चुनावों में भूमि जिहाद उत्तराखंड का मुख्य मुद्दा है और जनता इसके खिलाफ एकजुट हो गई है

देवभूमि में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या वृद्धि से जनसांख्यिकी में बदलाव का हो रहा है विरोध

भूमि जिहाद

धर्मातंक स्थापन हेतु धर्मानुसंशित युद्ध अर्थात जिहाद जैसी महामारी भी अपने नित नए आयामों से दुनिया को दुख दे रही है। जनमानस की नपुंसकता से यह तेज़ी से वृद्धि कर रहा है। केरल, बंगाल, बिहार होते हुए अब यह उत्तराखंड जा पहुंचा है। इस बार जिहाद रूपी यह महामारी अपने नए स्वरूप में है जिसका नाम है- भूमि जिहाद। प्रेम और प्रजनन जिहाद के बाद जन्में जिहादियों के रहने के लिए जगह के लिए भूमि जिहाद की शुरुआत की गयी।

इसी क्रम में उत्तराखंड के भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर पहाडी क्षेत्रों में मुसलमानों द्वारा पूजा स्थलों की स्थापना पर आपत्ति जताते हुए इसे “भूमि जिहाद” करार दिया है। सरकार ने एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा है कि उक्त बातें उसके संज्ञान में आई है कि “राज्य के कुछ क्षेत्रों में तेजी से जनसंख्या वृद्धि से जनसांख्यिकी में बदलाव आया है जिसका दुष्परिणाम मुसलमानों के अवैध प्रवास के रूप में दिखना शुरू हो गया है।”

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टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, “कुछ जगहों पर सांप्रदायिक माहौल खराब होने की संभावना है। स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार ने डीजीपी, सभी जिलाधिकारियों और एसएसपी को समस्या के समाधान के लिए एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया है। विभिन्न क्षेत्रों में शांति समितियों के गठन का आह्वान किया है। पुलिस और जिला अधिकारियों को ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित करने और असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। उन्हें अन्य राज्यों से आए आपराधिक इतिहास वाले लोगों की जिलेवार सूची तैयार करने के लिए भी कहा गया है।“

अजेंद्र अजय 2018 में फिल्म ‘केदारनाथ’ की रिलीज का विरोध करने के लिए सुर्खियों में आए थे और आखिरकार उत्तराखंड में फिल्म को प्रतिबंधित करने में सफल रहे थे।

अजेंद्र अजय ने भूमि जिहाद के मुद्दे के साथ-साथ पिछले महीने सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ अपनी बैठक में पहाड़ी राज्य में बढ़ते पलायन और उसी धार्मिक समुदाय की आबादी में वृद्धि का मामला भी उठाया था। अजेंद्र अजय ने सीएम को सौंपे पत्र में ‘लैंड जिहाद’ मुद्दे के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने और नए कानून का मसौदा तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री से “आध्यात्मिक और सुरक्षा कारणों” के कारण इस विषय पर ठोस निर्णय लेने का भी अनुरोध किया है।

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अजेंद्र अजय ने आगे दावा किया कि राज्य में एक निश्चित धार्मिक समुदाय के लोगों की अप्रत्याशित आमद हुई है। उन्होंने दावा किया कि ऐसी खबरें आती रही हैं कि समय-समय पर यह समुदाय अपने पूजा स्थलों का “गुप्त रूप से” निर्माण करता है जिससे सांप्रदायिक तनाव होता है।

उत्तरखण्ड देवभूमि है। हिंदुओं की आस्था का निर्विवाद केंद्र है। हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे तीर्थ है तो कुम्भ जैसा आयोजन। जनसंख्या वृद्धि कर किसी प्रकार के जनसांख्यिकी परिवर्तन का प्रयास निश्चित ही निंदनीय है। इससे सांप्रदायिक सौहार्द और सद्भावना बिगड़ेगी।

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