जयशंकर ने अपनी शैली में समझाया, शीत युद्ध मानसिकता वाले NATO और आधुनिक QUAD के बीच का अंतर

आज के दौर में चीन सबसे बड़ी चुनौती है और QUAD प्रासंगिक

भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक समूह है, उस समूह का नाम है QUAD। QUAD चतुर्भुज सुरक्षा संवाद अर्थात Quadrilateral Security Dialogue, चार देशों के बीच अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता मंच है। यह समूह भारत-प्रशांत क्षेत्र को ‘स्वतंत्र, खुला और समृद्ध’ सुनिश्चित करने के लिये इन देशों को एक साथ लाता है। 2007 में शिंजो अबे ने इस समूह की अगुवाई की थी जिसे बाद में इन चार देशों की स्वीकृति के बाद मान्यता दे दी गई है। सैन्य और कूटनीतिक मामलों में सुचारू सम्पर्क के लिए इस समूह का निर्माण किया गया है। हालांकि, आलोचकों को इस समूह से दिक्कत है और कई लोगों को यह एशियाई नाटो से ज्यादा कुछ नही लगता है। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मामलें पर लगाम लगाते हुए यह बताया है कि नाटो बीते दिनों की बात है और QUAD भविष्य है।

एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस के दौरान नाटो को एशियाई नाटो कहकर आलोचना करने पर एस जयशंकर ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि वास्तविकता को “गलत तरीके से प्रस्तुत” न किया जाए।

QUAD को ‘एशियाई नाटो’ के रूप में संदर्भित किए जाने के बारे में पूछे जाने पर, जयशंकर ने कहा, “हम खुद को QUAD कहते हैं और QUAD एक ऐसा मंच है जहां चार देश अपने लाभ और दुनिया के लाभ के लिए सहयोग करने के लिए आगे आये हैं।मुझे लगता है कि NATO जैसा शब्द एक शीत युद्ध के दौरान वाला शब्द लगता है। मुझे लगता है कि क्वाड भविष्य का समूह है जिमसें वैश्वीकरण दिखता है, यह एक साथ काम करने के लिए उत्सुक देशों की जिज्ञासाओं को दर्शाता है।”

एस जयशंकर ने यह भी बताया कि QUAD वर्तमान महामारी के दौरान भी टीके, आपूर्ति श्रृंखला, शिक्षा और कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर काम कर रहा था। ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेन ने भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया और भारत के संबंध फिर से सक्रिय हुए हैं, इसलिए QUAD जैसे छोटे समूह, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन या आसियान जैसे क्षेत्रीय मंचो से एक नए सम्बन्धों के दौर को स्थापित कर रहा है। सदस्य आसियान केंद्रीयता और उनके मुद्दों पर एक है और आसियान के उपलब्धियों और लक्ष्यों में सक्रिय रूप से भागीदार हैं। हम इंडो पेसिफिक पर आसियान दृष्टिकोण के व्यावहारिक कार्यान्वयन का समर्थन करते हैं,” पेन ने कहा।

TFI पहले भी बता चुका है कि दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ती के बाद जब विश्व दो धुरी पर बंट चुका था और विश्व अमेरिका और सोवियत खेमे में बंट चुका था तब सोवियत के प्रभाव को रोकने के लिए NATO का निर्माण हुआ था। North Atlantic Treaty Organization नाम का यह समूह सैन्य संगठन था और सैन्य मामलों पर ही इसकी प्रतिक्रिया होती थी। QUAD इसके अलावा भी कई मुद्दों पर काम करता है, जैसे कूटनीतिक सम्बन्ध, वैश्विक परिदृश्य में शांति इत्यादि। QUAD का लक्ष्य सिर्फ यह नहीं है कि कोरोना के बाद चीन को काबू किया जा सके बल्कि यह भी है कि महामारी में साथ आकर कैसे लड़ा जाये।

आज सोवियत संघ नहीं है और रूस से कम खतरे को देखते हुए यह कहा जा सकता है NATO अप्रासंगिक हो चुका है। आज के दौर में चीन सबसे बड़ी चुनौती है। चीन लगातार बॉर्डर तथा South China Sea में विस्तारवादी नीति से अपनी मनमानी कर रहा है। इससे पूरे Indo-Pacific क्षेत्र में भूचाल आया है। मलेशिया, मालदीव, इंडोनेशिया और फिलीपींस, सभी देश चीन के बढ़ते कदम से परेशान हैं। इस समस्याओं को सही तरीके से हल करने के लिए बनाए गए संगठन को किसी पूर्व संगठन से तुलना करके देखना महज मूर्खता मानी जाएगी।

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