पाकिस्तान ने जिन्ना की मूर्ति लगा बलूचों को भड़काया, बलूच क्रांतिकारियों ने मूर्ति ही उड़ा दी

जिन्ना की मूर्ति

जिसका अस्तित्व ही घृणा पर आधारित हो, उससे आप शिष्टाचार की आशा कैसे कर सकते हैं? अपने स्वभाव के अनुरूप पाकिस्तान दशकों से विश्व के अनेकों समुदायों के विरुद्ध विष उगलता आया है और बलूच समुदाय भी इससे अछूत नहीं है। हालांकि, पिछले कई वर्षों से पाकिस्तानी अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोह कर रहे बलूच क्रांतिकारियों ने पाकिस्तान द्वारा घृणा को भड़काने के उद्देश्य से स्थापित  किए गए मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति को ध्वस्त कर दिया है।

जी हाँ, आपने बिल्कुल ठीक सुना। पाकिस्तान की नींव रखने वाले व्यक्ति मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति को बलूच क्रांतिकारियों ने कुछ ही महीनों में ध्वस्त कर दिया है। तीन महीनें पहले ग्वादर में मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति लगाई गई थी, जिसे रविवार सुबह ध्वस्त कर दिया गया। इसकी पुष्टि हाल ही में पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपने रिपोर्ट में की है।

डॉन के रिपोर्ट के अनुसार, जिन्ना की मूर्ति के नीचे एक विस्फोटक यंत्र स्थापित किया गया था, जिसके कारण विस्फोट हुआ था। ग्वादर के डेप्युटी कमिश्नर, मेजर अब्दुल कबीर खान [सेवानिवृत्त] ने कहा कि यह हमला बलूच लिबरेशन फ्रंट के क्रांतिकारियों ने की है और उन्होंने इस हमले की जिम्मेदारी भी ली है। यही नहीं, उन्होंने इस हमले के औचित्य को बताते हुए मोहम्मद अली जिन्ना को ‘अंग्रेज़ों का दलाल’ ठहराया है, जिनके कारण बलूच समुदाय की इतनी दुर्गति हुई है।

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पाकिस्तान में शामिल होने को तैयार नहीं था बलूचिस्तान

बता दें कि बलूचिस्तान वो प्रांत है, जो प्रारंभ से ही पाकिस्तान में सम्मिलित होने को तैयार नहीं था। जब भारत का बंटवारा हुआ तो बलूचिस्तान का रुख स्पष्ट था– या तो वह स्वतंत्र रहेगा और यदि सब कुछ सही रहे, तो वह भारत के साथ जुड़ना चाहेगा। परंतु बलूचिस्तान के इन दोनों प्रस्तावों पर जवाहरलाल नेहरू ने आँखें मूँद ली और बलूचिस्तान पर पाकिस्तान ने ठीक उसी तरह कब्जा जमाया, जिस प्रकार चीन ने तिब्बत पर आधिपत्य स्थापित किया था। तब भारत की स्थिति ऐसी थी कि दोनों ही परिस्थितियों में पाकिस्तान और चीन एक क्षण भी हमारे सामने टिक नहीं पाते।

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद से ही बलूचिस्तान के नागरिकों के साथ दशकों से दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता रहा है और उनके नागरिकों के साथ हत्या, दुष्कर्म के अनेकों मामले दर्ज हुए हैं।

इसी बलूचिस्तान के ग्वादर शहर में पाकिस्तान ने चीन के साथ CPEC के अपने सबसे महत्वपूर्ण परियोजना को लागू करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाने का प्रयास किया है। परंतु दशकों के अत्याचारों से तंग आ चुके बलूच समुदाय के लोग अब किसी भी स्थिति में पाकिस्तानी शासन से मुक्ति चाहते हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में अभी कुछ दिनों पहले खोसात क्षेत्र में एक ब्लास्ट में बलूच लिबरेशन आर्मी ने 4 पाकिस्तानी सैनिकों को धाराशायी करने का दावा किया है

पाकिस्तान में मारे जा रहे हैं चीनी नागरिक

यही नहीं, अगस्त माह में एक घातक हमले में पाकिस्तान के साथ उसके आका को भी बलूच क्रांतिकारियों ने एक तगड़ा संदेश दिया। पाकिस्तान के पूर्वी बहावलनगर जिले में शिया मुसलमानों के जुलूस के पास गुरुवार को हुए बम विस्फोट में 9 चीनी नागरिकों की मौत हो गई है, जबकि 30 घायल हो गए हैं। शुरुआती जानकारी के मुताबिक इस हमले को बलूच स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा प्रायोजित बताया जा रहा है।

वहीं, हर बार की तरह इस बार भी चीन हमले में मारे गए अपने देश को लोगों की संख्या छिपाने में लगा है। इससे पहले भी पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की मौत हुई है, उस वक्त भी चीन ने कुछ खास रोष व्यक्त नहीं किया और इस बार तो अपने नागरिकों की मौत को ही ‘ड्रैगन’ छिपाते दिख रहा है।

इससे इतर बलूच नागरिक मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति को ध्वस्त किए जाने का उत्सव भी मना रहे हैं। एक यूज़र ने कहा, “क्या बात, एक दिन बलूचिस्तान आजाद देश होगा। ईश्वर करे कि हमारे भाई और बहन इस लड़ाई में अधिक तत्परता से लड़े!”

एक अन्य यूज़र ने कुछ अधिक भावुक होते हुए लिखा, “मैं इसके लिए तुम्हें [बलूच क्रांतिकारियों] बहुत प्यार करता हूँ!” –

https://twitter.com/BeuraghTweets/status/1442030157540298757

पाकिस्तान घृणा का पर्याय है, इसमें कोई नई बात नहीं है। लेकिन जिस प्रकार से मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति को ध्वस्त कर बलूच क्रांतिकारियों ने पाकिस्तान को उसकी औकात बताई है, उससे उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया है कि अब उनके दिन लद गए हैं।

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