प्रिय आम आदमी पार्टी, समय से पहले ही उत्सव मनाना बंद करो

इन्हें लगता है कि अमरिंदर सिंह की कांग्रेस से अनबन का फायदा इनको ही मिलेगा!

पूर्वांचल में एक कहावत है, गांव बसा नहीं कि भिखारी पहले आ गए। दूसरी कहावत यह है कि दूसरे के मांग की सिंदूर को देखकर अपना कपार नही फोड़ना चाहिए। दो कहावतों के बाद एक कहानी भी है, कहानी में दूध बेचने वाला एक व्यक्ति थोड़े देर चलने के बाद थककर बैठ जाता है और मटकी को पेड़ पर लटका देता है। ठंडी हवा पाकर उसे नींद आ जाती है और फिर वो सपने में ही सोच लेता है कि वह दूध से दही का व्यापार करने लगा, दही से खोया का, खोये से पनीर का और फिर वह अपने आप को करोड़पति भी मान लिया। अचानक उसने सपने में देखा कि उसका नौकर उसकी बात नहीं मान रहा है और वह गुस्से में एक लात मारता है। अचानक से उसकी नींद खुलती है। व्यक्ति ने सपने की जगह असल जिंदगी में भी लात मारकर दूध बहा दिया होता है। दोनों कहावत और एक कहानी को याद करने के पीछे की प्रेरणा, आम आदमी पार्टी है। इससे पहले आप पूछिये क्यों? हम आपको बता देते हैं।

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस राजनीतिक उलटफेर के चलते देश भर में जहां अन्य राजनीतिक दल अभी भी आश्चर्य की स्थिति में है, वहीं आम आदमी पार्टी ने अभी से ही खुद को पंजाब का अगला शासक मान लिया है। आम आदमी पार्टी को यह लगता है कि पूरी दुनिया उनके द्वारा शासन किये जाने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। अभी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दिया भी नहीं था और अपने आप को बड़ा राजनीतिक खिलाड़ी मानते हुए आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने, नवजोत सिंह सिद्धू को राखी सावंत बता दिया।

कल राजनीतिक आशंकाओं के बीच नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया गया जिसको कोट करते हुए राघव ने नवजोत सिंह सिद्धू को ‘पंजाब की राजनीति की राखी सावंत‘ कह दिया। नवजोत सिंह सिद्धू ने पलटवार करते हुए राघव के बयान पर उन्हें अविकसित वनमानुष बताया। मामलें के बीच राखी सावंत को आना पड़ा, मीडिया से बातचीत में सावंत ने कहा, ‘राघव चड्ढा, मुझसे और मेरे नाम से दूर रहो। मिस्टर चड्ढा, आप खुद देखिये आपको ट्रेडिंग में आने के लिए मेरे नाम की जरूरी पड़ गई।”

ऐसी बयानबाजी से आम आदमी पार्टी यह बताना चाहती है कि वह पंजाब में बड़ी प्लेयर है और वह बहुत सक्रिय है। हकीकत यह है कि इस अवसरवादी कदम को हटाकर देखा जाए तो आम आदमी पार्टी दिल्ली के बाहर कहीं भी बड़ी खिलाड़ी नहीं है और दिल्ली में भी अब जनता का मत बदल रहा है। ऐसे कदमों के अंत में यहीं होता है कि लोग ना घर के रहते है ना घाट के रहते है।

कल ही राघव चड्ढा ने पंजाबी में कहा, “कांग्रेस ने पंजाब के लोगों को धोखा दिया है। उन्हें पंजाब के कल्याण की परवाह नहीं है, बल्कि अपनी निजी खुशी की परवाह है। कांग्रेस एक डूबती टाइटैनिक है जिसमें न तो दूरदर्शिता है और न ही प्रतिबद्धता है।”

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आम आदमी पार्टी के हरपाल सिंह चीमा ने भी कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, “कांग्रेस के कितने भी चेहरे क्यों न बदल जाएं, आने वाले चुनावों में पंजाब के लोग कांग्रेस की हालत अकाली-भाजपा से भी बदतर कर देंगे। अली बाबा को बदलने से बाकी चोर बेगुनाह नहीं होंगे।”

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की लड़ाई में फायदा भाजपा को मिलेगा। पहले से ही कांग्रेस में फूट पड़ चुकी है और एक टुकड़ा सम्भवतः भारतीय जनता पार्टी के साथ आ सकता है। आम आदमी पार्टी वहां पहले से ही लड़ाई में नहीं है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि ये आप द्वारा बेकार की शोबाजी है, जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है।

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