“मेक इन इंडिया” के सपने को साकार करने में कैसे मदद कर रहे हैं महिंद्रा के पूर्व MD पवन गोयनका

गोयनका के नेतृत्व वाला SCALE समूह अब 17 क्षेत्रों में सक्रिय है जिसमें खिलौने, कपड़ा, फर्नीचर, ई-साइकिल, ड्रोन और मत्स्य पालन शामिल है।

महिंद्रा के पूर्व MD पवन गोयनका की फोटो

साभार: Moneycontrol

महिंद्रा समूह देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में यह एक बड़ा नाम है। महिंद्रा समूह देश में राष्ट्रीय जरूरत के सामानों से लेकर निर्माण कार्य तक लगभग हर क्षेत्र में रोजगार मुहैया कराता है और देश के विकास में सक्रिय है। महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा अपने राष्ट्रवादी दृष्टिकोण और लीक से हटकर सोचने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। महिंद्रा समूह में वह एकमात्र ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, ऐसा लगता है कि महिंद्रा समूह के शीर्ष अधिकारियों को भी समान कौशल, समर्पण और क्षमताओं के साथ संपन्न किया गया है। आज हम महिंद्रा समूह के उस व्यक्ति के बारे में बात करेंगे जो देशहित में चुपचाप सक्रिय हैं लेकिन उनकी भूमिका बड़े पैमाने पर देश को लाभ पहुंचा रही है। हम बात कर रहे हैं महिंद्रा एंड महिंद्रा के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. पवन गोयनका के बारे में, जो अपने अनुभव से नए आयाम स्थापित कर रहे हैं।

पवन गोयनका पिछले 42 वर्षों तक ऑटो उद्योग में सक्रिय रहे हैं। पहले वह जनरल मोटर्स के साथ 1993 तक जुड़े रहे और फिर महिंद्रा समूह के साथ अप्रैल 2021 तक जुड़े रहे। महिंद्रा समूह के पूर्व प्रबंध निदेशक पवन गोयनका “मेक इन इंडिया” के सपनों को साकार करने के लिए कई पहलों में शामिल रहे हैं। उनके तमाम प्रयासों में से कुछ पहल तो ऐसे रहे हैं जिनका ऑटो उद्योग से कोई संबंध ही नहीं है।

और पढ़े- अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, सरकार ने महिंद्रा डिफेंस को दिया 1350 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट

पवन गोयनका स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के राष्ट्रीय स्तर के प्रयासों में शामिल रहे हैं, जिसने पिछले साल देश में कोरोनावायरस महामारी की चपेट आने से पहले गति पकड़नी शुरू कर दी थी। पिछले डेढ़ वर्षों से गोयनका एयर कंडीशनर जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं, जो उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र से संबंध नहीं रखता है। डॉ. गोयनका ऐसे विविध क्षेत्रों में सप्ताह में दो दिन बिताते हैं और प्रभावी रणनीतियों और नीतिगत बदलावों की कोशिश करते हैं। उन्होंने भारतीय व्यवसायों को स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने, आयात पर निर्भरता कम करने और निर्यात बढ़ाने में मदद की है।

एयर कंडीशनर उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव

महामारी शुरू होने से पहले भारत के एयर कंडीशनर बाजार में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने की कोई ठोस योजना नहीं थी। यहां तक कि स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए 80 फीसदी एसी पुर्जों का आयात किया जाता था लेकिन अब चीजें बदल रही हैं। हाल ही में हिताची, डाइकिन और पैनासोनिक जैसी प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ-साथ वोल्टास और ब्लू स्टार जैसी कंपनियां इसमें प्रमुखता से सामने आई है। भारतीय निर्माताओं ने स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ आयात निर्भरता को 80 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत करने के लिए लगभग 5,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। इस बड़े बदलाव का श्रेय पूरी तरह से पवन गोयनका को ही जाता है।

