ये Hindu IT Cell आखिर है क्या जिसने राणा अय्यूब की मुश्किलें बढ़ा दी हैं?

हिन्दू आईटी सेल

हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करना और उन्हें निशाना बनाना हमारे वामपंथियों के लिए आम बात हो गयी थी, परन्तु अब इससे निपटने के लिए हिन्दू आईटी सेल का निर्माण किया गया। अब यही राणा अय्यूब जैसे पत्रकारों के लिए मुश्किलों का सबब बन गया है क्योंकि अब प्रवर्तन निदेशालय भी इस मामले की जांच कर रहा है। इससे राणा अय्यूब हिन्दू आईटी सेल पर बिदक गयी हैं। राणा अय्यूब ने अपने खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के आरोपों से खुद का बचाव करते हुए हिन्दू आईटी सेल पर ‘नफरत और Propaganda’फैलाने का आरोप लगाया है।

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अब ये Hindu IT Cell है क्या जिसने राणा अय्यूब की मुश्किलें बढ़ा दी हैं?

2020 की गर्मियों में भारत ने कोविड महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय लॉकडाउन दिया। नरेंद्र मोदी सरकार ने कुछ पुरानी यादें ताज़ा करने हेतु 1990 के दशक के दो लोकप्रिय टीवी शो महाभारत और रामायण को दूरदर्शन पर फिर से प्रसारित किया। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने घोषणा की कि राज्य प्रसारक लोकप्रिय मांग पर ऐसा कर रहा है। इस बार भी सोशल मीडिया पर हिंदू भावनाओं और देवताओं पर जानबूझकर हमलें ढेरों हमले किए गए और ऐसे लोगों को कानूनी रूप से सबक सिखाने के लिए हिन्दू आईटी सेल बनाया गया

हिन्दू आईटी सेल बनाने के पीछे कौन है?

रमेश सोलंकी और विकास पांडे ने समान विचारधारा वाले 10 अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर देवताओं की रक्षा के लिए “हिंदू स्वयंसेवकों” के रूप में एक साथ आने का फैसला किया है।

“हिन्दू आईटी सेल का उद्देश्य कानूनी शिकायतें दर्ज करना है और “हिंदू विरोधी” टिप्पणी करने वाले सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस से शिकायत करना है।” इस हिन्दू आईटी सेल के संस्थापक सोलंकी ने 2019 में शिवसेना का आईटी सेल  का काम तब छोड़ दिया था जब शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए अपने वैचारिक प्रतिद्वंद्वियों, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन किया। सोलंकी एक प्रसिद्ध हिंदू कार्यकर्ता और भारत भर में एक प्रसिद्ध नेता हैं जो सक्रिय रूप से हिंदू कारणों के लिए आवाज उठाते हैं। उन्होंने भारत से टिक टोक पर प्रतिबंध लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आईटी नियमों में सुधार की मांग को आगे बढ़ाया है।

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वहीं, विकास पांडे 2014 के आम चुनाव में सफल सोशल मीडिया अभियान चलाने के लिए जाने जाते हैं, जहां बीजेपी को शानदार जीत मिली थी और उन्हें उनके समन्वय और कार्य-योजना के लिए श्रेय दिया जाता है।

हाल ही में हिन्दू आईटी सेल ने वामपंथी पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ COVID  राहत के नाम पर धन की धोखाधड़ी करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की है। जनहित के लिए चंदा इकट्टा करने वाले प्लेटफॉर्म Ketto (कीटो)  ने राणा अय्यूब द्वारा चलाए गए चंदा इक्कठा करने के कैंपेन एवं उस चंदे के उपयोग के संबंध में कुछ बड़े खुलासे किए हैं।

