“अब अस्तबल में नहीं डिफेन्स काम्प्लेक्स में रहेंगे रक्षा अधिकारी”, PM मोदी ने सेंट्रल विस्टा के आलोचकों को दिया जवाब

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनने वाले आधुनिक रक्षा कार्यालय परिसर का PM ने किया उद्घाटन

रक्षा कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन करते मोदी जी

16 सितम्बर, 2021 गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिकार्ड तोड़ समय में बने नए रक्षा कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया l नया रक्षा कॉम्प्लेक्स सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा है। रक्षा मंत्रालय अभी भी घोड़ो के अस्तबल में स्थित था, अब उसे बदलकर दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने उन सभी आलोचकों को निशब्द कर दिया, जो इस महत्वकांक्षी परियोजना का विरोध कर रहे थे। सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के रूप में, रक्षा मंत्रालय के 7,000 से अधिक कर्मचारी साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लॉक के आसपास मौजूदा पुरानी इमारतों से उठकर नए रक्षा कॉम्प्लेक्स में चले जाएंगे।

रक्षा कॉम्प्लेक्स के अंतर्गत बने दो नए परिसर, अफ्रीका एवेन्यू और कस्तूरबा गांधी मार्ग पर 9.5 लाख वर्ग फुट के संयुक्त क्षेत्र में स्थित हैं। इसमें से 4.52 लाख वर्ग फुट कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित है जबकि शेष 5.08 लाख वर्ग फुट अफ्रीका एवेन्यू में है। नए रक्षा कॉम्प्लेक्स को पर्यावरण के अनुकूल, हरित भवनों के रूप में डिजाइन किया गया है और इसमें 1,500 से अधिक कारों के लिए बहु-स्तरीय कार पार्किंग भी बनाई गई है।

रक्षा मंत्रालय के एक अफसर ने बताया, “यह हमारे लिए बहुत बड़ी बात है। आजादी के बाद से, हमारे कई कर्मचारी झोपड़ियों में ही रहे हैं। पहली बार, वे उचित कार्यालयों में जाएंगे। साउथ ब्लॉक के बाहर, यह रक्षा मंत्रालय का सबसे बड़ा कार्यालय स्थान होगा, सारे बिखरे हुए कार्यालय एक स्थान पर आ रहे हैं जो अधिक दक्षता सुनिश्चित करेगा।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा, “नए रक्षा कॉम्प्लेक्स परिसर हमारे सशस्त्र बलों के काम को अधिक सुविधाजनक और अधिक कुशल बनाने के हमारे प्रयासों को मजबूत करेंगे। जिन झोपड़ियों में कार्यालय चल रहे थे, उनका निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान घोड़ों और बैरकों के लिए अस्तबल की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था।”

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PM ने आगे कहा, “आजादी के तुरंत बाद जो चीजें की जानी चाहिए थी वह 2014 के बाद शुरू हुई। हमने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने के बाद तुरंत सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट शुरू किया। हमने सबसे पहले अपने बहादुर सैनिकों और शहीदों को याद किया है।”

वर्तमान में दिल्ली में स्थित देश के बड़े सैन्य कार्यालय उन अस्तबल, कच्चे घर और झोपड़ियों में स्थित हैं, जिनका निर्माण द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान घोड़े रखने के लिए किया गया था। कुछ झोपड़ियां 75 वर्ष से अधिक पुरानी हैं। यहां तक ​​कि जिन लोगों ने झोंपड़ियों का निर्माण किया था, उन्होंने भी कल्पना नहीं की होगी कि वे अब तक बनी रहेंगी।

मौजूदा रक्षा कॉम्प्लेक्स परिसर 13 एकड़ में फैला हुआ है। पुराना परिसर 50 एकड़ में फैला हुआ था। खाली किए गए क्षेत्र को सेंट्रल विस्टास पुनर्विकास परियोजना के लिए सौंप दिया जाएगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आलोचकों पर भी जमकर बरसे, जो एक लंबे समय से इस परियोजना की आलोचना कर रहे हैं।

PM मोदी ने कहा, “आज देश देख रहा है कि हम सेंट्रल विस्टा के साथ क्या कर रहे हैं। ये आधुनिक कार्यालय राष्ट्रीय सुरक्षा के काम से जुड़े लोगों को प्रभावी ढंग से काम करने में मदद करेगा l यह राजधानी में एक आधुनिक रक्षा एन्क्लेव के विकास की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है।”

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सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के आलोचकों पर निशाना साधते हुए PM ने कहा: “लोगों को उन लोगों के बारे में सोचना चाहिए जो दिन-रात हमारे सभी कामों की आलोचना करते रहते हैं … दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर, 62 एकड़ भूमि पर झोपड़ियों का कब्जा था। हमने उन्हें स्थानांतरित कर दिया और आधुनिक सुविधाओं वाले ये कार्यालय सिर्फ 13 एकड़ भूमि में बने हैं।”

ये शर्म की बात है कि आजादी के इतने सालों बाद भी देश की रक्षा में लगे हुए रक्षा अधिकारियों को अस्तबल और बैरकों को कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। उपनिवेशवाद के सबसे चरमपंथी दिनों में बने इस कार्यालय पर देश के किसी भी व्यक्ति को शर्म महसूस होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ठीक करके भारतीयकरण की शुरुआत कर दी है।

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