Modi 2.0: ये आर्थिक नीतियों के मामले में स्वतंत्र भारत में अब तक की सर्वश्रेष्ठ सरकार है

स्वतंत्र भारत में किसी और सरकार की आर्थिक नीतियाँ इतनी पैनी नहीं रही है!

आर्थिक भारत

किसी भी देश के आर्थिक विकास की कहानी 1 या 2 वर्ष में किए गए कार्यों से नहीं लिखी जा सकती। यही बात भारत के वर्तमान आर्थिक विकास के लिए भी लागू होती है। इस वर्ष की प्रथम तिमाही में भारत का आर्थिक विकास दर 20.1% रहा। भारत मैन्युफैक्चरिंगहब के लिए दुनिया में दूसरा सबसे उपयुक्त स्थान बन चुका है। पश्चिमी देश चीन की आर्थिक स्थिति को चोट पहुंचाने के लिए भारत को एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं। सरकार की तमाम योजनाएं जैसे रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म करना, PLI योजना को लागू करना आदि के कारण भारत में निवेश तेजी से बढ़ रहा है। आज अगर इतिहास पलट कर देखा जाएगा तो मोदी सरकार 2.0 स्वतन्त्रता के बाद आर्थिक बदलावों को देखते हुए सबसे बेहतरीन कार्यकाल साबित हुआ है।

लेकिन यह सब बदलाव रातों-रात नहीं हुए हैं बल्कि इसके पीछे मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल में, विशेष रूप से पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा किए गए मजबूत बुनियादी कार्यों का बहुत बड़ा योगदान है।

मोदी सरकार का प्रथम कार्यकाल आर्थिक समावेशन का कार्यकाल था। प्रथम कार्यकाल में शौचालय निर्माण से लेकर गैस की सुविधा तक बहुत से ऐसे कार्य हुए, जो देखने में सामान्य लगते हैं किंतु उनका प्रभाव बहुत व्यापक रहा है। अभी हम केवल उन योजनाओं की बात करेंगे जिनका आर्थिक गतिविधियों पर सीधा प्रभाव देखने को मिला है।

JAM की तिकड़ी का कमाल

देखा जाए तो आर्थिक दृष्टिकोण से मोदी सरकार का पहला सबसे बड़ा कदम जनधन योजना का था जिसके अंतर्गत भारत की एक बड़ी आबादी को बैंकिंग सेक्टर से जोड़ा गया। इस योजना के तहत जीरो बैलेंस अकाउंट के जरीय भारत के गरीब से गरीब व्यक्ति को बैंकिंग सेक्टर से जुड़ने का मौका मिला। भारत में पारंपरिक रूप से गुल्लक या अन्य माध्यमों से पैसे जुटाना आम बात है। इस माध्यम से आम भारतीय अपनी बचत को सुरक्षित रखता है। परंतु, जन-धन योजना ने गरीब से गरीब व्यक्ति को यह मौका दिया कि वह अपनी बचत को बैंकों में सुरक्षित रखें। 7 वर्षों में इस योजना के कारण 43 करोड लोगों के बैंक खाते खुले जिससे अर्थव्यवस्था में 1.46 लाख करोड़ रुपए का आय हुआ।

यहाँ अर्थशास्त्र का एक मूलभूत सिद्धांत समझना आवश्यक है कि अगर ₹10 का एक नोट आर्थिक लेनदेन की प्रक्रिया में 10 बार एक हाथ से दूसरे हाथ में जाता है, तो अर्थव्यवस्था में 100 की वृद्धि करता है। जैसे आपने 10 रुपये के समोसे खरीदे, समोसे वाले ने उस 10 रुपये से मिर्च खरीदी, मिर्च वाले ने उससे पेस्ट खरीदा, आदि इसी प्रकार से 10 हस्तानांतरण अर्थव्यवस्था में 100 रुपये जेनेरेट करेंगे। हमारे देश में पहली समस्या यही थी कि लोग अपने घरों में पैसे रखते थे जिसके कारण घर में जमा पैसे आर्थिक लेनदेन की प्रक्रिया से बाहर हो जाते थे। किंतु, अब जनधन खातों के कारण यह पैसे बैंकों में जमा है जहां यह आर्थिक प्रक्रिया का हिस्सा है।

