फोर्ड दुनिया के सबसे पुरानी कार निर्माताओं में से एक है। हेनरी फोर्ड आज भी सबसे बड़े बिजनेसमैन में से एक माने जाते हैं। भारत में भी यह नाम अनजान नहीं था, लोग नाम को जानते थे लेकिन अभी हाल ही में फोर्ड ने यह घोषणा कर दी है कि भारत में अब वह प्रोडक्शन नहीं करेगा। इस फैसले के बाद से ही देश में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। कम्पनी में काम करने वाले लोगों ने सरकार से दखल करने को कहा गया है। भारत में कुछ वर्ग खासतौर पर विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि इस विफलता को सरकार से जोड़ा जाए, लेकिन फोर्ड की स्थिति का आंकलन करने पर यह पता चलता है कि फोर्ड की हालत सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि बहुत से जगहों पर और खस्ता हालत है। हम अमेरिका, यूरोप और चीन के बाजार से फोर्ड कम्पनी के हालत को समझ सकते हैं।
अमेरिका की कम्पनी फोर्ड, अमेरिका में भी तबाह हो रही है। कम से कम आंकड़े तो यही बात रहे है कि फोर्ड के बिक्री में लगातार कई सालों से गिरावट देखी जा रही है। ताजा आंकड़ो को देखे तो पता चलता है कि फोर्ड मोटर्स की बिक्री में 33.1% की गिरावट दर्ज की गई है। इसके बावजूद भी लगभग 1.8 मिलियन यूनिट के साथ, फोर्ड मोटर कंपनी के लिए यू.एस. नंबर एक बिक्री बाजार है। अगस्त 2020 से अगस्त 2021 के बीच ही 13.7% की गिरावट दर्ज की गई है। कोरोना वायरस के चलते फोर्ड के उत्पादन क्षमता पर भी प्रभाव पड़ा है। आंकड़े बताते हैं कि पहले डीलरों के पास 30 लाख से ज्यादा गाड़िया तैयार होती थी बिक्री के लिए लेकिन अभी मात्र 9 लाख, 42 हजार गाड़िया है। फोर्ड के ट्रक बिक्री में 30% की गिरावट दर्ज की गई है वहीं एसयूवी कार में 25.3% की गिरावट देखी गई है।
2017 से लेकर 2020 तक फोर्ड के मार्किट शेयर को देखकर स्थिति को समझा जा सकता है। 2017 में फोर्ड का मार्किट शेयर 14.9% था, जो 14.29% हुआ फिर 14.08% हुआ और आखिर में 13.87% तक गिर गया था।
चीन फोर्ड का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। फोर्ड के लिए यह बाजार भी चिंता का कारण है क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन आर्थिक प्रतिबंधो से जूझ रहे हैं। राष्ट्रपति बिडेन के कार्यालय में अपना कार्यकाल शुरू होने के साथ ही तनाव अधिक हो गया है। आंकड़ो की बात करे तो सन 2020 में फोर्ड मोटर्स की बिक्री में 26% की गिरावट दर्ज की गई थी। यह फोर्ड के लिए नई बात इसलिए नही थी क्योंकि इससे पहले साल 6% और 2017-18 में 38 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने से फोर्ड आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है। ब्रिटेन में फोर्ड मोटर्स के तीन बड़े फैक्टरियां संचालित होते हैं जो अब यूरोपीय संघ से कट गए हैं। ब्रिटेन परंपरागत रूप से यूरोप में फोर्ड का सबसे बड़ा बाजार है। ब्रिटेन में थोक बिक्री लगभग 367, 000 इकाइयों की हुई है। यूरोपीय संघ में फोर्ड के बिक्री में 26.8% की गिरावट दर्ज की गई है। 2020 में कुल 9 लाख, 74 हजार, 982 गाड़िया बिक चुकी है। स्थिति इस तरह बेकार है कि पैसेंजर श्रेणी में कुल 32.1% की गिरावट दर्ज की गई है।
हम दुनिया के तीन सबसे बड़े बाजारों में स्थिति से समझ सकते हैं कि नीतिगत समस्याओं के चलते फोर्ड की स्थिति पूरे विश्व भर में बुरी होती जा रही है। वैश्विक स्तर पर, 2019 और 2020 के बीच बिक्री में लगभग 1.2 मिलियन यूनिट की गिरावट दर्ज की गई है। यह अपने आप में बताता है कि फोर्ड अमेरिका को मानक मानकर पूरे विश्व में व्यापार नही कर सकता है। भारत में जहां अन्य कम्पनियां बढ़ोतरी कर रही है, वहां फोर्ड का नीचे गिरना यह बताता है कि वह अपने नीतियों में बदलाव नहीं कर सका है। भारत में ज्यादा किफायती, ज्यादा माइलेज वाली गाड़ियों को पसंद किया जाता है। यह बात ह्युंडई समझ गई इसलिए उसके किये भारत एक लाभ का बाजार है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोनों बाहरी कम्पनियां एक साथ भारत आई थी और अब उसमें से एक भारत से लौट रही है।