उत्तर प्रदेश बन रहा है भारत का सबसे बड़ा निर्यात केंद्र, योगी राज में चमक रही है प्रदेश की छवि

जो उत्तर प्रदेश कभी अपराध के लिए जाना जाता था, वो आज टैक्सटाइल निर्यात के लिए जाना जा रहा है

उत्तर प्रदेश निर्यात

साढ़े 4 वर्षों पहले उत्तरप्रदेश की छवि बीमारू राज्य की थी जहाँ गुंडागर्दी, अपराध और भ्रष्टाचार का बोलबाला था। उत्तर प्रदेश की पहचान ही अपराध और अपराधियों के कारण थी। लेकिन योगी सरकार कार्यकाल में उत्तर प्रदेश निर्यात हब बन रहा है। इस वर्ष अप्रैल-मई महीनों में उत्तर प्रदेश में 21,500 करोड रुपए का निर्यात किया है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान हुए 8,511.34 करोड़ रुपए के एक्सपोर्ट से 152% अधिक है l

उत्तर प्रदेश ने दुनियाभर में टेक्सटाइल, लेदर, शीशे के सामान, जूतों, खिलौना आदि कई वस्तुओं का निर्यात किया है। इस वर्ष, कालीन और टैक्सटाइल फैब्रिक का निर्यात पिछले वर्ष के 247.63 करोड़ रुपये से बढ़कर 744.15 करोड़ रुपये हो गया है। लेदर का निर्यात 79.21 करोड़ रुपये से बढ़कर 493.80 करोड़ रुपए हो गया है।

वही जूतों और खिलौनों के निर्यात की बात करें तो जूतों का निर्यात ₹147.04 करोड़ से बढ़कर ₹742.47 करोड़ हो गया है और खिलौनों का निर्यात ₹26.19 करोड़ से बढ़कर ₹120.83 करोड़ हो गया है। कांच के सामान का निर्यात ₹39.99 करोड़ से बढ़कर इस वर्ष ₹310.77 करोड़ हो गया है।

पहले देश का 70% निर्यात पांच राज्यों द्वारा किया जाता था। गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक l इन पांच राज्यों को समुद्र से समीप होने का लाभ मिलता रहा किंतु उत्तर प्रदेश पिछले 4 वर्षों में एक्सपोर्ट के मामले में तेजी से आगे बढ़ा है। उत्तर प्रदेश का एक्सपोर्ट अभी मूल रूप से दक्षिण एशियाई देशों तक सीमित है जिसमें नेपाल बांग्लादेश जैसे देश उत्तर प्रदेश में बने सामानों का सबसे अधिक उपयोग कर रहे हैं। हालांकि अब राज्य सरकार ने एक्सप्रेस वे का जिस प्रकार पूरे प्रदेश में विस्तार किया है और आने वाले कुछ समय में 5 नए अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और बंद कर तैयार होंगे ऐसे में उत्तर प्रदेश का विदेशी निर्यात और तेजी से आगे बढ़ेगा।

अकेले टेक्सटाइल सेक्टर की बात करें तो 2018 के बाद से प्रदेश में 15 टैक्सटाइल मिल बनी है। 6 नई टैक्सटाइल मिल अगले 3 महीनों में कार्य करने लगेंगे जबकि 10 टेक्सटाइल मिल स्थापित करने के लिए उद्योगपतियों को भूमि आवंटित की जा चुकी है। इन सबके अतिरिक्त जल्द ही उत्तर प्रदेश का डिफेंस कॉरिडोर और आईटी पार्क बंद कर तैयार हो जाएगा। डिफेंस कॉरिडोर आईटी पर न सिर्फ बड़ी संख्या में रोजगार सृजन करेगा बल्कि निर्यात को भी बढ़ावा देगा।

सरकार ने सभी 75 जिलों में विदेशी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए overseas trade promotion and facilitation centres बनाने का निर्णय किया है। यह सेंटर स्थानीय लघु एवं कुटीर उद्योगों को अपने व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने में सहयोग करेगा।

और पढ़ें: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट-मुस्लिम एकता? योगी के खिलाफ वामपंथी मीडिया का एक और प्रपंच

2015-16 में उत्तर प्रदेश जीडीपी रैंकिंग के मामले में भारत में पांचवें स्थान पर आता था जबकि 4 वर्षों के अंतराल में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर आ गया है। 2015-16 में उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय ₹43000 थी, जो अब बढ़कर ₹95000 हो चुकी है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में जहां 2015-16 में उत्तर प्रदेश का स्थान 14वां था, वहीं अब उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है।

वहीं कृषि क्षेत्र की बात करें तो उत्तर प्रदेश सरकार किसान सम्मान निधि आवंटन में भारत में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली सरकार बन गई है। जिस तेजी से उत्तर प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम हुआ है, इसमें नए कृषि सुधार लागू होने के बाद अब किसानों की आय तेजी से बढ़ेगी।

 

उत्तर प्रदेश का वर्तमान विकास और भावी योजनाओं को देखकर यह कहा जा सकता है कि यदि योगी आदित्यनाथ 2022 में पुनः जीत कर आते हैं तो अगले 5 वर्षों में उत्तर प्रदेश भारत की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन जाएगा।

Exit mobile version