“हिन्दू धर्म खतरे में नहीं है”, क्या गृह मंत्रालय ने सच में ऐसा कहा? सच्चाई आपके सामने है

कैसे RTI के जरिए हिन्दुओं और केंद्र सरकार के विरुद्ध चलाया जा रहा है अजेंडा!

हिंदू धर्म खतरा

“हिंदू धर्म को खतरा होने की बात काल्पनिक”, यह हम नहीं बल्कि इंडियन एक्सप्रेस, Ndtv, दैनिक जागरण और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे मीडिया संस्थान कह रहे हैं। और यह केवल कहा नहीं जा रहा, अपितु बार-बार दोहराया भी जा रहा है ताकि जनता के मस्तिष्क में यह बात छप जाए कि अमित शाह के नेतृत्व वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ‘स्पष्ट रूप से’ कहा है कि भारत में हिंदू धर्म को कोई खतरा नहीं है।

सोशल मीडिया पर कई लोगों इस प्रकार की रिपोर्ट का प्रयोग कर केंद्र की मोदी सरकार पर राजनीतिक कटाक्ष कर रहें हैं और देखते ही देखते एक बार दोबारा यह कहा जाने लगा है कि “हिंदू कभी पीड़ित नहीं हो सकते।”

 

हिंदू धर्म पर खतरा न होने’ की रिपोर्ट मूल रूप से समाचार एजेंसी IANS द्वारा प्रसारित की गई थी, लेकिन TOI, जागरण आदि ने इसे आगे बढ़ाने का काम किया। इस समाचार को प्रसारित करने वालों में कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र नेशनल हेराल्ड भी शामिल था। लेकिन क्या सच में गृह मंत्रालय ने हिंदुओं पर खतरे को नकारते हुए उसे ‘काल्पनिक’ बताया है?

यह है पूरा मामला

नागपुर के निवासी मोहनीश जबलपुरे ने 31 अगस्त को एक RTI के तहत देश में “हिंदू धर्म के लिए खतरा” होने का प्रमाण मांगा था। एक महीने के बाद, गृह मंत्रालय के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (सीपीआइओ) आंतरिक सुरक्षा वीएस राणा ने इस प्रश्न का उत्तर दिया।

अब यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि विषय से संबंधित सभी रिपोर्ट, याचिकाकर्ता मोहनीश जबलपुरे के बयान पर आधारित हैं, अर्थात मंत्रालय की ओर से RTI में क्या उत्तर दिया गया है इसका कोई स्पष्ट उत्तर अभी किसी के पास नहीं है। शायद इसलिए प्रोपेगंडा को स्पष्ट तौर पर बढ़ावा मिल रहा है।

विभिन्न समाचार पत्रों द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि यह अपने आप में भ्रामक हैं। TFI के सूत्रों ने बताया कि RTI के उत्तर को याचिकाकर्ता की समझ के अनुसार प्रस्तुत किया जा रहा है।

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के दस्तावेज़ के इस भाग में साफ़ देखा जा सकता है कि “सूचना का अधिकार, 2005 अधिनियम के नियमों के अनुसार, जन सूचना अधिकारी केवल वही जानकारी दे सकते हैं जो उनके पास उपलब्ध है या जो उनके अधिकार क्षेत्र में आती हो। सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत लोक प्राधिकारी द्वारा सूचना सृजित करना; या सूचना की व्याख्या करना; या आवेदक द्वारा उठाई गई समस्याओं का समाधान करना; या काल्पनिक प्रश्नों का उत्तर देना अपेक्षित नहीं है।”

यह उत्तर संक्षिप्त तौर पर किसी एक प्रश्न के के लिए नहीं अपितु सामान्य तौर पर ऐसे प्रश्नों के उत्तर में कहा जाता है जिनमें कोई तथ्यात्मक प्रश्न न पूछकर वैचारिक प्रश्न पूछे गए हों।

उदारहण के लिए, ऐसा ही कुछ गृह मंत्रालय ने साकेत गोखले की आरटीआई आवेदन के जवाब में भी कहा था। गोखले ने प्रश्न किया था कि “टुकड़े टुकड़े गैंग कौन हैं?” जिसके उत्तर मैं कहा था कि “गृह मंत्रालय के पास टुकड़े-टुकड़े गिरोह के बारे में कोई जानकारी नहीं है।” तो क्या टुकड़े -टुकड़े गैंग भी काल्पनिक है?

आपको बता दें कि, सरकार वास्तव में किसी भी जानकारी को अपने रिकॉर्ड में इस तरह से वर्गीकृत नहीं करती है। उदाहरण के लिए यदि कोई याचिकाकर्ता पूछे कि ‘हिन्दुत्व के प्रति लोगों का पहले से अधिक झुकाव होने का क्या कारण है’, इस्लाम के लिए खतरा होने के क्या प्रमाण हैं’, ‘भारतीयों में देशभक्ति कितनी बढ़ी है’ या ‘उदार मूल्यों के लिए देश में खतरा है या नहीं’, तब भी उत्तर ऐसा ही ही आएगा। सभी संभावनाओं में, किसी भी ऐसे RTI प्रश्न के लिए एक समान उत्तर दिया जाता है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐसे विषय वैचारिक होते हैं, इसलिए ये सभी राजनीतिक वाद-विवाद के दायरे में तो होते हैं, लेकिन रिकॉर्ड कीपिंग के नहीं।

आपको बता दें कि इस मामले में ‘RTI कार्यकर्ता’ एक स्वघोषित कांग्रेस समर्थक है। कथित RTI कार्यकर्ता कोई स्वतंत्र RTI कार्यकर्ता नहीं है, बल्कि कांग्रेस पार्टी का सक्रिय समर्थक है। मोहनीश के ट्विटर बायो में “कांग्रेस व्हिसलब्लोअर” लिखा है और इनका अकाउंट राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेस नेताओं की प्रशंसा की पुष्प वर्षा से भीगा हुआ है।

लेकिन ऐसी RTI दायर करने के पीछे का असली उद्देश्य समझना भी आवश्यक है! ऐसे प्रश्नों को RTI के माध्यम से पूछने का उद्देश्य ही है कि लोगों को एक बार फिर यह बताया जाए कि वास्तव में हिंदुओं का मुद्दा कोई मुद्दा है ही नहीं। यह सिर्फ एक झुनझुना है जो राजनितिक लाभ के लिए बजाया जाता है। विपक्ष इसके जरिए केंद्र की भाजपा सरकार को निशाना तो बना ही रहा है, अपितु “हिंदू धर्म पर खतरा काल्पनिक” बता कर नितिका तोमर, रिंकू शर्मा, चंदन गुप्ता, दिलबर सिंह नेगी, कमलेश तिवारी, बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा में मारे गए और अन्य Hate Crimes का शिकार हुए हिंदुओं के सत्य के साथ भी ठिठोली कर रहा है।

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