भारत अगर गोवंश रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, तो सर्वप्रथम राज्यों के आड़े-टेढ़े नियमों को निरस्त करना होगा

किसी राज्य में गौहत्या पर केवल 1000 रुपये है जुर्माना, तो कहीं केवल 6 महीने की जेल का है प्रावधान!

गौहत्या प्रतिबंध

‘गाय हमारी माता है’, ये बात हम सभी ने बचपन में सुनी है। हम सबके मन में गाय के लिए एक अपार श्रद्धा है। इसके पीछे हिन्दू धर्म की मान्यताओं का जितना अधिक योगदान है उतना ही इस चीज का योगदान है कि गाय एक कृषि आधारित देश में रोजी-रोटी और भोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अब तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी यह कहा है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया जाए और गाय का संरक्षण (गौहत्या प्रतिबंध) हिंदुओ के लिए मौलिक अधिकार बना दिया जाए। हाइकोर्ट के इस बयान पर बवाल मचना तो तय था लेकिन कोर्ट ने ऐतिहासिक कारण बताया है और अब जरूरी है कि उन बिंदुओं पर चर्चा हो और गाय को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर काम किया जाए।

भारत में गाय संरक्षण के लिए विभिन्न राज्यों के विभिन्न परियोजनाएं चल रही है लेकिन अब जरूरी है कि एक केंद्र कदम उठाकर गाय के संरक्षण की सारी बहस को खत्म करे।

भारत में आजादी पूर्व से ही गाय को लेकर बहस होती रही है। खुद महात्मा गांधी ने कहा था कि गौहत्या पर प्रतिबंध लगाया जाए। भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने भी कहा था कि देश भर में गाय के संरक्षण के लिए सुझाव आ रहे है, कांग्रेस को जल्द ही इस पर चर्चा करनी चाहिए। संविधान बनने के बाद भारतीय संविधान में अनुच्छेद 48 के तहत राज्यों को यह जिम्मेदारी दी गई कि वह गौहत्या पर प्रतिबंध लगाए। अनुच्छेद 48 के तहत यह नीति बनाने का आदेश दिया गया कि गाय, बछड़े और अन्य दुधारू पशुओं को बचाना राज्य की जिम्मेदारी है। विभिन्न राज्य द्वारा इसी अनुच्छेद को ध्यान में रखकर कानून बनाया गया है। आइए जानते है कि विभिन्न राज्यों में गौरक्षा के लिए क्या प्रावधान है और  कैसे इनमें व्यापक अनियमितताएं हैं

राष्ट्रीय कानून की आवश्यकता

विभिन्न राज्यों द्वारा बनाए गए गौ-हत्या विरोधी अधिनियमों में स्पष्ट रूप से कई विसंगतियां हैं। विभिन्न परिभाषाएं, वास्तविक प्रावधान और दंड कई बार अनावश्यक अराजकता और भ्रम पैदा करते हैं। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर केवल एक समान कानून ही पर्याप्त रूप से गौ संरक्षण सुनिश्चित कर सकता है। यद्यपि गौहत्या पर प्रतिबंध लगाना राज्य का विषय है, अनुच्छेद 249 संसद को राज्य सूची में किसी मामले के संबंध में कानून बनाने का अधिकार देता है।

यदि भारत के राष्ट्रीय नेता गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने के संवैधानिक आदेश को लागू करने के बारे में गंभीर हैं, तो इसका एकमात्र समाधान अनुच्छेद 249 द्वारा वर्णित एक प्रस्ताव पारित करना और एक राष्ट्रव्यापी कानून बनाना है जो गायों और अन्य मवेशियों के वध पर व्यापक प्रतिबंध सुनिश्चित करे।

 

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