राणा अयूब के फण्डरेजिंग कार्यक्रम की सच्चाई और हिन्दू आईटी सेल द्वारा FIR

बता दें कि फण्डरेजिंग कार्यक्रम की सच्चाई को सार्वजनिक करने के लिए हिन्दू आईटी सेल के संस्थापक विकास पाण्डेय और उनकी टीम ने मिलकर राणा अय्यूब के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। आपको बता दें कि, विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम, 2010 के अनुसार इस प्रकार के कार्यों के लिए सरकार से अनुमोदन प्रमाण पत्र/पंजीकरण प्राप्त करना आवश्यक है। शिकायत में कहा गया कि राणा ने FCRA के प्रावधानों का भी उल्लंघन किया है। बता दें कि राणा अयूब के खिलाफ यह प्राथमिकी विकास द्वारा गाजियाबाद के इंद्रपुरम थाने में दर्ज कराई गई शिकायत के आधार की। हिन्दू आईटी सेल ने आरोप लगाया है कि अय्यूब ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म Ketto (कीटो) के माध्यम से “दान हेतुक” अवैध रूप से धन एकत्र किया था। इसके साथ साथ पत्रकार को सरकार की मंजूरी के बिना विदेशी धन भी प्राप्त हुआ। हिन्दू आईटी सेल ने आरोप लगाया कि धन का एक हिस्सा अभी भी लाभार्थियों पर खर्च नहीं किया गया है, जिसकी शिकायतकर्ता ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म Ketto (कीटो) से पुष्टि करने का दावा किया है।

राणा अय्यूब द्वारा Ketto (कीटो) प्लेटफॉर्म के माध्यम से जुटाई गई धनराशि पहले से ही संदेहपूर्ण थी, क्योंकि उन्होंने विदेशियों से धन स्वीकार कर लिया था, भले ही उन्होंने एफआरए के लिए पंजीकरण नहीं कराया था। जानकारी के मुताबिक इन कैंपेन के जरिए राणा अय्यूब ने करीब 2,69 लाख रुपये जुटाए। इसमें से करीब 1.25 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं, जबकि इसके अलावा करीब 90 लाख रुपये का टैक्स भी चुकाना है, जबकि एक बड़ी रकम अभी बाकी है, जिसका अब तक इस्तेमाल नहीं हुआ और इसकी कीमत करीब 54 लाख रुपये है।

राणा अयूब पर कार्रवाही

ऐसे में अब प्रवर्तन निदेशालय भी इस मामले की जांच कर रहा है और इसमें कीटो ने इस मुद्दे पर कहा है कि अब जांच के चलते वह अपने प्लेटफॉर्म पर दान करने वाले लोगों की जानकारी दे रहा है। कीटो ने यह भी कहा है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर एकत्रित धन की पुष्टि नहीं करते हैं। ऐसा नहीं है कि अभी यह मामला सामने आया है। दरअसल, यह मामला तब सामने आया था जब राणा अय्यूब इस अभियान को चला रहे थे।

अय्यूब के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 4 (मनी लॉन्ड्रिंग के लिए सजा) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66D (कंप्यूटर संसाधनों का उपयोग करके धोखाधड़ी के लिए सजा) के तहत आरोप लगाए गए थे। भारतीय दंड संहिता की धारा 403 (संपत्ति का बेईमानी से हेराफेरी), 406 (आपराधिक विश्वासघात के लिए सजा), 418 (धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना) को भी प्राथमिकी में शामिल किया गया था।

विवाद बढ़ने के बाद राणा अय्यूब ने सबसे पहले अपने कीटो कैंपेन को बीच में ही रोक दिया और यह भी कहा कि विदेशियों द्वारा दिए गए पैसे लौटा देंगी। हालांकि,  अभी तक उन्होंने विदेशी दानदाताओं का पैसा वापस नहीं किया है। ऐसे में अब ईडी इस मामले की सीधे तौर पर जांच कर रही है। कीटो इस जांच में ईडी के संपर्क में भी है।

ऐसे में साफ है कि राणा अय्यूब ने कोरोना काल में जो चंदा इकट्ठा किया था, वह धोखाधड़ी से प्रभावित था। ऐसे में अब ईडी उनके खिलाफ जांच कर नियमों की धज्जियां उड़ाने और धोखाधड़ी के मामले में सख्त कार्रवाई कर सकती है और उन्हें जेल की रोटियां भी तोड़नी पड़ सकती हैं।

 

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