अफगानिस्तान छोड़िए, बिहार के भागलपुर में ही तालिबान जैसे शरिया कानून का अनुसरण हो रहा है

छात्राओं को पैंट पहनने पर पड़ती है गाली, बुर्का पहनना है अनिवार्य!

भागलपुर छात्रावास

बिहार का भागलपुर काफी दशकों से सांप्रदायिक हिंसा के लिए चर्चा में है, और इस बार भी मामला कुछ खास अलग नहीं है। हाल ही में एक छात्रावास परिसर में पत्थरबाजी की गई, परंतु जैसा आप समझ रहे हैं, वैसा बिल्कुल नहीं है। इस बार निशाने पर कोई गैर मुस्लिम समुदाय नहीं, बल्कि कट्टरपंथी मुसलमान स्वयं थे, जिनके विरुद्ध मुस्लिम लड़कियों ने अफगानी तालिबान जैसे शरिया कानून लागू करने के विरोध में ‘विद्रोह किया’।

लेकिन ऐसा भी क्या हुआ कि भागलपुर में मुस्लिम लड़कियों को अपने ही समुदाय के कट्टरपंथियों के विरुद्ध विद्रोह करना पड़ा? असल में बिहार के भागलपुर में एक सरकारी अल्पसंख्यक बालिका छात्रावास में वर्तमान सुपेरिन्टेंडेंट को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, जो महिला होते हुए भी लड़कियों के लिए ‘तालिबानी फरमान’ जारी करती है। हॉस्टल सुपेरिन्टेंडेंट नाहिदा नासरीन के अनुसार छात्रावास में भी पूरी बांह के कपड़े और नकाब / बुर्का पहनना अनिवार्य है, जिसका विरोध करने पर छात्रावास की लड़कियों को अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है।

भागलपुर में बात इतनी बढ़ गई कि कुछ दिनों पहले कई लड़कियों ने छात्रावास के गेट पर पथराव करते हुए अपना विरोध जताया और कहा कि छात्रावास की सुपेरिन्टेंडेंट नाहिदा उन पर तालिबानी शरिया कानून थोप रही हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कैंपस में उनकी व्यक्तिगत आजादी पर सवाल उठाया जा रहा है, उससे वे तंग आ चुकी हैं और उन्हें बुर्का पहनने के लिए कट्टर सुपरिटेंडेंट द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है।

लड़कियों के अनुसार, उन्होंने पहले भी नीतीश कुमार सरकार के बिहार कल्याण विभाग को ई-मेल कर इस समस्या के बारे में बताया था, परंतु किसी ने उनकी एक नहीं सुनी। ऐसा प्रतीत होता है कि लड़कियों और नाहिदा नसरीन के बीच यह तकरार लंबे समय से चल रहा था । एक लड़की दरक्शा अनवर के अनुसार, “जब भी लड़कियाँ पैंट पहनती हैं तो सुपरिटेंडेंट छात्राओं को गाली देती हैं। इसके साथ ही छात्रा ने आरोप लगाया कि वह उनके माता-पिता को भी गलत जानकारी देती हैं कि वह लड़कों से बात करती हैं।”

छात्रावास की लड़कियों का कहना है कि भागलपुर बिहार के गर्म और उमस भरे मौसम में बुर्का पहनना लगभग असंभव है, इसलिए वे कैंपस में ट्राउजर और टी-शर्ट पहनती हैं। परंतु नाहिदा नसरीन किसी भी छात्रा को पैंट में देखती है या स्कूटी रखने वाली छात्राओं से बात करते हुए देखती है तो डाँटती-फटकारती है।

ऐसे में जब पथराव हुआ तो नाथ नगर की सर्किल ऑफिसर स्मिता झा पुलिस टीम के साथ गर्ल्स हॉस्टल पहुँचीं और गेट खुलवाया। हाथ में तख्तियाँ लिए लड़कियाँ तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में पहुँचीं। उन्होंने विश्वविद्यालय की कुलपति नीलिमा गुप्ता से मिलने का आग्रह किया, क्योंकि वे चाहती थीं कि नाहिदा नसरीन को सुपरिटेंडेंट के पद से तत्काल हटाया जाए। हालाँकि, बाद में डीएसडब्ल्यू रामप्रवेश सिंह और प्रॉक्टर रतन मंडल द्वारा इस मामले में जाँच का आश्वासन दिए जाने के बाद वे मान गए। अब प्रश्न ये उठता है कि जब बिहार में ही यह हाल, तो बाकी भारत में इस बीमारी को पनपने से कैसे रोका जाएगा? क्या नीतीश सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं थी इस विषय पर? यदि इसे जल्द नहीं रोका गया, तो बिहार का उदाहरण जल्द ही देश भर के लिए मुसीबत बन सकता है।

 

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