वन चाइना पॉलिसी को बर्बाद करने के लिए ताइवान और भारत ने चिप प्लांट के लिए मिलाया हाथ

सेमीकंडक्टर चिप

वैश्विक सेमीकंडक्टर चिप की कमी से दुनिया जूझ रही है। इस वैश्विक संकट के समापन हेतु भारत ताइवान के साथ $ 7.5 बिलियन का अर्धचालक (semiconductor) चिप प्लांट लाएगा। यह प्लांट इस वर्ष के अंत तक अर्धचालक (semiconductor)ों की निर्माण प्रक्रिया शुरू करेगा। भारत वर्तमान में पर्याप्त भूमि, पानी और जनशक्ति के साथ संभावित स्थानों का अध्ययन कर रहा है। भारत 2023 से 50% पूंजीगत व्यय के साथ-साथ इस प्लांट को कर और अन्य प्रोत्साहन प्रदान करेगा। वैश्विक सेमीकंडक्टर (semiconductor) उद्योग का मूल्य 2018 तक लगभग 481 बिलियन डॉलर है और इसमें दक्षिण कोरिया, ताइवान और जापान की कंपनियों का वर्चस्व है, जो भारत के सहयोगी हैं। भारत की इस नीति ने चीन के आर्थिक एकाधिकार पर करारा प्रहार किया है। हालांकि, ताइवान के साथ सीधे संबंध से चीन का विरोध होने की उम्मीद है जो ताइवान को अपनी सत्तावादी ‘वन चाइना’ नीति का एक हिस्सा मानता है।

क्या है अर्द्धचालक (Semiconductor)?

सेमीकंडक्टर या अर्द्धचालक चिप्स के गुण चालक और विसंवाहक (बिजली की धारा रोकनेवाला) के बीच के होते हैं। ये छोटी वस्तुएं पावर डिस्प्ले और डेटा ट्रांसफर जैसे कई प्रकार के कार्य करती हैं। इसलिए, आपूर्ति आभाव का प्रभाव कार, फ्रिज, लैपटॉप, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री पर पड़ता है।

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भारत, क्वाड और ताइवान सहयोग

भारत और ताइवान इस संदर्भ में माल, सेवा और निवेश हेतु एक व्यापक व्यापार सौदे पर चर्चा करने के लिए आधार तैयार कर रहे हैं, वहीं ताइपे में अधिकारी कुछ प्रारंभिक प्रगति दिखाने के लिए निवेश सौदे को संशोधित करने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ-साथ ताइपे के अधिकारी एक द्विपक्षीय निवेश समझौते पर त्वरित प्रगति चाहते हैं जिसमें अर्धचालक (semiconductor) बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दर्जनों उत्पादों पर टैरिफ में कटौती शामिल है।

वैश्विक नेता और बहुराष्ट्रीय निगमों के अधिकारी अर्धचालक (semiconductor) की वैश्विक कमी के बारे में चिंतित है, जिसने कई देशों में विनिर्माण और बिक्री को प्रभावित किया है। अमेरिका में आयोजित Quad सम्मेलन में भी इस पर परिचर्चा हुई। निक्केई ने एक संयुक्त बयान में बताया कि Quad के सदस्य राष्ट्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सेवाओं के लिए लचीला, विविध और सुरक्षित प्रौद्योगिकी आपूर्ति श्रृंखला उनके साझा हितों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे अर्द्धचालक निर्माता क्वाड के दोस्त और चीन के विरोधी हैं। यही कारण है कि क्वाड अर्धचालक (semiconductor) आपूर्ति को लोकतांत्रिक मूल्यों से जोड़ने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि यह चीन को सीधे अर्धचालक (semiconductor) बनाने वाले देशों से अलग करता है।

ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कारपोरेशन (TSMC) दुनिया का सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट चिपमेकर है, जिसके ग्राहकों में Qualcomm, NVidia और Apple शामिल हैं। चिप्स के निर्माण व्यवसाय में TSMC का 56 प्रतिशत हिस्सा है।

