महेश भट्ट – एक फूहड़ विरासत वाला, पर सभ्य फिल्मकार

महेश भट्ट

 

,£आज बॉलीवुड के एक बड़े फिल्मकार का जन्मदिन है। आज फिल्मकार, निर्माता एवं लेखक महेश भट्ट का 73 वां जन्मदिन है। इनका करियर काफी उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है। इन्होंने कभी सारांश, अर्थ, आशिकी, हम हैं राही प्यार के, गुमराह, संघर्ष जैसी कथ्यपरक फिल्में दी थीं, पर इन्हीं के हाथों से मिस्टर एक्स, लव गेम्स, राज़, जिस्म और सड़क 2 जैसी फिल्में भी निकली हैं, जिसमें प्रत्यक्ष तौर पर नहीं तो अप्रत्यक्ष तौर पर इनका बहुत बड़ा हाथ रहा है। महेश भट्ट जैसे व्यक्ति ने अपने ही हाथों से अपनी विरासत का सत्यानाश किया है, और आज उनके जन्मदिन पर हम जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या कारण है जिसके पीछे उन्होंने अपनी ही छवि को अपने हाथों से स्वाहा कर दिया।

महेश भट्ट का जन्म प्रख्यात फिल्म प्रोड्यूसर यशवंत नानाभाई भट्ट एवं शिरीन मोहम्मद अली के यहाँ 1948 में हुआ था। उन्होंने अपने लंबे कार्यकाल में काफी फिल्मों में निर्देशन किया है, और कई फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट भी लिखी है। एक समय पर फिल्मकार महेश भट्ट की गिनती भारत के उन फ़िल्मकारों में होती थी, जो मनोरंजक और कथ्यपरक सिनेमा के बीच सामंजस्य बनाकर रखते हैं।

अपने 45 वर्ष से भी लंबे करियर में फिल्मकार महेश भट्ट का नाता विवादों के साथ काफी गहरा रहा है। अपने समय में उनकी छवि एक रसिक पुरुष की थी, जिनके कई अभिनेत्रियों के साथ संबंधों की खबरें भी आई थी। यहाँ पर ये भी बताना आवश्यक है कि अभिनेत्री परवीन बाबी और महेश भट्ट के बीच में कथित तौर पर अफेयर भी चला, जिसके पश्चात परवीन को कई मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। इंडस्ट्री के ‘विशेषज्ञों’ के अनुसार परवीन की मौत के पीछे कथित तौर पर फिल्मकार महेश भट्ट का हाथ था। इन दोनों के इसी अफेयर पर 2006 में ‘वो लम्हे’ फिल्म भी कथित तौर पर आधारित थी।

ये सब तब हुआ जब महेश अपने बचपन के मित्र लोरेन ब्राइट से विवाहित थे, जिनका बाद में नाम किरण भट्ट रखा गया। इनसे महेश की दो संतानें हुईं – अभिनेत्री और निर्देशक पूजा भट्ट एवं राहुल भट्ट। लेकिन जब परवीन बाबी की समस्याएँ बढ़ने लगी, तो महेश भट्ट ने दोनों को धोखा देते हुए बॉलीवुड अभिनेत्री सोनी राज़दान से विवाह किया।

1990 के दशक में चर्चित मैगजीन स्टारडस्ट के कवर पर फिल्मकार महेश भट्ट ने अपनी ही बेटी पूजा भट्ट के साथ ‘लिपलॉक’ करते हुए फोटो खिंचवाई, जिसपर जमकर हंगामा हुआ, लेकिन इन्होंने न केवल उसे उचित ठहराया, अपितु यह भी कहा, “अगर पूजा मेरी बेटी न होती, तो मैं उससे विवाह कर लेता”।

