भारत में अपना अस्तित्व खोने के मुहाने पर खड़े वामपंथी Media Portals को बढ़ावा देने की दिशा में गूगल का बड़ा कदम

DigiPub Google

वामपंथ को बढ़ावा देने में सदैव ही अमेरिकी बिग टेक कंपनियों की विशेष भूमिका रही है, Google भी इनमें से ही एक इंटरनेट प्लेटफॉर्म है, जो कि ढोंग तो भारत का हितैषी होने का करता है, किन्तु उसकी नीतियां हमेशा ही भारत के वामपंथ को बढ़ावा देने की रहती है, जिसका एक ताजा उदाहरण हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में भी सामने आया है। Google ने हिन्दी के प्रति प्रेम दिखाते हुए DigiPub फाउंडेशन के साथ करार किया है, जिसका मुख्य़ उद्देश्य गूगल को न्यूज संबंधित स्टार्ट अप बिजनेस को बढ़ावा देना हैं। इसके विपरीत सत्य ये है कि DigiPub उन कंपनियों द्वारा वित्त पोषित है, जिन पर फेक न्यूज फैलाने से लेकर देश में वैमनस्य स्थापित करने से लेकर अराजकता फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हिन्दी से जुड़े बिजनेस को विस्तार देने के लिए क्या Google को DigiPub के अलावा कोई और संस्था नहीं मिली थी ?

भारत में एक बड़ा वामपंथी वर्ग है, जो कि मूलतः भारतीय संस्कृति के विरुद्ध सांकेतिक तौर पर जहर घोलता है। इन में कई मीडिया संस्थान भी हैं, जिनके कथित पत्रकारों के मन में हिन्दी के प्रति विशेष नफरत रहती है। ऐसे में आवश्यक है कि Google अपने प्लेटफॉर्म पर इस विकृत मानसिकता वाले लोगों पर कार्रवाई करे, इसके विपरीत हिन्दी संबंधित बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए Google ने इन मीडिया संस्थानों से संबंधित DigiPub से करार कर लिया है।

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इस मामले में Google ने स्वयं ही जानकारी देते हुए ट्विटर पर लिखा, “हमने GNI स्टार्ट अब लैब की लॉन्चिंग के लिए DigiPub इंडिया एवं ESCOLAT के साथ करार किया है, जो कि खबरों से संबंधित 10 व्यवसायों को विस्तार देने वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, जिसके लिए उन्हें आवेदन करना होगा।”

Google का कहना है कि इससे भारत में भारतीय भाषाओं के समाचार संस्थानों को विस्तार मिलेगा, जिसके लिए कोई भी संस्था आवेदन कर सकती है। इसके विपरीत Google की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं, क्योंकि इसका कॉन्ट्रैक्ट DigiPub के साथ है। DigiPub 11 मीडिया कंपनियों का एक समूह है, जो कि भारत मं वामपंथी विचारधारा को विस्तार देने के लिए कुख्यात है। इन 11 कंपनियों में News Minute, Alt News, Article 14, Boomlive, Cobrapost, HW News, Newsclick, Newslaundry, Scroll, The Quint  और The Wire जैसी कंपनियां शामिल हैं। इस फाउंडेशन के अध्यक्ष न्यूज मिनट की एडिटर इन चीफ Dhanya Rajendran हैं। वहीं, उपाध्यक्ष न्यूज क्लिक  के एडिटर प्रबीर पुरकायस्थ हैं।

अब यहां तक पढ़ने के साथ ही आप समझ गए होंगे, कि मुख्य ऐजेंडा क्या हो सकता है। दरअसल, ये सभी वेबसाइट्स और मीडिया संस्थान आये दिन विवादों में रहते हैं। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने न्यूज क्लिक के दफ्तरों पर छापेमारी की थी, क्योंकि संस्था के प्रमुख लोगों पर तीन वर्षों में करीब 30 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं। वहीं, इस संस्था के तीस्ता सीतलवाड़ से लेकर नक्सलवाद के आरोपी गौतम नवलखा के साथ संबंध होने के आरोप भी लगे हैं। ये दर्शाता है कि DigiPub की सदस्य कंपनी न्यूजक्लिक का विवाद कितना गहरा है।

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ये तो केवल एक ही उदाहरण है, द वायर से लेकर द क्विंट, न्यूज लॉन्ड्री, स्क्रॉल, आल्ट न्यूज सभी ऐसे ही हैं जो कि अक्सर फेक न्यूज फैलाने लिए चर्चा में रहते है। इंटरनेट की दुनिया में प्रत्येक मुद्दे को धार्मिक जातीय रंग देने में इन मीडिया संस्थाओं की विशेष भूमिका रहती है। इसके चलते सरकार द्वारा भी इनके द्वारा प्रचारित की गई खबरों को नकारा गया है। इतना ही नहीं देश में कोरोना वैक्सीनेशन के मुद्दे पर वैक्सीन की क्षमता से लेकर उसके असर तक के मुद्दे पर भी इन संस्थाओं ने सवाल खड़े किए थे। ऐसे में Google को ये तय करना होगा कि उसका प्लान भारत में समाचारों के स्टार्ट-अप को विस्तार देना है या फिर फेक न्यूज फैलाने वालों की विचारधारा को!

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