मानव तस्करी, अश्लील साहित्य और अमीरों के लिए उदार नियम: Fb के चौंकाने वाला पक्ष

फेसबुक ने एक ऐसा सिस्टम बनाया है जिससे हाई-प्रोफाइल उपयोगकर्ताओं को कुछ या सभी नियमों से छूट प्राप्त है....

मेटा

फेसबुक का इस्तेमाल आप क्यों करते हैं? सम्भवतः अपने जान पहचान के लोगों से जुड़े रहने के लिए, उनके गतिविधियों को देखने समझने के लिए आप इसका इस्तेमाल करते होंगे। अगर आपने ध्यान दिया होगा तो अपने पाया होगा कि फेसबुक पर बहुत सी चीजें ऐसी है, जिसको देखकर आप असहज महसूस करते होंगे। उदारहण के लिए, अपने फेसबुक वीडियोज में ऐसी वीडियो देखी होगी जिसमें प्रैंक के नामपर लड़के लड़की को चूमते है, उन्हें नेगेटिव टच करते हैं। आपने ऐसे पोस्ट भी देखे होंगे जहां खुले तौर पर एकाउंट से गाली दी जाती होगी, किसी व्यक्ति, धर्म, जाति के खिलाफ टिप्पणी की जाती होगी। आपके मन में कभी ऐसा सवाल आया है कि दुनिया का सबसे बड़ा सोशल नेटवर्किंग साइट अपने प्लेटफार्म पर ऐसा कैसे करने देता है? अगर नहीं तो आप सही जगह हैं।

वाल स्ट्रीट जर्नल, जो एक विश्वविख्यात पत्रिका और समाचार एजेंसी है, उसने कई शोधों के आधार पर द फेसबुक फाइल्स नाम से एक खबर छापी है। इस रिपोर्ट के अनुसार फ़ेसबुक Inc, विस्तार से जानता है कि उसके प्लेटफ़ॉर्म खामियों से भरे हुए हैं जो लोगों को नुकसान पहुँचाता है। यह वॉल स्ट्रीट जर्नल की खोज है, जो फेसबुक के आंतरिक दस्तावेजों की समीक्षा पर आधारित है, जिसे अनुसंधान रिपोर्ट, ऑनलाइन कर्मचारी चर्चा और वरिष्ठ प्रबंधन को प्रस्तुतियों के मसौदे के आधार पर बनाये गए हैं।

आइए उस रिपोर्ट के कुछ मुख्य बिंदुओं को समझते हैं-

1) फेसबुक सबके लिए एक समान नहीं है- दुनिया के चौथे सबसे अमीर आदमी और फेसबुक समूह के मालिक मार्क जुकरबर्ग यह कहते हैं कि फेसबुक राजनीति, संस्कृति और पत्रकारिता के अभिजात्य वर्ग के साथ-साथ आम उपयोगकर्ताओं को बोलने की समान अनुमति देता है और सभी पर एक समान कानून लागू होते हैं लेकिन यह कोरा झूठ है।

कंपनी ने एक ऐसा सिस्टम बनाया है जिसने हाई-प्रोफाइल उपयोगकर्ताओं को कुछ या सभी नियमों से छूट प्राप्त है। “क्रॉस चेक” या “एक्सचेक” के रूप में जाना जाने वाला यह कार्यक्रम हाई-प्रोफाइल खातों के लिए गुणवत्ता-नियंत्रण के लिए अलग उपाय अपनाता है। दस्तावेजों की माने तो यह कंपनी के सामान्य नियमों से लाखों वीआईपी को बचाता है। ऐसे ही कई लोग फेसबुक द्वारा दिये गए विशेषाधिकार का दुरुपयोग करते हैं और वो उत्पीड़न और हिंसा के लिए उकसाने वाले सामग्री पोस्ट करते हैं जो आमतौर पर प्रतिबंध के पैमाने है।

2) फेसबुक को मालूम है कि युवतियों के लिए इंस्टाग्राम खतरनाक है- फेसबुक के स्वामित्व वाले इंस्टाग्राम में शोधकर्ता वर्षों से अध्ययन कर रहे हैं कि यह फोटो शेयर करने वाला ऐप लाखों युवा उपयोगकर्ताओं को कैसे प्रभावित करता है। कंपनी ने यह पाया है कि इंस्टाग्राम एक बड़े संख्या के लिए हानिकारक है। इन संख्याओं में विशेष रूप से किशोर लड़किया है।

उनके खानपान से लेकर फॉलोवर की भूख तक, सब उनके स्वास्थ को प्रभावित करता है। जवाब में फेसबुक कहता है कि ऐसे नकारात्मक प्रभाव व्यापक नहीं हैं और फेसबुक के लिए भी मानसिक सेहत अनुसंधान मूल्यवान है। कुछ हानिकारक पहलुओं को संबोधित करना आसान नहीं है।

3) फेसबुक मानव तस्करी और पोर्नोग्राफी पर लगाम लगाना चाहता है लेकिन उसकी कोशिश कमजोर है- वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा किए गए शोध में यह पाया गया है कि मिडिल ईस्ट में मानव तस्करों ने महिलाओं को वैश्यावृत्ति जैसे रोजगार में लाने के लिए इस साइट का उपयोग किया है।

इथोपिया में भी सशस्त्र समूहों ने जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए साइट का इस्तेमाल किया था। फेसबुक दस्तावेजों के अनुसार, अंग बेचने और अश्लील साहित्य के लिए भी फेसबुक का इस्तेमाल किया गया है।

फेसबुक के दस्तावेज यह भी बताते हैं कि उसके द्वारा पारिवारिक सदस्यों के बीच नजदीकी लाने का प्रयास किया गया था। हालांकि, यह दांव उल्टा पड़ गया और अब परिवारों में नफरत और गुस्सा बढ़ गया है।

फेसबुक पर शोध के दौरान यह भी पाया गया कि कोविड महामारी के दौरान कैसे वैक्सीन सम्बंधित भ्रांति फैलाने के लिए फेसबुक का इस्तेमाल किया गया है। फेसबुक भले ही आपको एक नीला सफेद एप्पलीकेशन लगता है लेकिन इसका प्रभाव आपके ऊपर किन तरीकों से पड़ता है, जब आप यह जानेंगे तो पाएंगे कि यह मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य पर कैसे नियंत्रण करता है। वैसे भी कैम्ब्रिज अनाल्टीका के बाद यह साबित हो गया था कि फेसबुक कई अन्य प्रकार से भी आपके डेटा का दोहन करता है।

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