एक आयातक से एक निर्यातक तक: कैसे भारत पीएम मोदी के तहत स्मार्टफोन का उत्पादन केंद्र बन गया

भारत में बनाइए, और फिर भारत या विश्व के किसी भी कोने में बेचिए!

स्मार्टफोन्स मैन्युफैक्चरिंग

भारत का स्मार्टफोन मार्केट कितना विशाल है, ये बात किसी से छिपी नहीं है, और मोदी सरकार इस तथ्य को अच्छे से जानती है। यही कारण है देश में ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम शुरु की गई थी। इस योजना का मतलब भारत में बनाइए, और फिर भारत या विश्व के किसी भी कोने में बेचिए। जो भारत पहले 8 मिलियन तक के स्मार्टफोन्स का आयात करता था, उसने अपना आयात तो घटाया ही साथ ही अब भारत से तीन मिलियन डॉलर्स के स्मार्टफोन्स का निर्यात होता है, जो किसी उपलब्धि से कम नहीं है। सैमसंग का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भारत में ही है। इतना नहीं नही, चाइनीज कंपनियों को भारतीय नियमों के तहत घुटनों पर लाने के बाद अब उनके द्वारा भी स्मार्टफोन्स भारत में ही एसेंबल किये जा रहे हैं, और यहीं से इनका निर्यात अन्य देशों में भी होता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता की हीरक जयंती पर लालकिले के प्राचीर से भारत की डिजिटल क्रांति में उपलब्धियों का उल्लेख किया था, पीएम ने  तथ्यों को रखते हुए बताया था कि स्मार्टफोन्स मार्केट में ‘मेक इन इंडिया’ ने कितनी मह्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पीएम ने कहा था, मेक इन इंडिया योजना से जो बदलाव आये हैं, इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण उसका उदाहरण है। सात साल पहले, हम करीब 8 अरब डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन आयात करते थे। अब आयात कम हुआ है। आज हम 3 अरब डॉलर मूल्य का मोबाइल फोन आयात कर रहे हैं। पीएम मोदी ने ये भी बताया कि भारत से जो प्रोडक्ट्स निर्यात होते हैं, उनकी गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर की होती है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुहिम का सीधा असर अब जमीनी स्तर पर भी दिखने लगा है। अमेरिकी कंपनी एप्पल ने अपने आईफोन का प्रोडक्शन भारत में शुरु कर दिया है। कंपनी ने देश में अपने प्रोडक्शन के लिए FOXCONN के साथ करार किया है। जो आईफोन 11, 12 की मैन्युफैक्चरिंग कर रही है। जुलाई 2020 से शुरु हुई मैन्युफैक्चरिंग, भारत के लिए सकारात्मक संदेश लेकर आई है। एप्पल की तरह ही सैमसंग भी भारतीय स्मार्टफोन्स मार्केट की एक प्रमुख कंपनी मानी जाती है। सैमसंग ने एप्पल से पहले ही अपना सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भारत के नोएडा में लगाया था। यहां बनने वाले स्मार्ट फोन्स या गैजट न केवल भारत अपितु वैश्विक बाजार में भी निर्यात किए जाते हैं, जो कि भारत की सफलता को दर्शाता है।

आकड़ों से संबंधित वेबसाइट ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  की  बात को स्वीकृति देते हुए बताया है कि साल 2019 के अंत तक भारत का स्मार्टफोन निर्यात 302 मिलियन डॉलर्स का हो गया है। ऐसा नहीं है कि भारत में केवल एपल और सैमसंग को ही दिलचस्पी है, अपितु भारतीय मार्केट की सबसे बड़ी खिलाड़ी चाइनीज मोबाइल कंपनियां शाओमी, रियलमी ओप्पो, वीवो ही है। ये पहले भारत में आयात के जरिए अपने स्मार्टफोन्स बेचती थीं, किन्तु मोदी सरकार के मेक इन इंडिया मिशन के तहत इन्होंने भी भारत में  सरकार द्वार दी जा रही सुविधाओं का फायदा उठाकर भारत में ही अपने प्लांट्स लगाए।

खास बात ये है कि चाइनीज होने के कारण ही इन मोबाइल कंपनियों में सुरक्षा एवं निजता की समस्या रहती थी, जिसके चलते भारत सरकार ने न केवल नए आईटी रूल्स बनाए, अपितु इन मोबाइल कंपनियों को घुटनों पर लाकर इन नियमों का पालन भी करवाया। यही कारण है, कि अब भारत में बिकने वाले स्मार्टफोन्स धीरे-धीरे स्टॉक एंड्रायड को अपना रहे हैं।  शाओमी ने अपना  मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हरियाणा में ही लगा रखा है। वहीं कंपनी के जिम्मेदारों का कहना है कि भारत में अब लगभग 99 प्रतिशत तक यहां बने फोन ही बेते जाते हैं।

शाओमी की तरह ही उसकी प्रतिस्पर्धी कंपनी रियलमी ने बताया है भारत में रियलमी की मैन्युफैक्चरिंग तेजी के साथ बढ़ रही है। स्मार्टफोन्स के लगभग 60 प्रतिशत उपकरण भारत में ही बनाए जाते हैं। वहीं दक्षिण एशिया के कई देशों में बिकने वाले स्मार्टफोन्स भारत में ही बने होते है। कंपनी के अधिकारी भारत के सप्लायर्स से लेकर अपने मैन्युफैक्चरिंग सहयोगियों से बात कर भारत  में ही लोकल फैक्टरियों के गठन की तैयारी कर रहा है।

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वहीं इस मामले में 2020 के बाद से दोबारा भारतीय कंपनियों माइक्रोमैक्स, लावा ने भी नई शुरुआत की है और वे अपने बजट रेंज के स्मार्टफोन्स भारत में उतार चुके हैं। खास बात ये भी है कि मोदी सरकार की पीएलआई स्कीम के तहत भारत में निर्माण करने वाली कंपनियों को सरकार की तरफ से विशेष छूट भी मिलती हैं, जिससे भारत में स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग को विस्तार मिल रहा है।

ऐसे में ये कहा जा सकता है कि भारत  अब केवल स्मार्टफोन उपभोक्ताओं का देश नहीं रहा है, क्योंकि भारत की जरूरत के हिसाब से न केवल यहां कंपनिया मैन्युफैक्चरिंग करती हैं, अपितु वो भारत से बाहर वैश्विक बाजार में भी निर्यात करती है, जिससे धीरे-धीरे मेक इन इंडिया मुहिम के तहत भारत स्मार्टफोन मार्केट का हब बनता जा रहा है। इससे भारत मे नए रोजगार के अवसरों के साथ ही  डिजिटल क्रांति में विस्तार हो रहा है, जो वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था और देश की  तकनीक को मजबूती दे रहा है।

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