभापति से यह कहा था कि एक विशेष समिति बनाकर उन सभी लोगों पर जांच बैठानी चाहिए, जिन्होंने ऐसा बर्ताव किया था।
राज्यसभा में पिछले महीने यह ड्रामा देखा गया था, जब विपक्षी सांसदों ने अपना आपा खो दिया और सरकार विरोधी नारे लगाते हुए मेज पर चढ़ गए, जबकि उस समय संसद भवन में कृषि कानूनों पर चर्चा चल रही थी। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सबसे पहले पत्रकारों की मेज पर चढ़कर नारेबाजी की थी। कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने मेज पर चढ़ते ही हद पार कर दी और नियम पुस्तिका को राज्यसभा की कुर्सी पर फेंक दिया। उनके साथ दीपेंद्र हुड्डा, राजमणि पटेल, भाकपा के बिनॉय विश्वम और भाकपा के वी शिवदासन भी शामिल थे, जो सदन की कार्यवाही को बाधित करते हुए मेज पर बैठ गए।
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अब इस मामलें में बड़ा बदलाव यह आया है कि राज्यसभा में 11 अगस्त के हंगामे की जांच के लिए विशेष अनुशासनात्मक समिति गठित करने की बात लगभग तय हो गई है और राज्यसभा सभापति एम वेंकैया नायडू की इस योजना को लेकर गतिरोध पैदा हो गया हैl लगभग सभी विपक्षी दलों ने इसका हिस्सा बनने से मना कर दिया है। हंगामे के केंद्र बिंदु तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस ने साफ मना कर दिया है। खड़गे ने तो यह भी कह दिया कि ऐसे समितियों के गठन से उनकी पार्टी को डराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मामला खत्म हो गया है और अब इसे उठाने की आवश्यकता नहीं है।
आपको बताते चलें कि उस हंगामे के दौरान 2 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे और पार्लियामेंट सिक्युरिटी स्टॉफ द्वारा नेताओं पर केस दर्ज कराया गया है। राज्यसभा सचिवालय मामलें को संज्ञान में लेकर कार्यवाही शुरू कर चुका है और इसी कारण से कांग्रेस का भय बाहर निकलकर सामने आ रहा है। कांग्रेस जानती है कि उनके द्वारा उठाया गया कितना कदम घातक था।