भारत एक वैश्विक Pharma hub है किन्तु medical equipment नहीं बनाता, अब बनाएगा

Zoho Corporation ने मेडिकल डिवाइस कंपनी Voxelgrids में 5 मिलियन डॉलर का निवेश किया है, सरकार भी इस क्षेत्र में कई कदम उठा चुकी है!

चिकित्सा उपकरण भारत

उद्यम और उद्योग के क्षेत्र में भारत का वर्चस्व स्थापित है। आईटी से लेकर अंतरीक्ष तक भारतीय उत्पादों ने सर्वत्र अपना लोहा मनवाया।महामारी ने चिकित्सा उपकरण के क्षेत्र में हमारी कमियों को उजागर किया। अब भारत ने चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा, आधारभूत संरचना और चिकित्सीय उत्पादों के उत्पादन में आशातीत सफलता हासिल की है। कोविड-19 के उस प्रलयस्वरूप परिस्थिति में भारत ने जैसा परिवर्तन और प्रबंधन किया, वह वास्तव में प्रशंसनीय है। चाहे टिकाकरण अभियान हो या पीपीई किट का उत्पादन भारत बहुत कुशल तरीके से एक राष्ट्र के तौर पर इस महामारी से निपटे। इस दौरान हमने चिकित्सा उत्पादों के क्षेत्र में असीम आर्थिक संभावनाओं से सिर्फ अवगत ही नहीं हुए बल्कि अपेक्षित प्रगति भी की। फार्मा क्षेत्र में विश्व को अपनी ताकत दिखाने के बाद अब केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों से भारत चिकित्सीय उपकरण के क्षेत्र न सिर्फ आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है बल्कि एक वैश्विक हब की संभावनाओं को भी समेटे हुए है। हालांकि इस क्षेत्र में सरकार ने पहले ही कई कदम उठाया है परंतु अब कई निवेशक भी सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में जोहो कॉर्पोरेशन ने भी अपना नाम जोड़ा।

Zoho ने किया निवेश

दरअसल, भारत की software-as-a-service फर्म जोहो कॉर्पोरेशन ने बेंगलुरु स्थित मेडिकल डिवाइस कंपनी Voxelgrids में $ 5 मिलियन (लगभग 35 करोड़) का निवेश किया है, जो चुंबकीय इमेजिंग (MRI) स्कैनर बनाती है। निवेश अगले दो वर्षों में दो चरणों में किया जाएगा और जोहो कॉर्पोरेशन के पास वोक्सेलग्रिड्स में लगभग 25% हिस्सेदारी होगी। Voxelgrids की स्थापना मार्च 2017 में अर्जुन अरुणाचलम ने की थी, जिनके पास इस क्षेत्र में लगभग दो दशकों का अनुभव है। उन्होंने पहले अमेरिका में जीई कॉरपोरेट रिसर्च में प्रमुख वैज्ञानिक के रूप में काम किया है।

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बता दें कि भारत दुनिया भर में चिकित्सा उपकरण के शीर्ष 20 बाजारों में से एक है। भारत का चिकित्सा उपकरण का बाजार 2020 में 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले 2024 में इसके 65 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत में चिकित्सा उपकरण के क्षेत्र में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ साथ छोटी और मध्यम आकार की कंपनियां शामिल हैं।

भारत सरकार ने बाजार को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सा उपकरण के क्षेत्र में अनुसंधान-विकास और 100% एफडीआई पर जोर देने के साथ चिकित्सा उपकरण के क्षेत्र को मजबूत करने के लिए विभिन्न पहल शुरू की हैं। अप्रैल 2000 से मार्च 2021 तक, चिकित्सा और शल्य चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में FDI प्रवाह 2.19 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

सरकार ने आयात को कम करने के लिए उठाए हैं कई कदम

हालांकि, भारत चिकित्सा उपकरण के लिए 75-80% आयात पर निर्भर है, जो 2019 में रु.14,802 करोड़ (US $ 2.1 बिलियन) से बढ़कर 2025 में 70,490 करोड़ (US $ 10 बिलियन) तक पहुंचने की उम्मीद है। इसे कम करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इसी क्रम में मेडिकल डिवाइसेस वर्चुअल एक्सपो 2021 में भारत अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेगा और भाग लेने वाले देशों के भारतीय आपूर्तिकर्ताओं और खरीदारों / आयातकों के बीच सीधे संपर्क को सक्षम करेगा। साथ ही, इस आयोजन में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के 300 विदेशी खरीदारों के भाग लेने की उम्मीद है। चिकित्सा उपकरण के निर्माण में निवेश को और प्रोत्साहित करने के लिए, मई 2020 में सरकार ने कम से कम 3,420 करोड़ (US $ 4.9 बिलियन) रुपये के प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा की थी। ये फंड निर्माताओं को तभी दिए जाएंगे जब वे प्रमुख चिकित्सा उपकरण के निर्माण के लिए सेट-अप में निवेश करेंगे।

