पंजशीर में नरसंहार, काबुल में सत्ता-संघर्ष: तालिबान के लिए कब्रगाह साबित हो रहा अफ़ग़ानिस्तान

पाकिस्तानी प्रॉक्सी संगठन हक्कानी नेटवर्क तालिबान का खेल बिगाड़ रहा है!

तालिबान पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान

उत्तर भारत में एक कहावत है, आ बैल मुझे मार। मतलब खुद मुसीबत को निमंत्रण देना। इस समस्या का वैश्विक पटल पर तालिबान और पाकिस्तान जो कर रहे है, वो इसी का उदाहरण है। अब तो ऐसा लगता है कि तालिबान बहुत पहले ही अफ़ग़ानिस्तान से खत्म हो जाएगा क्योंकि जिस प्रकार की स्थिति अफ़ग़ानिस्तान में बन रही है, तालिबान को बस शर्म ही मिल रहा है। तालिबान टुकड़ो में मार खा रहा है और उसे मारने वाले अमरीका और भारत के नहीं बल्कि अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के लोग ही है।

अफ़ग़ानिस्तान और नेशनल रेजिस्टेंस फ़ोर्स के बीच वाले समस्या को पहले समझते हैं। अहमद मसूद और अमरुल्लाह सालेह द्वारा निर्मित NRF इस समय मजबूती से पंजशीर में लड़ रहा है। खबर तो यह भी है कि NRF ने 450 तालिबानियों को मार गिराया है और डेढ़ सौ से ज्यादा लड़ाकों को पकड़ में ले लिया है।

और पढ़े: चीनी Apps को ध्वस्त करने के बाद PM Modi ने शुरू किया चाइनिज फोन के खिलाफ स्वच्छता अभियान

खबर के मुताबिक, तालिबान ने कल रात पंजशीर घाटी में प्रतिरोधी बलों के खिलाफ अपना सबसे बड़ा हमला शुरू किया। 7,800 से अधिक तालिबान लड़ाके और टैंक सहित कम से कम 300 वाहन ऑपरेशन में शामिल थे लेकिन 4 घण्टे में ही इतनी लाशें गिर गई कि तालिबान को पीठ दिखाकर भागना पड़ा। ये तब हुआ जब तालिबान और पाकिस्तान ने दुनिया को गुमराह करने के लिए अफवाह फैलाया। उनकी ओर से कहा गया कि अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद देश छोड़कर ताजिकिस्तान भाग गए है। खबर पर दुनिया भर में आतंकवाद परस्तों को खुशी मिलती, उससे पहले ही वीडियो जारी करके अमरुल्लाह सालेह ने स्पष्ट कर दिया कि वो अभी भी मजबूती से लड़ाई लड़ रहे है। बीबीसी के पत्रकार यलदा हकीम ने उस वीडियो को शेयर भी किया है।

अब आते है दुनिया की दूसरी समस्या पर, ये तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच चल रही है। जहां ताकत है, वहां ताकत के अधिकार पर मनमुटाव भी होगा, इसी बात के लिए तालिबान और हक्कानी नेटवर्क अब आमने सामने दिखाई दे रहे हैं। खबर के मुताबिक तालिबान और हक्कानी नेटवर्क में ताकत के बंटवारे पर समझौता नहीं हो पा रहा है। Sputnik की रिपोर्ट के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान में सरकार गठन में देरी का कारण भी यही लड़ाई है। पाकिस्तानी प्रॉक्सी संगठन हक्कानी नेटवर्क तालिबान का खेल बिगाड़ रहा है, और अफगान सरकार तथा आगामी मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण पदों पर अधिक से अधिक हिस्सेदारी की मांग कर रहा है।

कल काबुल में गोलीबारी की भी खबरें सामने आई हैं। कहा जा रहा है कि यह गोलीबारी तालिबान के दो धड़ो के बीच हुई है। इस आपसी विवाद में अफ़ग़ानिस्तान राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार मुल्ला बरादर को भी चोट लगी है और उसका इलाज पाकिस्तान में चल रहा है।

और पढ़े: कैसे RBI के मास्टरकार्ड प्रतिबंध से VISA, UPI और RuPayको मदद मिल रही है

साथ ही यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पाकिस्तान ने तालिबान को सरकार बनाने में मदद करने के लिए शनिवार की सुबह काबुल में उच्च पदस्थ अधिकारियों की एक पूरी खुफिया और सैन्य टुकड़ी भेजी ताकि उन्हें नियंत्रित किया जा सके। काबुल के लिए उड़ान भरने वालों में आईएसआई प्रमुख फैज हमीद थे।

काबुल में कब्जे के बाद, सत्ता चलाना भले ही आसान लग रहा था लेकिन तालिबान द्वारा अफ़ग़ानिस्तान अमीरात बनाना उतना आसान नहीं है। उनके पास पैसों की कमी शुरू हो गई है। देश के भीतर और बाहर, दोनों तरफ से विरोध हो रहा है और एक संगठनात्मक ताकत के रूप में भी उनमें विद्रोह शुरू हो गया है। ऐसा लगता है कि तालिबान के अंत बहुत पहले ही हो जाएगा। तालिबान भी इस बात को जानता है शायद इसलिए वो भी पूरी ताकत से हमला करना चाह रहा है। ये बात अलग है कि उसके प्रयास को हर बार पंजशीर में कुचल दिया जा रहा है। उधर हक्कानी नेटवर्क ने भी बता दिया है कि वह तालिबान का दाया हाथ नहीं बल्कि उसका बाप है।

Exit mobile version