परंतु महेश भट्ट का सबसे स्याह पहलू निकलकर सामने आया 2000 के पश्चात, जब उनकी रुचि राजनीति में बढ़ी। हालांकि, फिल्मों में उन्होंने खुलकर अपने विचार नहीं ज़ाहिर होने दिए, परंतु ‘दुश्मन’, ‘ज़ख्म’, ‘संघर्ष’ जैसी फिल्मों में वे छद्म तौर पर ही सही, परंतु हिंदुओं के प्रति अपनी घृणा और मुस्लिमों के प्रति अपना अंधप्रेम अवश्य प्रदर्शित करते थे।

महेश भट्ट के मुस्लिम प्रेम पर TFI ने कई विश्लेषणात्मक रिपोर्ट्स भी किये हैं, जिसमें यह भी सिद्ध हुआ कि कैसे महेश भट्ट आतंक समर्थक मौलवी Zakir Naik (ज़ाकिर नायक) के बहुत बड़े समर्थक भी रह चुके हैं। जब जाकिर नाईक को यूके में उसके कट्टरपंथी विचारधारा के कारण घुसने से रोका गया, तो महेश भट्ट उनके समर्थन में कुछ ज्यादा ही आगे निकल गए।

महेश भट्ट के अनुसार, “मैं प्रारंभ में डॉक्टर Zakir Naik (ज़ाकिर नायक) को सलाम करता हूँ कि उन्होंने ब्रिटिश एम्पायर से लोहा लिया है, ये गैरत ईमान से आती है। यदि उनमें खोट होता, तो वे इनसे नहीं लड़ते। हम हिंदुस्तानियों को इनसे सीखना चाहिए, ये हमारी राष्ट्रीय शान है और राष्ट्रीय धरोहर भी”।

ये जानते हुए भी कि ज़ाकिर नाईक ने कितने मुसलमानों को भारत के विरुद्ध भड़काऊ गतिविधियों में भाग लेने के लिए उकसाया है, भट्ट ने जाकिर नाईक को भारत की शान तक कहने की हिमाकत की। अब आप भली भांति समझ सकते हैं कि इनमें 26/11 जैसे दुर्दांत हमले को आरएसएस की साजिश बताने का विचार कहाँ से आया होगा, लेकिन जब इन्हीं के बेटे राहुल भट्ट के संबंध इस हमले की योजना में शामिल दाऊद गिलानी उर्फ डेविड कोलमैन हेडली के साथ पाए गए, तो महेश भट्ट को सांप सूंघ गया।

इतना ही नहीं, महेश भट्ट के अपने से कई गुना छोटी उम्र की अभिनेत्रियों के साथ संबंध की भी खबरें सामने आ चुकी हैं। चाहे मृत अभिनेत्री जिया खान हो, या फिर अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती, भट्ट का निजी जीवन उनके प्रोफेशनल जीवन पर सदैव हावी रहा, और दुर्भाग्यवश उन्होंने इन खबरों का कभी खंडन भी नहीं किया। लेकिन जब सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मृत्यु पर उन्होंने परवीन बाबी वाला पैंतरा चलाने का प्रयास किया, तो सोशल मीडिया पर अनेक लोग बुरी तरह भड़क गए। हालांकि ‘सड़क 2’ OTT पर प्रदर्शित हुई, परंतु इसके औंधे मुंह गिरने के पीछे भट्ट का यही व्यक्तित्व एक महत्वपूर्ण कारण था।

महेश भट्ट अपने आप में एक विचित्र व्यक्तित्व हैं। कभी वे कथ्यपरक सिनेमा को बढ़ावा देते हैं, तो कभी वे ऐसे ही सिनेमा को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों को उनके विचारधारा के आधार पर कोसते हैं। कभी वे धर्मनिरपेक्षता के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करना चाहते हैं, तो वहीं पर वे ज़ाकिर नाईक जैसे जिहादियों को बढ़ावा देते हैं। इसी दोहरे मापदंड ने आज उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है, और आने वाले समय में शायद ही उनका नाम कोई सम्मान के साथ लेगा।

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