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2022 तक गौतम बुद्ध नगर, नोएडा में उत्तर भारत का पहला चिकित्सा उपकरण और सिस्टम निर्माण पार्क होने की उम्मीद है। पार्क यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के सेक्टर 28 में यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण द्वारा विकसित किए जाने की संभावना है। इस परियोजना में 100 करोड़ (13.71 मिलियन अमेरिकी डॉलर) केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किए जाने की संभावना है।

जनवरी 2021 में, तमिलनाडु सरकार ने कांचीपुरम जिले के ओरगदम के पास एक c उपकरण पार्क (350 एकड़ में फैला) बनाने का प्रस्ताव रखा। इस परियोजना को विकसित करने की प्रस्तावित लागत 430 करोड़ रुपये (58.92 मिलियन अमेरिकी डॉलर) है। मार्च 2021 में, मुंबई स्थित इन-विट्रो डायग्नोस्टिक कंपनी ट्रांसएशिया बायो-मेडिकल लिमिटेड ने 150 करोड़ रुपये के निवेश योजना की घोषणा की।

तेलंगाना के सुल्तानपुर में मेडिकल डिवाइसेस पार्क में एक विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए 150 करोड़ (US $ 21 मिलियन) की राशि को मंजूरी दी गयी है। इस कंपनी ने घरेलू और निर्यात बाजारों के लिए COVID-19, एचआईवी, डेंगू और टीबी परीक्षण के अलावा जैव रसायन, प्रतिरक्षा विज्ञान, रुधिर विज्ञान, आणविक परीक्षण को सुगम करने के लिए अत्याधुनिक उच्च-प्रौद्योगिकी विश्लेषक बनाने की योजना बनाई है।

कई विदेशी कंपनियों ने किया है निवेश

जापान की ओमरॉन हेल्थकेयर ने 2010 में अपनी भारतीय इकाई स्थापित की थी। 2021 के अंत तक, इस कंपनी की भारत में 10 रिटेल आउटलेट्स की योजना है और दक्षिणी भारत में अपने विस्तार के हिस्से के रूप में वारंगल में एक केंद्र बनाने की योजना है, जहां उसे अपनी बिक्री के 40% संभावित योगदान की उम्मीद है।

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नई दिल्ली स्थित एसएस इनोवेशन भी अगले 4-6 महीनों में भारत के पहले और सबसे सस्ते रोबोट सर्जिकल सिस्टम को व्यावसायिक रूप से लॉन्च करेगी। कंपनी की योजना 2021 में अपने नए स्वदेशी मल्टी-आर्म सर्जिकल रोबोटिक्स सिस्टम की 100 इकाइयों का निर्माण करने की है और अगले पांच वर्षों में 1,000 यूनिट बेचने की योजना है। अप्रैल 2021 में, मेडट्रॉनिक ने भी चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हैदराबाद में एक मेडट्रॉनिक इंजीनियरिंग और इनोवेशन सेंटर (एमईआईसी) का उद्घाटन किया।

अप्रैल 2021 में, रेसमेड ने भारत में क्लाउड-आधारित रिमोट मॉनिटरिंग और मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म ‘एयरव्यू फॉर वेंटिलेशन’ का विस्तार किया, जो स्वास्थ्य पेशेवरों और चिकित्सकों को रोगियों को दूर से ट्रैक करने और बेहतर देखभाल प्रदान करने के लिए इस डिजिटल श्वसन निगरानी समाधान का लाभ उठाने की अनुमति देता है।

अप्रैल 2021 में, एंथिल वेंचर्स ने भारत में कंपनी Kanfit3D का विस्तार करने और देश में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए कस्टम-मेड मेडिकल इम्प्लांट के लिए Kanfit3D (एक इजरायली स्वास्थ्य तकनीक कंपनी) के साथ सहयोग की घोषणा की।

चिकित्सा उपकरण के उत्पादन में ये अभूतपूर्व विकास से भारत की चिकित्सीय महाशक्ति बनने के सपने को संबल मिला है। भारत को बस सतत प्रयासरत रहने की आवश्यकता है। आधारभूत संरचनाओं को सुधारा जाए ताकि देश की उत्पादन क्षमता बढ़े। मानव संसाधन की कार्यकुशलता में भी वृद्धि की आवश्यकता है। सरकार अगर दृढ़-संकल्प और इच्छाशक्ति के साथ निवेश और शोध को महत्व दे तो भारत जल्द ही चिकित्सा के क्षेत्र का सितारा बन कर उभरेगा।

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