‘दत्तात्रेय पीठ के गर्भगृह में मुस्लिम फकीर जाने योग्य नहीं’, HC ने पलटा कांग्रेस सरकार का आदेश

दत्तात्रेय पीठ की फोटो

PC: newstracklive

दत्तात्रेय पीठ: कांग्रेस ने देश के सामाजिक ताने-बाने में ऐसे बीज डाले हैं, जो कि मुख्य तौर पर मुस्लिम तुष्टिकरण का ही पर्याय है। इसका नतीजा ये है कि हिन्दू मुस्लिम समुदाय के बीच आपस में हमेशा ठनी रहती है। कुछ ऐसा ही कर्नाटक में 2018 में तत्कालीन कांग्रेस शासित सिद्धारमैया सरकार ने भी किया था, और मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के तहत बाबा बुदनगिरि पर्वत गुफा की दत्तात्रेय पीठ के धार्मिक स्थल के पुजारी के तौर पर एक मुस्लिम की नियुक्ति का प्रावधान किया था। वहीं, अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने सिद्धारमैया के फैसले को रद्द करते हुए इसे सूफ़ी धार्मिक स्थल करार दिया है, जिसमें हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों की आस्था है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद भाजपा ने ख़ुशी ज़ाहिर की है, वहीं स्पष्ट ये है कि अब इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का मुस्लिम तुष्टिकरण नहीं हो सकेगा।

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कांग्रेस सरकार का निर्णय रद्द

दरअसल, वर्ष 2018 के कांग्रेस सरकार के आदेश में कहा गया था कि केवल कोई मुस्लिम ही इस दत्तात्रेय पीठ का मुजाविर बन सकता है, और गर्भगृह में जा सकता है। अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने इसे रद्द करते हुए अपने फैसले में कहा है कि ‘श्री गुरु दत्तात्रेय स्वामी पीठ’ को ‘श्री गुरु दत्तात्रेय बाबा बुदनास्वामी दरगाह’ के रूप में भी जाना जाता है, इसलिए गुफा हिंदुओं और मुसलमानों दोनों का ‘तीर्थ’ या पवित्र स्थल है, इसलिए दोनों को ही वहां जाने की अनुमति है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि ‘तत्कालीन राज्य सरकार का यह आदेश दोनों समुदायों (हिंदू और मुस्लिम) को संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है’।

इतना ही नहीं, HC के आदेश में यह भी कहा गया है कि मैसूर पुरातत्व विभाग, 1932 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, श्री गुरु दत्तात्रेय स्वामी पीठ बाबा बुदनगिरी में एक छोटी सी गुफा है, जो हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के लिए पवित्र है। आदेश में कहा गया है कि बंदोबस्ती आयुक्त की रिपोर्ट ने सही दर्ज किया था कि श्री दत्तात्रेय ब्रह्मा के पुत्र महर्षि अत्रि और उनकी सहधर्मिणी अनुसूया के पुत्र थे।

अजीबो-गरीब था फैसला

बंदोबस्ती आयुक्त की रिपोर्ट में बताया था कि मैसूर के तत्कालीन महाराजा द्वारा 1,861 एकड़ भूमि श्री दत्तात्रेय देवारू को और 111.25 एकड़ श्री बाबा बुदन धारगा को अलग से प्रदान की गई थी। बंदोबस्ती आयुक्त की रिपोर्ट 10 मार्च, 2010 को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, जिसमें सुझाव दिया गया था कि मंदिर की प्रबंधन समिति द्वारा एक हिंदू अर्चक या पुजारी को नियुक्त किया जाए। वहीं, अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत था।  वास्तव में चुनाव के मद्देनजर ही मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वहां मुजावर की नियुक्ति की थी।

इसके साथ ही न्यायमूर्ति पी एस दिनेश कुमार ने कहा कि ‘सरकारी आदेश में एक केवल एक मुजावर (वह मुस्लिम फ़कीर जो दरगाह का चढ़ावा लेता है) को गुफा के गर्भगृह में प्रवेश करने और हिंदुओं एवं मुसलमानों दोनों को ‘तीर्थ’ (चरणामृत) वितरित करने की अनुमति दी गई है’।

 

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दशकों का है विवाद

दरअसल, भारत में पहली बार चिकमगलूर में कॉफी की खेती की गई थी और इसके पहाड़ पश्चिमी घाट का एक हिस्सा हैं जो तुंगा और भद्रा जैसी नदियों का स्रोत है। चिकमगलूर में कई पर्वत हैं जिनमें से एक दत्ता पीठ है जिसे बाबा बुदन गिरि के नाम से भी जाना जाता है। दत्ता पीठ का ये मंदिर चंद्र द्रोण रेंज पर है, जो हिमालय और नीलगिरी के बीच सबसे ऊंची चोटियों में से एक है। दत्तागिरी पर्वतीय श्रंखला (इनाम दत्तात्रेय पीठ) के नाम से जानी जाने वाला यह स्थान 1895 मीटर की ऊंचाई पर है। यह शहर से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर है तथा हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए ये एक तीर्थस्थल है।

इसका  इतिहास यह है कि यहां एक सूफी संत बाबा बुदन पहली बार यमन से कॉफी के बीज लाए थे और इसके पौधे को यहां उगाया था। तब पहली बार भारत के लोगों ने कॉफी का स्वाद चखा था। इस जगह को हिंदू और मुस्लिम दोनों पवित्र स्थल मानते हैं। इस दत्ता पीठ पर विवाद साल 1927 से है। इसकेे विपरीत राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा 6 अप्रैल, 1973 को आपातकाल घोषित होने से ठीक पहले इस स्थान पर कब्जा कर लिया गया था। ऐसे में कर्नाटक हाईकोर्ट ने केवल इस विवाद को सुलझाने की ओर कदम बढ़ाए, अपितु मुस्लिम तुष्टिकरण के मुद्दे पर कांग्रेस की पूर्व सिद्धारमैया सरकार को लताड़ा है।

कांग्रेस पर हमलावर भाजपा

वहीं हाईकोर्ट के इस फैसले का भाजपा ने स्वागत किया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और चिकमगलूर विधायक सीटी रवि ने ट्वीट कर लिखा, “हिंदुओं के लिए बहुत बड़ी जीत। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सरकार को दत्तात्रेय पीठ में हिंदू पुजारियों को नियुक्त करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति नागमोहन दास समिति की पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट को खारिज करने के उच्च न्यायालय के फैसले का मैं स्वागत करता हूं।” वहीं इस मामले में सीटी रवि ने एक बार फिर सिद्धारमैया की तुष्टिकरण की नीति पर हमला बोलते हुए कहा कि सिद्धारमैया ने मौलवी की ही नियुक्ति करने का एक तरफा आदेश देकर मुस्लिम तुष्टिकरण को बल दिया था।

कर्नाटक हाईकोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति करने वाली कांग्रेस को झटका दिया है, जो कि हिन्दू हितों के साथ समझौता करने वाले फैसलों के लिए कुख्यात है। इतना ही नहीं ये फैसला उन लोगों के लिए भी झटका है, जो कि हिन्दू मुस्लिम विवादों से जुड़े मुद्दे पर हर बार मुस्लिमों के वोटों के चक्कर में हिन्दुओं के साथ पक्षपात करते हैं।

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