कर्नाटक के CM बोम्मई अब राज्य के ब्राह्मणों को वो समर्थन दे रहे हैं, जिसके वे हकदार हैं

आर्थिक रूप से पिछड़े ब्राह्मण छात्रों और किसानों के लिए कर्नाटक ने योजनाएं की शुरू

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सोमवार को आर्थिक रूप से पिछड़े ब्राह्मण छात्रों के लिए मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति सुविधा शुरू की। कर्नाटक राज्य ब्राह्मण विकास बोर्ड (केएसबीडीबी) द्वारा शुरू की गई संदीपनी छात्रवृत्ति का भुगतान छात्रों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से किया जाएगा। कुल 9,206 छात्रों को 13.77 करोड़ रुपये मिलेंगे। इस अवसर पर बोम्मई ने कृषि आधारित व्यवसाय शुरू करने के इच्छुक ब्राह्मण किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए अन्नदाता योजना और ऋण प्रदान करने की पुरुषोत्तम स्वरोजगार योजना को भी हरी झंडी दिखाई।

बोम्मई ने केएसबीडीबी को समर्थन का आश्वासन देते हुए कहा, “आईटी/बीटी क्षेत्र में ब्राह्मण आर्थिक रूप से शक्तिशाली हैं। लेकिन, कई ऐसे हैं जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं।”

‘अरुंधति’ और ‘मैत्रेयी’ नाम की दो योजनाएं भी शुरू की गयी है जो ब्राह्मणों के बीच आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) की दुल्हनों को क्रमशः 25,000 रुपये और 3 लाख रुपये प्रदान करेंगी। अरुंधति योजना के तहत गरीब पृष्ठभूमि की 550 ब्राह्मण महिलाओं को उनकी शादी के लिए 25,000 रुपये प्रदान किए जाएंगे। मैत्रेयी योजना गरीब पृष्ठभूमि के ब्राह्मण पुजारियों से शादी करने वाली 25 महिलाओं के लिए 3 लाख रुपये का वित्तीय बांड देगी, जिसका उपयोग तीन साल में किया जाएगा। मैत्रेयी योजना के तहत 3 लाख रुपये के पूरे बांड का लाभ उठाने के लिए जोड़ों को तीन साल तक विवाहित रहने की आवश्यकता होगी। शादी के प्रत्येक वर्ष के अंत में 1 लाख रुपये की किश्त का भुगतान किया जाएगा।

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बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने जुलाई 2020 में ब्राह्मण बोर्ड की स्थापना की, जिसकी पहली योजना की घोषणा एक महीने बाद ही की गई थी। सरकार ने 25 करोड़ रुपये की बजट राशि आवंटित की थी, जब उसने बोर्ड के निर्माण की घोषणा की थी। एचएस मुर्थी इसके चेयरमैन है।

सरकार ने एक और योजना भी शुरू की है जिसमें पूजा अनुष्ठानों और संध्या वंदना (शाम की प्रार्थना) में प्रशिक्षित लगभग 4,000 व्यक्तियों को 500 रुपये प्रति माह प्रदान किए जाएंगे। इस योजना के लिए आयु सीमा 8-80 वर्ष के बीच है। कर्नाटक की छह करोड़ आबादी में से करीब तीन फीसदी ब्राह्मण समुदाय से हैं।

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गरीब ब्राह्मण परिवारों के छात्रों को छात्रवृत्ति, फीस और यूपीएससी जैसी परीक्षाओं के प्रारंभिक चरण में उत्तीर्ण होने वालों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 14 करोड़ रुपये की सहायता राशि भी दी गयी हैं।

ब्राह्मण विकास बोर्ड की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए, आवेदकों को यह प्रमाणित करना होगा कि उनके पास पांच या अधिक एकड़ कृषि भूमि नहीं है, एक आवासीय फ्लैट जो 1,000 वर्ग फुट से अधिक नहीं है और परिवार की आय 8 लाख रुपये से कम है।

कर्नाटक सरकार का यह कदम अत्यंत प्रशंसनीय है। एक बेहतर समाज, लोकतन्त्र और शासन की सबसे बड़ी पहचान ये है की वो अपने अल्पसंख्यकों के साथ कैसा बर्ताव करते है। भाजपा शासित कर्नाटक राज्य के लोक कल्याणकारी नीतियों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो एक कल्याणकारी राज्य में रहते हुए वे चहुमुखी विकास की ओर अग्रसर है। इन योजनाओं हेतु सरकार को कोटिशः साधुवाद और अभिनंदन।

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