हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अनोखी बैठक का आयोजन किया। इस बैठक की खास बात यह थी कि सीएम योगी आदित्यनाथ इसमें सोशल मीडिया पर विभिन्न बैकग्राउन्ड से आने वाले अनेक इंफ्लुएंसर के साथ के साथ एक बैठक कर रहे थे। इस बैठक के दौरान उन्होंने लुटियंस मीडिया की जमकर धुलाई की, और कहा कि वे उनके प्रोपगैंडा से तनिक भी विचलित नहीं होते, क्योंकि जो देश के प्रति वफादार ही नहीं, उनसे क्या भयभीत होना?
इस वर्चुअल मीट में सीएम योगी ने अपने राज्य के अनेकों कार्यों और उनकी कार्यशैली से संबंधित कई मुद्दों पर अनेकों सवालों का जवाब दिया, चाहे वो कानून व्यवस्था पर हो, महिला सशक्तिकरण पर हो या अयोध्या और मथुरा में मंदिरों के पुनर्निर्माण पर हो। इस वर्चुअल मीट में कई दक्षिणपंथी हस्तियाँ शामिल थे, जैसे यूट्यूबर एलविष यादव, लेखिका शेफाली वैद्य इत्यादि।
अपनी स्पीच के प्रारंभ में ही योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर का अभिवादन स्वीकार करते हुए उनका आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि ये वो लोग हैं जो निरंतर वामपंथियों के फैलाए प्रपंच से जनता की रक्षा करते हैं। इसी के बाद उन्होंने लुटियंस मीडिया की प्रतिबद्धता पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई वामपंथी उनके बारे में क्या सोचता है या क्या बोलता है, क्योंकि वे भली भाँति जानते हैं कि इन लोगों की निष्ठा भारत के प्रति कभी थी ही नहीं।
सीएम योगी यहीं नहीं रुके। उन्होंने सोशल मीडिया के ‘इंफ्लुएंसर’ का महत्व रेखांकित करते हुए कहा कि वे एक ‘अदृश्य सुरक्षा कवच’ है, जो सदैव वामपंथियों के फेक न्यूज और उनके प्रोपगैंडा से देश और देशवासियों की रक्षा करते आए हैं। इसी विषय पर आगे उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर के विषय पर भी अपने शैली में कहा कि सही समय पर इसका भी समाधान होगा। इससे कहीं न कहीं उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में लंबित श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर के पुनरुत्थान के अभियान में सोशल मीडिया की बढ़ने वाली भूमिका को भी रेखांकित किया है।
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योगी आदित्यनाथ का वैसे भी लिबरल मीडिया और बुद्धिजीवियों के साथ छतीस का आंकड़ा रहा है। उनके सनातनी विचारों से वामपंथी पहले ही काफी विक्षुब्ध हैं। जब से वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं, तब से कई माध्यमों से लिबरल मीडिया ने निरंतर प्रयास किया है कि किसी भी भांति योगी सरकार को गिरा सकें।
उदाहरण के लिए 2017 के BRD मेडिकल कॉलेज के केस को ही ले लीजिए। दिमागी बुखार अथवा जापानी एन्सेफलाइटिस के कारण जब 70 शिशुओं की मृत्यु हुई, तो आव देखा ना ताव, वामपंथियों ने तुरंत योगी सरकार को कठघरे में ला खड़ा किया। दिमागी बुखार की समस्या कोई नई बात नहीं थी, परंतु इसके बावजूद वामपंथियों ने जबरदस्ती सीएम योगी को दोषी ठहराने का प्रयास किया। ये और बात थी कि वे इस प्रयास में औंधे मुंह गिरे।
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यह सत्य है कि चोर चोरी से जाये हेरा फेरी से न जाये। अपने आप को तर्क संगत बनाए रखने के लिए वामपंथियों ने योगी की हल्की सी भूल को भी बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना शुरू कर दिया। यदि इतनी ही तत्परता से वे उनके पहले राज्य का शासन संभालने वाले सीएम अखिलेश यादव के भ्रष्ट शासन और उनकी गड़बड़ियों का लेखा जोखा दिखाते, तो शायद ही लोगों को इतनी आपत्ति होती। हालांकि, इससे वामपंथियों के एजेंडे का भी तो जबरदस्त नुकसान होता। ऐसे में जब योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा कि उन्हें वामपंथियों के प्रोपगैंडा से तनिक भी फर्क नहीं पड़ता, तो वे अपनी सोच में स्पष्ट है – बाधाएँ कितनी भी आयें, लक्ष्य से एक कदम भी इधर या उधर नहीं डिगना है।