मोदी सरकार Bad Bank की स्थापना करने जा रही है जो बैंकिंग क्षेत्र में क्रांति लाएगा

बैड बैंक योजना का उद्घाटन

साभार: Moneycontrol

मोदी सरकार बैड बैंक की स्थापना करने जा रही है

पिछले कुछ वर्षों में बैंकिंग सेक्टर की सबसे बड़ी समस्या बनकर जो चुनौती सामने प्रस्तुत हुई है वह है ‛Bad Debt’ या NPA की। Bad Debt या बैड लोन ऐसे लोन को कहा जाता है, जिनके मूलधन या ब्याज का भुगतान लोन लेने वाले व्यक्ति द्वारा बैंक को नहीं किया जा रहा हो। कोई व्यक्ति या संस्था बैंक से लोन लेने के बाद 3 माह तक किश्त न जमा करे तो बैंक उसके लोन को NPA या बैड लोन की श्रेणी में डाल देता है। सरकार ने एनपीए की समस्या को समाप्त करने के लिए बैड बैंक स्थापित करने का निर्णय लिया था। इससे जुड़ी आधिकारिक घोषणाएं 16 सितंबर को कर दी गईं।

सरकार ने National Asset Reconstruction Company Ltd बनाने का निर्णय किया है जिसे बैड बैंक कहा जा रहा है। इसकी घोषणा बजट सेशन के दौरान हो चुकी थी और अब इसके आधिकारिक स्वरूप से इसके बारे में सरकार ने आम लोगों को अवगत कराया है। NARCL का काम यह होगा कि वह बैंकों से नॉन परफार्मिंग एसेट खरीद लेंगे। बैंक जो लोन उपलब्ध कराती है, वह बैंक का एसेट होता है। एसेट ऐसी संपत्ति है जिससे बैंक को लाभ होता है। लोन भी एक प्रकार की एसेट है क्योंकि लोन देकर बैंक भी उससे लाभ कमाते हैं। लेकिन जब कोई एसेट नॉन परफॉर्मिंग बन जाए, अर्थात लोन पर मिलने वाले ब्याज की किश्त या मूलधन, बैंक को कुछ भी प्राप्त ना हो तो ऐसे लोग को एनपीए की श्रेणी में रख दिया जाता है।

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क्या होते है बैड बैंक?

सरकार बैड बैंक के जरिये इन लोन को खरीद लेगी। जैसे किसी बैंक के पास 10 हजार करोड़ रुपए का है NPA है। तो सरकार 10,000 करोड़ के NPA का 15% स्वयं भुगतान करेगी। फिर NPA के तहत आ चुके लोन कि वसूली का काम सरकार स्वयं करेगी, जिससे बैंकों पर बोझ न बढ़े। बैंकों पर बढ़ते NPA के कारण बैंकिंग सेक्टर फंड की कमी से जूझने लगते हैं, अतः सरकार बैंकों को डूबने से बचाने के लिए स्वयं लोन की राशि का भुगतान करके वसूली का काम अपने हाथ में ले लेगी।

भारत में बैंक डिपॉजिट अर्थात बैंकों में जमा धनराशि अन्य देशों की तुलना में आनुपातिक रूप से अधिक है। भारत का डिपॉजिट और GDP अनुपात 49.5% है, जो चीन के GDP अनुपात 44.95% से अधिक है। अर्थात भारतीयों द्वारा बैंकों में पैसे अधिक मात्रा में जमा किए जाते हैं। इन पैसों का प्रयोग लोन देने में होता है। क्योंकि भारतीय अधिक संख्या में बैंक डिपॉजिट रखते हैं, ऐसे में लोन का अनुपात भी अधिक होना चाहिए और लोन पर लाभ अनुपात में अधिक होना चाहिए। किन्तु ऐसा नहीं है। बैंक लोन का पैसा देकर फंस जाते हैं, जिससे उनके डूबने की स्थिति बन जाती है। यही कारण है कि अधिक बैंक डिपॉजिट के बाद भी RBI को लोन पर ब्याज दर ऊंची रखनी पड़ती है।

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इससे क्या होगा फायदा?

अब बैड बैंक के कारण केंद्र सरकार ने बैड लोन की वसूली का काम स्वयं ले लिया है। यदि बैंक पैसे देकर फँसते भी हैं तो भी सरकार उनसे एनपीए खरीदकर, उनको वित्तीय संकट से बचा सकेगी। सरकार ने 30,600 करोड़ की संप्रभु गारंटी दी है। सरकार किसी भी बैंक को इतनी धनराशि का भुगतान करने को तैयार है। सरकार का वर्तमान लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में दो लाख करोड़ के NPA खरीदने का है। सरकार का यह फैसला भारतीय बैंकिंग सेक्टर को क्रांतिकारी रूप से बदल देगा। विश्व के 100 बड़े बैंकों में केवल एक भारतीय बैंक, SBI ही मौजूद है। बैंकिंग सेक्टर अपना विस्तार नहीं कर पा रहा है।

लोन लेना उपभोक्ताओं के लिए एक चुनौती है। किंतु सरकार इन सब समस्याओं का समाधान लेकर आई है। एक बार बैंक एनपीए के झंझट से मुक्त हो गए तो कार लोन, होम लोन, नया व्यापार शुरू करने के लिए लोन आदि लोगों को आसान किश्तों पर मिल सकेंगे। ऐसे में अर्थव्यवस्था में मौद्रिक तरलता बनी रहेगी और ऑटोमोबाइल सेक्टर, रियल एस्टेट आदि का तेजी से विस्तार होगा। नए व्यापार शुरू करने में सुविधा पूरी अर्थव्यवस्था का कायाकल्प कर सकेगी।

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