संयुक्त थिएटर कमांड : “एक मिनट का समय किसी भी युद्ध का परिणाम बदल सकता है, एक घंटे का समय किसी भी सैन्य अभियान का परिणाम और एक दिन का समय किसी भी साम्राज्यों का भाग्य निर्धारित कर सकता है।” यह शब्द कालजयी हैं। आज जिस तरह से विश्व आगे बढ़ रहा है, उसे देखते हुए युद्ध का क्षितिज भी परिमाण की परिधि से बाहर हो चुका है, इसलिए आवश्यक है कि भारत भी कुछ ऐसा करे जिससे देश भविष्य के लिए तैयार हो सके।
साइबर वॉरफेयर, इंटेलिजेंस वॉरफेयर, फाइनेंसियल वॉरफेयर, ड्रोनवॉर! दुनिया ने पिछले कुछ वर्षों में कई प्रकार की नई युद्ध शैलियों को देखा है। जिसके बाद यह बात पूरे विश्वास के साथ कही जा सकती है कि 21वीं सदी में लड़ा जाने वाला कोई भी युद्ध पारंपरिक युद्ध शैली से नहीं लड़ा जाएगा। वर्तमान समय में युद्धक्षेत्र केवल भूमि, आकाश अथवा जल तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि इंटरनेट से लेकर अंतरिक्ष तक सभी क्षेत्र भावी युद्धभूमि हैं। ऐसे में भारतीय सेना अपने आप को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार कर रही है और इसके लिए तैयार किया जा रहा एक संयुक्त थिएटर कमांड है ।
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इंटीग्रेटेड या संयुक्त थिएटर कमांड 21वीं सदी में लड़े जाने वाले युद्ध की तस्वीर को पूरी तरह से बदल सकता है। इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड, एक संयुक्त कमांड है जिसे आर्मी, नेवी और एयरफोर्स तीनों को सम्मिलित करके बनाया जाएगा। इस संयुक्त कमांड को एक ही सीनियर अधिकारी द्वारा निर्देशित किया जाएगा और इसके लिए संसाधन भी संयुक्त रूप से इस्तेमाल होंगे।
अब तक यह विचार केवल विशेषज्ञों की कमेटी की सिफारिशों तक ही सीमित था किंतु अब इसे वास्तविकता में बदला जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने तय किया है कि थ्री स्टार जनरल के अधीन चार थिएटर कमांड की स्थापना का कार्य शुरू किया जाएगा। इन 4 संयुक्त थिएटर कमांड में में एक एयर डिफेंस से जुड़ा संयुक्त कमांड होगा, एक नौसैनिक गतिविधियों से जुड़ा संयुक्त थिएटर कमांड होगा और दो संयुक्त थिएटर कमांड चीन और पाकिस्तान को ध्यान में रखकर बनाए जाएंगे।
पाकिस्तान को ध्यान में रखकर बनाए जाने वाले पश्चिमी संयुक्त थिएटर कमांड का मुख्यालय जयपुर में होगा, वहीं चीन की सीमा के लिए बनाए जा रहे पूर्वी थिएटर कमांड का मुख्यालय लखनऊ या कोलकाता में होगा। एयरडिफेंस संयुक्त कमांड का मुख्यालय गांधीनगर अथवा प्रयागराज में होगा और मैरिटाइम थिएटर कमांड का मुख्यालय कर्नाटक के कारवार में होगा।
चपलता सुनिश्चित होगा तथा अंतर-सेवा प्रतिद्वंद्विता कम होगा
किसी भी सैन्य अभियान के लिए यह आवश्यक है कि सैनिकों के बीच आपसी तालमेल अच्छा हो और यह तभी संभव है जब उन्हें किसी एक कमांडर द्वारा निर्देशित और नियंत्रित किया जा रहा हो, वह एक ही कंप्यूटर और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े हो, जिससे उनकी आपसी बातचीत सुरक्षित रूप से संपन्न हो सके। उनके बीच सूचनाओं का आदान प्रदान तेजी से और सरलता के साथ हो। साथ ही किसी सैन्य अभियान क पूर्व निरीक्षण और सर्वेक्षण सही तरीके से हो। यह सब कार्य जितनी कुशलता और तेजी के साथ संपन्न होंगे सैन्य अभियान उतना ही अधिक सफल होगा।
वास्तव में, कारगिल युद्ध के दौरान, भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को हराने के लिए “ऑपरेशन विजय” शुरू की थी, जबकि भारतीय वायु सेना (IAF) ने “ऑपरेशन सफेद सागर” नामक एक अलग ऑपरेशन कोड शुरू किया। यही नहीं जब 2001 में संसद पर हमला हुआ था तब भी सेना द्वारा “ऑपरेशन पराक्रम” किया गया था परंतु सैनिकों की धीमी शुरुआत और लालफ़ीता शाही के कारण भारतीय सेना को 5,00,000 सैनिकों LOC पर ले जाने में तीन सप्ताह का समय लगा दिया। अब, यदि कोई सैन्य बल अपने सैनिकों को जुटाने में इतना समय लेता है, तो वह वास्तव में कोई भी ऑपरेशन जीत नहीं सकता है।
