अपनी खोई ज़मीन वापस प्राप्त कर सकते हैं कश्मीरी पंडित

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कश्मीरी प्रवासियों की शिकायतों के लिए लॉन्च किया ऑनलाइन पोर्टल!

कश्मीरी पंडित संपत्ति पोर्टल

कई वर्षों पूर्व अपनी मातृभूमि से पलायन को मजबूर किए गए कश्मीरी पंडित के लिए के खुशखबरी आयी है। जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को कश्मीरी पंडित के लिए उनकी संपत्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए एक पोर्टल लॉन्च किया। देश का मुकुट कहा जाने वाला जम्मू कश्मीर वर्ष 1989-1990 में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और हिंसा का शिकार हो गया था, जिसके कारणवश वहाँ मुख्यतः कश्मीरी पंडित और सिखों का पलायन हुआ था। अब उन सभी कश्मीरी पंडित को पुनः अपने घर जाने का अवसर मिलने वाला है।

संपत्तियों के संबंध में यह निर्णय जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा कश्मीरी पंडित के लिए अचल संपत्ति अधिनियम को पूर्ण रूप से लागू करने का आदेश देने के लगभग एक महीने बाद आया है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 13 अगस्त को इसे लागू करने का आदेश दिया था। सरकार के अनुसार, विस्थापितों की अचल संपत्ति (Immovable Property) से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई के लिए एक पोर्टल बनाया गया है। इसके तहत कश्मीर के विस्थापित कश्मीरी पंडित अपनी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे। पोर्टल पर दाखिल आवेदनों और समस्याओं का राजस्व अधिकारियों द्वारा लोक सेवा गारंटी अधिनियम, 2011 के तहत एक तय समय सीमा में निस्तारण किया जाएगा।

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बता दें कि पलायन के दौरान, हजारों कश्मीरी पंडित को तत्कालीन राज्य में अपनी संपत्ति छोड़नी पड़ी थी, जिन्हें बाद में अतिक्रमण कर लिया गया था या औने-पौने दामों पर बेच दिया गया था।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पोर्टल के लॉंच के दौरान कहा कि, सरकारी आंकड़ों के अनुसार, “44,167 परिवार आधिकारिक तौर पर कश्मीरी प्रवासी परिवारों के रूप में पंजीकृत हैं जिनका विस्थापन हुआ था।” उन्होंने आगे कहा कि राहत संगठन में पंजीकृत 44,000 विस्थापित परिवारों में से 40,142 हिंदू परिवार हैं, 2,684 मुस्लिम परिवार हैं और 1730 सिख समुदाय से हैं। उन्होंने बताया कि, “पोर्टल के ट्रायल रन अवधि के दौरान, 854 शिकायतें मिली हैं। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि बड़ी संख्या में विस्थापित परिवार आज भी न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”

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ऐसे में इस पोर्टल का महत्व और भी अधिक हैं क्योंकि देश में आज भी कश्मीरी पंडित पलायन का दर्द झेल रहे हैं। कश्मीरी पंडित संपत्ति पोर्टल ने धारा 370 हटने के बाद एक और द्वार खोलते हुए सभी विस्थापितों को अपनी घर वापसी का अवसर प्रदान किया है। इससे पहले अगस्त में, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कश्मीरी पंडित के लिए अचल संपत्ति अधिनियम को पूर्ण रूप से लागू करने का आदेश दिया था। सिन्हा ने अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति अधिनियम 1997 का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया।

एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि जो लोग कश्मीरी प्रवासियों के रूप में पंजीकृत नहीं हैं, लेकिन घाटी से भाग गए हैं, वे भी पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कराने के पात्र हैं। अब उन सभी को भी एक वरीयता मिल गई है, जो यह सोच रहे थे कि उनका पंजीकरण न होने के कारण वो वापस अपने घर वापस नहीं जा सकेंगे।

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अब एक नई तस्वीर का आरंभ होने को है, निश्चित ही घाटी की रौनक और चमक उस दिन दोगुनी हो जाएगी जिस दिन सभी विस्थापित कश्मीरी हिन्दू/पंडित अपने घर कूच करेंगे और उसी वातावरण को जियेंगे जो विस्थापन से पूर्व उनका परिवार जीता था।

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