आभाव के कारण

संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंध भी एक कारक है, क्योंकि कई अमेरिकी कंपनियां चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करती हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिकी चिप निर्माताओं को आपूर्ति करने वाली हुवावे (Huawei) को डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिकी सरकार ने काली सूची में डाल दिया था। इसके साथ-साथ महामारी के दौरान वाहनों और उपकरणों की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि भी एक कारण रहा है।

आभाव के प्रभाव

सेमीकंडक्टर चिप की कमी ने अरबपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा एक स्मार्टफोन के बहुप्रतीक्षित लॉन्च में देरी की जिसे Google के साथ सह-इंजीनियर किया गया था।

सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में भारत में ऑटोमोबाइल थोक बिक्री में साल-दर-साल 11 फीसदी की गिरावट आई है।

भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजुकी, सेमीकंडक्टर्स की आपूर्ति में कमी के कारण सितंबर में उत्पादन में 60 प्रतिशत की कटौती करेगी।

महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कहा कि वह सेमीकंडक्टर की कमी के कारण सितंबर से उत्पादन में 20-25 प्रतिशत की कटौती करेगी। महिंद्रा अपने ऑटोमोटिव प्लांट्स में सात “नो प्रोडक्शन डे” मनाएगा।

यह कमी भारत में आगामी त्योहारी सीजन के दौरान बिक्री को प्रभावित करेगी।

सरकार और निजी उद्यमों का प्रयास पीएम

मोदी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान सेमीकंडक्टर उत्पादन व्यवहार्यता के बारे में चिप दिग्गज Qualcomm (क्वालकॉम) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) क्रिस्टियानो अमोन के साथ चर्चा की। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सचिव, अजय साहनी के अनुसार- “सरकार को कई सेमीकंडक्टर फर्मों से एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (ईओआई) प्राप्त हुए और अगले छह महीनों में सेमीकंडक्टर्स के लिए और योजनाएँ क्रियान्वित होंगी ।”

टाटा समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने पिछले महीने पुष्टि की थी कि कंपनी सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भी प्रवेश करना चाहती है।

आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की वार्षिक आम बैठक में उन्होंने कहा था, “टाटा समूह में पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण, 5 जी नेटवर्क उपकरण और अर्धचालक (semiconductor) जैसे कई नए व्यवसायों में शामिल हो चुके हैं।”

वेदांत समूह भी रणनीतिक साझेदारी बनाने में रुचि रखता है जो कंपनी को सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रवेश करने की अनुमति देगा।

निष्कर्ष

वैश्विक सेमीकंडक्टर चिप बाज़ार 481 बिलियन डॉलर का है। महामारी के कारण बढ़ती मांग, विश्व समुदाय का चीन के आर्थिक निरंकुशता पर नकेल, अर्द्धचालक निर्माताओं का Quad और भारत के प्रति प्रेम, भारत की भौगोलिक स्थिति, पीएलआई जैसी योजनाओं ने भारत में इस उद्यम के समुचित विकास की नींव रख दी है। अमेरिकी स्मार्टफोन चिपमेकर क्वालकॉम इंक और चीन के गुइझोउ प्रांत के बीच एक संयुक्त उद्यम का 2019 में बंद होना और सॉफ्टवेर क्षेत्र में उसका वर्चस्व भी इसके निर्माण उत्थान में सहयोगी है। अर्द्धचालक चिप के निर्माण में पानी और बालू दो अहम कच्चे माल है। चीन की तड़प का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि गलवान प्रकरण का उद्देश्य चीन द्वारा साफ जल के स्रोत पर अधिकार करना था। मोदी सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति और सैन्य पराक्रम ने उनकी बदनीयत पर पानी तो फेर ही दिया ताइवान के साथ सहयोग ने उसके पराजय को अपमान के स्तर तक पहुंचा दिया। Quad देशों का सहयोग भारत को इस क्षेत्र में नेतृत्वकर्ता के रूप में उभारेगा। यह भारत की आर्थिक जीत और आपदा को अवसर में बदलकर चीन को धूल धूसरित करने की कामयाब तकनीक है।

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