इसके अतिरिक्त आधार कार्ड को बैंक से लेकर मोबाइल नंबर हर जगह लिंक करने से सरकार के पास लोगों का डेटा उपलब्ध हो गया। बिना इस जानकारी के कोरोना महामारी के दौरान लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाना संभव ही नहीं था। इसके अतिरिक्त डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना यानी DBT से जरूरतमंद लोगों के खातों में सीधे धन का हस्तानांतरण किया गया। कल्पना करें कि भारत जैसे देश में लाखों करोड़ रुपयों का बैंक ट्रांसफर हुआ और घोटाले का एक भी आरोप नहीं लग पाया। यह JAM की तिकड़ी थी जिससे न सिर्फ गरीबों को उनका हिस्सा मिला बल्कि मोदी सरकार अपनी कई योजनाओं को गरीबों तक पहुंचाया। यह सब संभव नहीं हो सकता था यदि इसके लिए मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल में बुनियादी ढांचा तैयार नहीं किया गया होता।

इसके बाद आया नोटबंदी! हालांकि इस कदम को गलत बताने वाले लोग नोटबंदी के एक महत्वपूर्ण परिणाम पर ध्यान नहीं देते। नोटबंदी के पूर्व मोदी सरकार ने कई बार यह सूचना जारी की, कि जिन लोगों काला धन जमा कर रखा है वह सही समय पर सरकार को उसकी जानकारी उपलब्ध करा दें। सरकार उन लोगों पर कार्रवाई नहीं करेगी और उनके बचे हुए टैक्स लेकर उन्हें छोड़ दिया जाएगा। इसके बाद लाये गए नोटबंदी के कारण टैक्स चोरों के मन में सरकारी कार्रवाई का भय बैठा दिया। साथ ही आम जनता के बीच प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता इतनी मजबूत हो चुकी थी कि विपक्ष के लाखों प्रयास के बावजूद उनकी छवि पर कोई आंच नहीं आयी।

IBC के सुधार

इसी तरह रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंटएक्ट के कारण घर खरीदने वालों को आर्थिक सुरक्षा मिली। साथ ही निवेश के लिए भी एक अनुकूल माहौल बन पाया। इसके अतिरिक्त कंपनियों को बैंक्रप्ट होने से बचाने के लिए IBC एक्ट पारित हुआ। इन सब ने भारत में आर्थिक निवेश को सुरक्षित किया। छोटे निवेशकों को सुरक्षा प्रदान की गयी। पूर्व में आए दिन बिल्डिंग या कंपनी के डिफॉल्ट के कारण कई मामले न्यायालय में जाते थे लेकिन मोदी सरकार ने इस समस्या का समाधान कर दिया।

इसके बाद मोदी सरकार ने GST को ला कर भारत की विशालकाय अर्थव्यवस्था को एक सांचे में ला दिया। टैक्स के एकीकरण ने केंद्र को यह शक्ति दी कि वह पूरे भारत के लिए क्रांतिकारी योजनाएं लागू कर सके। भीम एप के जरिये आर्थिक डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया गया।

जैसा कि पूर्व में बताया गया है कि प्रथम कार्यकाल अधिकांशतः लोक कल्याणकारी योजनाओं का कार्यकाल था। लोगों के खातों में सीधे बेनिफिट ट्रांसफर, गैस कनेक्शन, पक्के मकान बनाने के लिए दी जा रही आर्थिक मदद अधिकारियों ने आम लोगों के बीच में प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता को चट्टान की तरह मजबूत बना दिया। प्रथम कार्यकाल में आर्थिक तरक्की के लिए लागू किए गए यह बताते हैं कि मोदी सरकार को सत्ता में अपनी वापसी का पूरा विश्वास था।