इससे पहले एसी कंपनियां, भारतीय मैन्युफैक्चरिंग में निवेश करने के लिए तैयार नहीं थीं क्योंकि उन्हें लगता था कि देश के 25,000 करोड़ वाले एसी बाजार में बड़ी मैन्युफैक्चरिंग योजनाओं में निवेश का अवसर नहीं सकता है। यहां पर पवन गोयनका सामने आए और उन्होंने भारतीय निर्माताओं को आयात करने के बजाय भारत में ही जरूरी कलपुर्जे बनाने को कहा। महिंद्रा एंड महिंद्रा के पूर्व एमडी डॉ. पवन गोयनका ने कहा, “एक भारतीय उत्पादक के पास कंप्रेसर के लिए तकनीक नहीं हो सकती है, इसलिए उन्हें आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।”

और पढ़े- आनंद महिंद्रा Vs चीनी ऑटोमोबाइल: अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिका में महिंद्रा ने चीन को जब पीछे छोड़ दिया था

बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास तकनीक है लेकिन वह इसे भारत में नहीं बनाना चाहते हैं। गोयनका ने यहां समझदारी भरा फैसला लिया और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में अधिक कम्प्रेसर बनाने और घरेलू कंपनियों को आयात करने के बजाय सीधे-सीधे उन्हें बेचने के लिए मना लिया। मांग में तेजी हुई तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भी लगा कि भारत में उत्पादन करना उनके लिए लाभप्रद है। अधिकांश बड़े एसी ब्रांडों ने स्थानीय विनिर्माण के लाभों और डॉ. पवन गोयनका के समाधान के कारण स्थानीय विनिर्माण में निवेश करना शुरू कर दिया है।

SCALE अध्यक्ष के रूप में डॉ पवन गोयनका की भूमिका

महिंद्रा एंड महिंद्रा के पूर्व MD डॉ. पवन गोयनका एक अनौपचारिक समूह में भी शामिल हो गए, जिसने 2020 में राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा के बाद आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में काम करना शुरू किया था। पूर्व केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने लॉकडाउन के समय सुझाव दिया था कि CEO अब नीतिगत बदलावों की दिशा में सोचना शुरू करें और ऐसे बदलावों को लाए जिससे चीन विरोधी भावना के बाद भारत को उत्पादन क्षेत्र में बढ़त मिले।

अनौपचारिक समूह को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के मंत्रालय द्वारा आधिकारिक बना दिया गया और The Steering Committee for Advancing Local Value-Add and Exports (SCALE) संचालन समिति का नाम दिया गया। पवन गोयनका के नेतृत्व वाला यह समूह अब 17 क्षेत्रों में सक्रिय है जिसमें खिलौने, कपड़ा, फर्नीचर, ई-साइकिल, ड्रोन और मत्स्य पालन शामिल है।

पवन गोयनका, अंतरिक्ष अनुसंधान और उद्यम

गोयनका ने हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) का नेतृत्व करने का नया कार्यभार संभाला है, जो कि निजी कॉरपोरेट के अंतरिक्ष व्यापार के लिए नियामक तय करती है। इस मौके पर महिंद्रा एंड महिंद्रा के पूर्व एमडी पवन गोयनका ने ट्वीट किया, “आपके बधाई संदेशों के लिए आप सभी का धन्यवाद करता हूँ। मैं भारत सरकार द्वारा यह अवसर दिए जाने पर सम्मानित और उत्साहित हूं। अंतरिक्ष मेरे लिए एक नया क्षेत्र है लेकिन स्पष्ट रूप से एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें लाभ उठाने की जबरदस्त क्षमता है। मेरे लिए सीखने के लिए बहुत कुछ है।”

 

IN-SPACE चेयरपर्सन के रूप में डॉ गोयनका निजी कंपनियों के साथ-साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप के लिए एक बढ़िया अवसर बनाने के प्रयास का नेतृत्व करेंगे। एक ऐसे व्यक्ति के लिए जिसने अपने जीवन के 42 वर्षों को ऑटो क्षेत्र में लगा दिया है और उन्हें अंतरिक्ष क्षेत्र के असाइनमेंट से सम्मानित किया जाना यह दर्शाता है कि नीति निर्माताओं को उनके व्यावसायिक कौशल के साथ-साथ उद्योग की स्थितियों में सुधार करने की उनकी प्रतिबद्धता और क्षमताओं में दृढ़ विश्वास है।

Exit mobile version