कल्पना कीजिए कि आप किसी दूसरे देश के किसी व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध के शिकार हैं। पुलिस व्यक्ति को कैसे पकड़ सकती है? इसी परिस्थिति की परिकल्पना से एक वैश्विक पुलिस के निर्माण की नींव पड़ी ताकि अपराध राष्ट्रीय परिधि को अपना सुरक्षा कवच ना बना लेl अतः एक अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (आधिकारिक संक्षिप्त नाम ICPO) की नींव पड़ी जिसे आमतौर पर इंटरपोल के रूप में जाना जाता है। यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो दुनिया भर में पुलिस सहयोग और अपराध नियंत्रण की सुविधा प्रदान करता है। इसका फ्रांस के ल्यों में मुख्यालय हैl यह दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन है, जिसमें दुनिया भर में सात क्षेत्रीय ब्यूरो और सभी 194 सदस्य राज्यों में एक राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो हैं।
लोग कल्पना करते हैं कि इंटरपोल वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय अपराधियों, गैंगस्टरों, भगोड़ों और सफेदपोश अपराधियों का पता लगाता है और उन्हें गिरफ्तार करता है। लेकिन बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि पिछले कुछ वर्षों से चीन ने इंटरपोल का दुरुपयोग किया था।
चीन में आर्थिक मजबूती के साथ, शी जिनपिंग प्रशासन द्वारा CCP के खिलाफ बोलने वाले विरुद्ध आधिकारिक कार्रवाई समानांतर रूप से बढ़ी हैं। कम्युनिस्ट सुप्रीमो लोकतंत्र को बर्दाश्त नहीं करते हैं, और वे इंटरपोल का अनुचित फायदा उठा कर अपने खिलाफ बोलने वालों को दुनिया के किसी भी कोने से ढूंग निकालते हैं। अगर यह कहा जाए कि चीन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को व्यवस्थित तरीके से अपने हितों के अनुकूल बनाकर भू-राजनीति में अपने प्रभाव का विस्तार कर रहा है तो यह गलत नहीं होगा।
मोरक्को में उइगर कार्यकर्ता गिरफ्तार
अब एक नयी खबर में चीनी अधिकारीयों के अनुरोध पर एक उत्तर अफ्रीकी देश में इंटरपोल नें एक उइगर कार्यकर्ता को गिरफ्तार कर लियाl बिना किसी कथित जाँच और प्रमाण के गिरफ्तारी CCP के प्रति वफादारी नहीं तो और क्या दर्शाता है? चीन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक को मूक दर्शक में परिवर्तित कर दिया हैl चीन की इस दादागिरी का कारण ये है की इंटरपोल के संरचनात्मक ढांचे में बहुत सारे साम्यवादी स्वामिभक्त अधिकारी विराजमान हैl
शिनजियांग या पूर्वी तुर्केस्तान स्वायत्तता और स्वतंत्रता के लिए अभियान चलाने वाले विदेशी उइघुर कार्यकर्ताओं का भी उदाहरण देख लें। बीजिंग शिनजियांग में आतंकवादी गतिविधियों से उइगरों संबंध का आरोप लगाने में बहुत कम हिचकिचाता है। दरअसल, विश्व उइगर कांग्रेस के प्रमुख डोलकुन ईसा को भी इंटरपोल रेड नोटिस पर रखा गया हैl चीन के सार्वजनिक सुरक्षा उप मंत्री मेंग होंगवेई का 2016 में इसके अध्यक्ष चुने गएl इससे आप चीनी वर्चस्व का अंदाजा लगा ही सकते हैl
रेड नोटिस सिस्टम
चीन पर लंबे समय से इंटरपोल के रेड नोटिस सिस्टम (आरएनएस) का दुरुपयोग करने का आरोप लगता रहा है। आरएनएस चीनी प्रशासन की एक पूर्ण शक्ति है जिससे Interpol अन्य देशों को विदेशों में रहने वाले भगोड़ों को गिरफ्तार करने और वापस करने के लिए कह सकता है। यह स्पष्ट नहीं है कि कितनी बार, इस रणनीति के परिणामस्वरूप अमेरिका ने कैदियों को चीनी अधिकारियों को सौंपा है परंतु यह कहा जा सकता है कि आरएनएस चीन की निर्वासन रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यह सभी अंतरराष्ट्रीय बैंक खातों को फ्रीज करता है और नामित व्यक्तियों के लिए यात्रा प्रतिबंध लगाता है। चीन ने 2015 में ऑपरेशन स्काईनेट के जरिए तथाकथित आर्थिक भगोड़ों के खिलाफ 100 रेड नोटिस जारी किए थे, जिनमें से 51 को पहले ही स्वदेश भेजा जा चुका है।
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तथाकथित आर्थिक भगोड़ों का मतलब वे व्यापारी जिन्होंने साम्यवादी सरकार के निरंकुश आर्थिक नीतियों के बनिस्पत देश छोड़ना उचित समझाl इनमें से 51 को पहले ही स्वदेश भेज जा चुका था और बाकी 35 स्वेच्छिक रूप से चीन लौटने पर सहमत हो गएl पन्नों पर यह सहमति स्वैछिक थी लेकिन वास्तविकता में उनके परिवारजनों को कितना प्रताड़ित किया गया होगा इसका अंदाज़ा हम और आप नहीं लगा सकतेl
उदाहरण के लिए, ऑपरेशन फॉक्स हंट के हिस्से के रूप में पिछले साल चीन द्वारा इंटरपोल के माध्यम से जारी किए गए 100 रेड नोटिस में से एक भी सूचीबद्ध भगोड़ा असंतुष्ट या “आतंकवादी” नहीं था, बल्कि सभी भ्रष्ट अधिकारी हैं।
चीनी अरबपति गुओ वेंगुई नें 2014 में चीन से भागकर अमेरिका में शरण ली और जब उन्होंने चीन की बर्बरता का रहस्योद्घाटन विश्व के समक्ष किया तो चीन ने उनके खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी करवा दियाl यह इंटरपोल के रेड नोटिस सिस्टम के दुरुपयोग का प्रत्यक्ष प्रमाण हैl इतना ही नहीं चीन ताइवान को भी इसका मानद सदस्य नहीं बनाने दे रहा है क्योंकि इससे उसे अपने पोल खुलने का डर है जबकि ताइवान को इस व्यवस्था की सबसे अधिक आवश्यकता हैl
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अंतराष्ट्रीय समुदाय को इस तरफ ध्यान देना चाहिए तथा पुरजोर तरीके से इस संसथान में चीनी वर्चस्व का प्रतिकार करना चाहिए वर्ना चीन की दमनकारी नीति एक वैश्विक आयाम ले लेगीl अंतरराष्ट्रीय पुलिसींग के नाम पर लोकतंत्र, अधिकार, विरोध और कल्याणकारी विचारों को दबाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी हैl अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कुंभकर्णी चिरनिद्रा अभी भी भंग नहीं हुई तो यह अंतरराष्ट्रीय पुलिसींग को अंतरराष्ट्रीय गुंडागर्दी में शीघ्रतशीग्र परिवर्तित कर देगी और इसका मुख्यालय फ्रांस के लयों में नहीं आपके चुप्पी पर टिक होगाl