क्या कांग्रेस पार्टी में अचानक मचे घमासान के पीछ प्रशांत किशोर का हाथ है?

राहुल और PK के बीच कुछ पक तो नहीं रहा!

कांग्रेस पार्टी में एक तरफ वरिष्ठ नेताओं की सुनवाई नहीं हो रही, और भविष्य को लेकर चिंताओं के कारण युवा नेताओं ने अन्य विकल्प खोज लिए हैं। ऐसे में पार्टी में टीम राहुल के कथित युवा नेताओं के खेमे के विस्तार के लिए राहुल गांधी ने कन्हैया कुमार जिग्नेश मेवाणी की एंट्री कराई है; यद्यपि मनीष तिवारी जैसे नेताओं ने कन्हैया के आने का सांकेतिक विरोध भी किया। महत्वपूर्ण बात ये है कि इन दोनों के कांग्रेस में आने के पीछे राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर का गणित माना जा रहा है, जो कि राहुल को क़दम-कदम पर राय दे रहे हैं। वहीं,  एक खास बात ये भी है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरुद्ध जो भी निर्णय किए गए, उसमें राहुल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। ऐसे में ये संभावनाएं हो सकती हैं, कि पंजाब में कैप्टन को किनारे करने से लेकर पार्टी के अस्थिर होने की वज़ह प्रशांत किशोर ही हों।

कांग्रेस में शामिल जिग्नेश कन्हैया

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर ये कहना गलत नहीं होगा कि वो पार्टी की कथित युवा ब्रिगेड में अकेले पड़ गए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर जितिन प्रसाद पार्टी छोड़ भाजपा में जा चुके हैं, तो वहीं मिलिंद देवड़ा और सचिन पायलट जैसे नेताओं ने भी राहुल से दूरी बना रखी है। ऐसे में अब राहुल गांधी ने वामपंथी नेता कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी को पार्टी में शामिल कर लिया है। राहुल इन दोनों को इतना अधिक महत्व दे रहे हैं कि वो पार्टी ज्वाइन कराने में खुद पहुंचे थे। एक तरफ जहां कैप्टन की भाजपा में जाने की संभावनाएं थीं, तो दूसरी ओर राहुल गांधी के प्रिय नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन राहुल उस पूरे मुद्दे से ही दूर रहे।

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राहुल ले रहे सभी फैसले

कांग्रेस में कई वरिष्ठ नेता ये नहीं चाहते थे कि कन्हैया कुमार का पार्टी में शामिल हों, क्योंकि उनका आना राष्ट्रवाद के मुद्दे पर पार्टी को घेरना अन्य पार्टियों के लिए आसान कर देगा। मनीष तिवारी ने तो इसका खुलकर विरोध किया उन्होंने ट्वीट में लिखा, “कुछ कम्युनिस्ट नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें हैं। अब शायद 1973 की पुस्तक ‘कम्युनिस्ट्स इन कांग्रेस’ के पन्ने फिर से पलटे जाएं। लगता है कि चीजें जितनी ज्यादा बदलती हैं, वो उतना ही पहले की तरह बनी रहती हैं, आज इसे फिर से पढ़ता हूं।” भले ही इस मुद्दे पर विरोध हो किन्तु राहुल को कोई फर्क नहीं पड़ा। ये दिखाता है कि राहुल अब पार्टी को अपने हाथ में लेने के लिए लगातार बिना किसी की राय के फैसले ले रहे हैं।

प्रशांत किशोर फैक्टर

एक तरफ जहां राहुल कांग्रेस में कन्हैया को पार्टी में शामिल कराने को आतुर थे, तो दूसरी ओर कन्हैया और जिग्नेश मेवाणी ने पार्टी ज्वाइन करने से पहले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मुलाकात की थी। अब सवाल ये उठता है कि प्रशांत किशोर पार्टी में नहीं हैं, तो उनसे मुलाकात क्यों की गई। इसके पीछे एक बड़ी वजह हो सकती है कि प्रशांत किशोर ही इस मुद्दे पर राहुल को सलाह दे रहे हों, जिससे पार्टी का युवा वर्ग मजबूत हो। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने का भी कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं ने विरोध किया था, क्योंकि वो पार्टी में एक बड़ा पद मांग रहे थे, और बुजुर्ग नेता इिसके लिए तनिक भी राजी नहीं थे, जिसके चलते पीके का पार्टी में शामिल होना अधर में है। इसके विपरीत संभव है कि प्रशांत किशोर बाहर से ही राहुल गांधी को पार्टी की रणनीतिक सलाह दे रहे हों, क्योंकि राहुल अपने बुजुर्ग नेताओं पर ही सर्वाधिक आक्रामक हैं।

पंजाब में कैप्टन के सलाहकार बनकर प्रशांत किशोर ने करीब 6 महीने तक काम किया। ऐसे में वो कैप्टन की कार्यशैली को समझ गए, सलाहकार के पद से इस्तीफा देने के बाद से ही कैप्टन के विरुद्ध दिल्ली में मैदान तैयार होने लगा था, और सिद्धू की राहुल-प्रियंका से होने वाली बैठकों के बाद प्रशांत किशोर के साथ भी बैठक होती थी। ऐसे में संभव है कि पंजाब कांग्रेस में हुई सबसे बड़ी उथल-पुथल की वजह प्रशांत किशोर ही हो, जिनकी सलाहों पर राहुल गांधी को इतना भरोसा है कि वो अपनी मां सोनिया गांधी को भी नजरंदाज कर रहे हैं। संभवतः इसीलिए सिद्धू कन्हैया जिग्नेश जैसे नेताओं को अधिक तवज्जो दे रहे हैं।

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सोनिया भी बैकफुट पर

पंजाब कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपमानित कर पद से हटाने के पीछे सारी भूमिका कांग्रेस नेता राहुल गांधी की थी, स्थिति ये थी कि जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पूरे प्रकरण की जानकारी सोनिया को दी, तो वो असहज होकर सॉरी ही बोल पाईं। स्पष्ट है कि राहुल गांधी अब अपनी मां अर्थात सोनिया की बातों को भी भाव नहीं दे रहे हैं, और राजनीतिक अपरिपक्वता में वो फैसले ले रहे हैं, जो कांग्रेस को मजबूत करने की बजाए अधिक कमजोर कर सकते हैं। इन सबके पीछे राहुल का पीके फैक्टर ही संभव है।

यदि राहुल गांधी के फैसलों में प्रशांत किशोर की सलाहें महत्वपूर्ण हैं तो ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी एक ऐसे व्यक्ति की सलाह पर चल रही है, जो कि आधिकारिक तौर पर कांग्रेस में शामिल भी नहीं है, और पीके के कारण अब कांग्रेस पार्टी में हंगामा मच गया है।

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