एक-एक पल है महत्वपूर्ण
कल्पना करें कि एयरफोर्स पायलट को सर्विलांस के दौरान किसी घाटी में शत्रुओं की सैन्य गतिविधि की सूचना मिलती है तो वह उसे पहले अपने कमांड सेंटर को बताएगा। वहां से सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को जाएगी और एक निश्चित चैनल के जरिए आर्मी को इसकी जानकारी मिलेगी। इसके बाद आर्मी अपनी योजना बनाएगी और तब जवाबी कार्रवाई हो पाएगी। यह सब करने में अनावश्यक ही अधिक समय व्यर्थ होगा। किंतु, यदि एयर फोर्स और आर्मी दोनों किसी एक क्षेत्र विशेष के लिए बनाए गए संयुक्त कमांड के अधीन हो तो पायलट द्वारा दी गई सूचना के तुरंत बाद आर्मी अपनी कार्रवाई शुरू कर देगी।
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एक और उदाहरण से समझे कि संयुक्त थिएटर कमांड क्यों एक बेहतर विकल्प है। अगर कल को लद्दाख क्षेत्र में भारतीय कमांडर अपाचे हेलीकॉप्टर तैनात करने का निर्णय करते हैं तो वहां मौजूद वायुसेना और थलसेना अपनी-अपनी जरूरतों के अनुरूप हेलीकॉप्टर तैनात करेगी। किंतु, यदि दोनों सेनाओं के संसाधन किसी संयुक्त कमांड के अधीन हो तो दोनों कम संख्या में भी अपाचे हेलीकॉप्टर को तैनात करके उसका बेहतर प्रयोग कर सकेंगी और जो हेलीकॉप्टर अतिरिक्त होंगे उन्हें किसी अन्य सैन्य क्षेत्र में तैनात किया जा सकेगा।
संयुक्त कमांड की स्थापना भौगोलिक आधार पर तो होती ही है साथ ही थीमेटिक आधार पर अर्थात एक थीम या विशेष विषयवस्तु के आधार पर भी हो सकती है, जैसे एक संयुक्त एयर डिफेंस कमांड। अगर पंजाब बॉर्डर पर इंडियन आर्मी और एयरफोर्स दोनों को एयर डिफेंस सिस्टम तैनात करने की आवश्यकता महसूस होती है तो संयुक्त एयर डिफेंस कमांड का लाभ दोनों को एक साथ मिल सकता है।
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अब तक भारत के पास केवल दो संयुक्त थिएटर कमांड थी। एक न्यूक्लियर हथियारों से संबंधित कमांड जो आर्मी, नेवी और एयरफोर्स तीनों के परमाणु हथियारों को नियंत्रित करती है और दूसरी संयुक्त थिएटर कमांड अंडमान और निकोबार में है।
दो मोर्चों पर युद्ध परिदृश्य
संयुक्त थिएटर कमांड दो मोर्चों की लड़ाई में भारत के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। संयुक्त सैनिक कमांड युद्ध की स्थिति में तेजी से हमला करने में सक्षम होगी। ऐसे में भारत पाकिस्तान के विरुद्ध अपनी कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रिन का इस्तेमाल कर सकता है, जिसके अंतर्गत भारत की योजना यह है कि 72 से 90 घंटों के भीतर पाकिस्तानी सेना को गंभीर नुकसान पहुंचाया जाए। साथ ही दो मोर्चों की लड़ाई की स्थिति में भारत को अपने सीमित संसाधन बहुत विवेकपूर्ण तरीके से प्रयोग करने होंगे। संयुक्त थिएटर कमांड इस कार्य में बहुत उपयोगी साबित होंगे।
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संयुक्त सैन्य कमांड का विचार सर्वप्रथम 1980 के दशक में के सुब्रमण्यम समिति द्वारा प्रस्तावित किया गया था। किंतु, तात्कालिक सरकार की दुर्बल इच्छा शक्ति के कारण यह कार्य संभव नहीं हो सका। कारगिल युद्ध के बाद बनी कमेटी ने भी संयुक्त सैनिक कमांड का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा था, जिसके बाद 2001 में पहला संयुक्त कमांड अंडमान निकोबार में स्थापित भी हुआ। किंतु, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 2004 के आम चुनावों में हार गयी और उसके बाद UPA सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अब मोदी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण ही यह विचार कमेटी की सिफारिशों से आगे बढ़कर वास्तविकता में बदलने वाला है।