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कोरोना ने धीमा किया रफ्तार

अपने दूसरे कार्यकाल में सरकार पूंजीवादी आर्थिक नीतियों को लागू करने वाली थी। किंतु कोरोना महामारी ने इस प्रक्रिया को धीमा कर दिया। हालांकि, इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था बची रही तो उसका श्रेय प्रथम कार्यकाल में हुए सुधारों को जाता है। आप कल्पना करें कि बिना अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण, जनधन योजना, आधार लिंक योजना, DBT के सफल क्रियान्वयन के 140 करोड़ की आबादी के देश को कैसे संभाला जा सकता था। भारतीय अर्थव्यवस्था ने ग्लोबल लॉकडाउन और मंदी के बाद भी केवल 25% की गिरावट देखी यह सरकार की उपलब्धि है। बिना डिजिटलीकरण के भारत का विशालकाय सर्विस सेक्टर कैसे काम करता।

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एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि करो ना महामारी के दौरान भी सरकार ने सार्वजनिक व्यय में कटौती नहीं की। मेडिकल सेक्टर में लगातार अनुसंधान होते रहे। वुहान वायरस को भारत सरकार ने एक अवसर के रूप में स्वीकार किया और भारत में वेंटिलेटर से लेकर पीपीई किट तक, सभी आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन शुरू हो गया। मोदी सरकार ने इकॉनमीक मैनेजमेंट कितनी कुशलता के साथ किया है इसका अनुमान इसी बात से होता है कि जिस समय सरकार को 80 करोड़ लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी थी उसी समय भारत की उत्तरी सीमा पर चीन के साथ युद्ध जैसे हालात बने हुए थे।

एक ओर लोगों को आर्थिक मदद देनी पड़ रही थी, दूसरी ओर हजारों फीट की ऊंचाई पर सेना को सप्लाई पहुँचानी पड़ रही थी। महामारी के दौरान, मोदी सरकार ने स्थिति को बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित किया और इस अवसर का उपयोग कृषि, श्रम और पूंजी पर संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए किया। इसके अलावा, demand-side की भ्रांति में पड़ने और लोगों के हाथों में पैसा डालने के बजाय, सरकार ने पूंजीगत व्यय के लिए राजकोषीय संसाधनों का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया कि एक चक्र विकास हो।

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वर्तमान समय में यदि WISTRON से लेकर एप्पल तक हर बड़ी कंपनी भारत में निवेश कर रही है। कार्यकाल में हुए बैंकिंग सुधारों, GST, डिजिटाइजेशन आदि के कारण आज फूड प्रोसेसिंग से लेकर स्टील सेक्टर तक PLI योजना लागू हो रही है तो जिससे भारत का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। पिछड़े से पिछड़े इलाके के किसान को बैंकिंग की मुख्यधारा में लाने के कारण ही कृषि क्षेत्र में निजी निवेश से ऐच्छिक परिणाम निकलने की संभावना बन रही है। भारत में तेजी से आईटी इंडस्ट्री, ऑटोमोटिव सेक्टर, माइनिंग सेक्टर का विस्तार हो रहा है। जिस तेजी से एक्सप्रेस वे बन रहे हैं, रेलवे का आधुनिकीकरण हो रहा है, एयरपोर्ट बन रहे हैं, बंदरगाहों को निजी निवेश के जरिये आधुनिक बनाया जा रहा है, उससे कनेक्टिविटी की समस्या सुलझ रही है। नवीनतम सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े और पूर्व-महामारी स्तर से ऊपर की व्यावसायिक गतिविधि का पुनरुद्धार मोदी सरकार के प्रयासों और रणनीति का एक संकेत है और उम्मीद है कि यह देश को बहु-वर्षीय दोहरे अंकों के growth trajectory दिखेगा। निश्चित रूप से मोदी 2.0 सरकार, आर्थिक मामलों में भारत की किसी भी पूर्ववर्ती सरकार से अधिक सक्षम और सफल है।

अब जबकि कोरोना पूर्णतः नियंत्रण में है और वैक्सीनेशन भी तेजी से आगे बढ़ रहा है, ऐसे में इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि भारत आने वाले समय में 5 ट्रिलियन इकॉनमी के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ेगा।

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