CCI के जांच के दायरे में दिग्गज कंपनी Google, मोबाइल बाजार पर एकाधिकार है मामला

Google प्रतिद्वंद्विता को खत्म कर एकाधिकार स्थापित करना चाहता है!

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग गूगल

स्वस्थ प्रतियोगिता एवं प्रतिद्वंद्विता आर्थिक उन्नति का मार्ग है और एकाधिकार का लोभ प्रतिद्वंद्विता का शत्रु है। यह प्रतियोगिता, प्रतिद्वंद्विता और एकाधिकार के लोभ की कहानी है। ज्ञात हो कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की एक जांच में टेक की दिग्गज कंपनी गूगल (Google) को मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे Android बाजारों में अनुचित, प्रतिस्पर्धी-विरोधी और प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं के उपयोग करने का दोषी पाया गया है। उद्योग के अनुमानों के अनुसार, भारत में 95% से अधिक स्मार्टफोन उपभोक्ता Android चलाते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल (Google) को प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4(2)(a)(i), धारा 4(2)(बी), धारा 4(2)(सी)के प्रावधानों की अवज्ञा का दोषी पाया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार Google के खिलाफ आरोपों में विशेष रूप से खोज, संगीत, ब्राउज़र, ऐप लाइब्रेरी और अन्य सेवाओं के क्षेत्र में बाजार को अपने पक्ष में झुकाना शामिल है।

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पिछले साल से ही चल रही जांच

CCI की जांच में यह भी पाया गया कि गूगल (Google) यह सुनिश्चित करने के लिए उपकरणों और ऐप निर्माताओं पर अनुचित अनुबंध थोप रहा था ताकि उसके अपने उत्पादों को प्राथमिकता दी जाए, जिसके कारण गूगल (Google) के उत्पाद स्वतः रूप से फ़ोन में इंस्टॉल आते हैं।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) और स्थानीय एकाधिकार विरोधी नियामक ने अनिर्दिष्ट लोगों की शिकायत मिलने के बाद पिछले साल भारत में गूगल (Google) के Android व्यवसाय के जांच शुरू की। पिछले महीने, नियामक ने प्रारंभिक रूप से पाया कि गूगल (Google) ने देश में Android की प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग एकाधिकार स्थापन और प्रतिद्वंद्विता समापन हेतु किया था। उसके बाद अपनी जांच रिपोर्ट भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को सौंप दी।

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Google पर लग सकता है जुर्माना

CCI की जांच शाखा ने अपने निष्कर्षों को विचार के लिए रखा है। दोषी पाए जाने पर गूगल (Google) पर उसके स्थानीय राजस्व का 10% या उसके शुद्ध लाभ का 300% तक जुर्माना लगाया जा सकता है और उसे इस तरह के अनुचित व्यवहार करने से रोका जा सकता है।

उत्पाद, उपभोक्ता और उत्पादनकर्ता तीनों के कल्याण हेतु बाज़ार में स्वस्थ प्रतिद्वंद्विता का होना नितांत आवश्यक है। स्वस्थ प्रतियोगी वातावरण आपको नवाचार, विस्तार, ग्राहक सेवा और उत्पाद संबंधी मानको को उत्कृष्टता की ओर उन्मुख करता है।

हालांकि, धन बल के लोभ से वशीभूत हो येन-केन प्रकारेण कुछ कंपनियाँ प्रतिद्वंद्विता को खत्म कर एकाधिकार स्थापित करना चाहती है। गूगल की कार्यशैली कुछ वैसी ही है और उसकी इस धूर्तता का पता लगाने हेतु भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का साधुवाद। गूगल के निवेश, भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंध और व्यापारिक वातावरण का ख्याल रखते हुए गूगल को दंडित, प्रतिबंधित या निर्देशित किया जाना चाहिए।

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