81 करोड़ भारतीयों को टीका लगाने के बाद भारत ने वैक्सीन का निर्यात शुरू किया

दूसरी लहर के दौरान कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण इस कार्यक्रम को रोकना पड़ा था!

वैक्सीन मैत्री के तहत वैक्सीन निर्यात

कोरोनावायरस की खतरनाक दूसरी लहर से निपटने के मकसद से भारत ने कोविड वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगा दी थी। हालांकि, सोमवार को, 81 करोड़ से अधिक भारतीयों का टीकाकरण करने के बाद, भारत ने गरीब देशों में आपूर्ति असमानता को कम करने के लिए अक्टूबर से अपनी प्रमुख वैक्सीन मैत्री पहल को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। हालांकि, वैक्सीन के निर्यात के इस फैसले से टीकाकरण के खिलाफ वामपंथियों ने अपने वैक्सीन विरोधी अभियान को फिर से आरंभ कर दिया है।

भारत का रिकॉर्ड तोड़ वैक्सीन निर्माण

दरअसल, सरप्लस वैक्सीन निर्माण को देखते हुए, भारतीय वैक्सीन निर्माता जैसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) देश में महामारी की दूसरी लहर आने से पहले विकासशील देशों को कोरोनावायरस वैक्सीन खुराक की आपूर्ति कर रहे थे। भारत ने COVAX के माध्यम से 20 जनवरी को वैक्सीन मैत्री के तहत अनुदान सहायता के रूप में कई देशों को आपूर्ति शुरू की थी। इस पहल के माध्यम से 6.63 करोड़ से अधिक वैक्सीन का निर्यात किया गया था। परंतु, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण इस कार्यक्रम को रोकना पड़ा था।

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि भारत के वैक्सीन निर्माताओं को घरेलू अभियान के लिए अक्टूबर में 30 करोड़ से अधिक खुराक का उत्पादन करने की उम्मीद है – और उस सरप्लस आपूर्ति का उपयोग कोविड के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के प्रति देश की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस महीने घरेलू निर्माताओं से 26 करोड़ खुराक मिल रही है। उन्होंने कहा, “आगे समय को देखते हुए, हम उत्पादन बढ़ने के साथ और अधिक खुराक की उम्मीद करते हैं। Biological E और अन्य कंपनियां भी बाजार में अपने टीके लेकर पहुंचेंगी। इसे ध्यान में रखते हुए अगली तिमाही में अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बाद और वैक्सीन उत्पादन को और बढ़ाकर हम वैक्सीन मैत्री को आगे बढ़ाएंगे।”

इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि भारत की बढ़ती उत्पादन क्षमता अपनी मांगों और निर्यात को भी पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी। इसके अलावा, वैक्सीन निर्माण की क्षमता वृद्धि में थोड़ा और निवेश करने से 2022 के अंत में भारत दुनिया का वैक्सीन फैक्ट्री बना जाएगा।

भारत ने 81 करोड़ भारतीयों का किया टीकाकरण

इस महीने की शुरुआत में, भारत ने टीकाकरण प्रक्रिया में रिकॉर्ड बनाते हुए 1 करोड़ से अधिक व्यक्तियों का टीकाकरण कर मील का पत्थर पार किया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारत का कोविड -19 टीकाकरण कवरेज मंगलवार तक 81.85 करोड़ (81,85,13,827) से अधिक हो गया है। मंत्रालय ने बताया कि यह 80,35,135 सत्रों के माध्यम से हासिल किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पहली खुराक के रूप में 33,12,97,757 वैक्सीन खुराक दी गई और 6,26,66,347 वैक्सीन खुराक 18-44 वर्ष के आयु वर्ग में दूसरी खुराक के रूप में दी गईं।

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वैक्सीन के बारे में सवाल उठाने के लिए बीबीसी का प्रचार

वामपंथी मीडिया पोर्टल बीबीसी न्यूज द्वारा प्रकाशित इस मीडिया हाउस ने भारत के टीकाकरण पर सवाल उठाए हैं। “भारत टीकाकरण: क्या इसमें सभी वयस्कों के लिए पर्याप्त खुराक है?” शीर्षक वाले एक लेख में BBC ने भारत सरकार से सवाल किया कि क्या उसके पास भारत की पूरी वयस्क आबादी का टीकाकरण करने के लिए भारतीय खुराक है।

यहाँ ध्यान देने वाली बात यह भी है कि सरकार और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के इस दावे के बावजूद कि कोविशील्ड के लिए कंपनी की जुलाई मासिक उत्पादन क्षमता 110 से 120 मिलियन खुराक के बीच है, मीडिया पोर्टल ने सरकार की आलोचना की। हालांकि, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि भारत की उपलब्धियों पर वामपंथी मीडिया पोर्टल कुंठित हो जाते हैं।

सरकार ने देश की लगभग आधी से अधिक आबादी के टीकाकरण को सफलतापूर्वक कवर कर लिया है। भारत का ‘वैक्सीन मैत्री’ मिशन एक वैश्विक सुपरहिट है, जिसके अनुसार देश दुनिया भर के कई देशों को पहले मुफ्त में और फिर अत्यधिक किफायती कीमतों पर कोविड -19 टीकों की आपूर्ति करता रहा है। अब इसी ‘वैक्सीन मैत्री’ की एक बार फिर से आरंभ हो रहा है।

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