न्यायपालिका और NGT ने जो प्रोजेक्ट स्थगित किए थे अब उन सब का हिसाब लेंगे PM मोदी

प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव

हमने ये अकसर देखा है कि सरकार द्वारा यदि कोई भी इन्फ्रास्ट्रक्चर का प्रोजेक्ट लाया जाता है, तो राजनीतिक विरोध के कारण कुछ लोगों द्वारा मामला देश की अदालतों में बेवजह तकनीकी रूप से फंसा दिया जाता है, या फिर उसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पेंच फंसा देती है। इसके बाद प्रोजेक्ट का केस लंबित होने के कारण सब कुछ ठप हो जाता है। इसका नतीजा ये होता है कि प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला जाता है, किंतु अब मोदी सरकार न्यायपालिका की अति सक्रियता एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की बाधाओं को दूर कर विकास प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने पर काम करने की रणनीति बना रही है, संभवतः इसीलिए प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी ने उन सभी प्रोजेक्ट्स की सूची तैयार करने के आदेश दिए हैं जो कि अदालतों या NGT की बाधाओं के कारण रुके हुए हैं।

ये सर्वविदित है कि न्यायपालिका एवं मोदी सरकार के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहता है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब न्यायपालिका मोदी सरकार के कार्यों के आगे अड़ंगा डालती दिखी है। कुछ ऐसी ही स्थिति यूपीए सरकार के दौरान कथित तौर पर स्वतंत्र पर्यावरण संबंधित संस्था नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के साथ भी है, किन्तु अब मोदी सरकार इन दोनों ही संस्थाओं के कारण फंसे अपने अनेकों इंफ्रास्ट्रक्चर एवं कल्याणकारी योजनाओं को छुड़ाने की योजना बना चुकी है। News18 की रिपोर्ट के अुनसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को मंत्रालयों के साथ मिलकर विभिन्न अदालतों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में फंसे प्रोजेक्ट की एक विस्तृत लिस्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं।

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इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री ने इन प्रोजेक्ट्स की रुकावट के कारण पड़ रहे राजकोषीय घाटे की गणना करने के आदेश भी दिए हैं। खबरों के मुताबिक ये सभी निर्देश 25 अगस्त की कैबिनेट की समीक्षा बैठक में लिए गए हैं। महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमें चार मंत्रालयों को मिलकर काम करने के लिए भी कहा गया है, जिसमें कानून मंत्रालय भी शामिल है। इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा, “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, रेलवे और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालयों को कानून और न्याय मंत्रालय के परामर्श से भूमि अधिग्रहण, वन या दूसरी मंजूरी आदि से संबंधित माननीय न्यायालयों, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल आदि के ऐसे फैसलों की पहचान करनी चाहिए, जिनके कारण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में देरी हो रही है।”

राजीव गौबा को विशेष रूप सै निर्देशित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “कैबिनेट सचिव को ऐसी कवायद की निगरानी करनी चाहिए। इस तरह के अदालती फैसलों और आदेशों के कारण पेंडिंग प्रोजेक्ट्स की लिस्ट, जिसमें राजकोष को हुए नुकसान भी शामिल हो, उसे कैबिनेट सचिव की तरफ से तैयार किया जा सकता है।” विशेष बात ये है कि इस बैठक में पीएम मोदी को वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट के काम में हो रही देरी की जानकारी दी गई थी, जिसके बाद पीएम मोदी ने कहा, “मंत्रालय को “मिशन मोड” में काम शुरू करना चाहिए और अमृत महोत्सव (स्वतंत्रता के 75 वर्ष) के आलोक में 15 अगस्त, 2023 से पहले प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहिए।”

स्पष्ट है कि पीएम मोदी प्रोजेक्ट्स में हो रही देरी के मुद्दे पर अब सक्रिय हो चुके हैं। इनमें से अधिकतर प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जो कि अदालतों या नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के कारण रुके हैं। ये सर्वविदित है कि मोदी सरकार एवं न्यायपालिका के बीच टकराव की स्थिति रहती है। पूर्व वित्त मंत्री एवं वरिष्ठ बीजेपी नेता अरुण जेटली की अदालतों में तीखी नोकझोंक हो जाती थी। वहीं उत्तराखंड में जब बीजेपी की सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिराई गई थी, तब भी जेटली ने एक आक्रोशित लेख लिखकर सुप्रीम कोर्ट तक की आलोचना की थी। कोलेजियम सिस्टम के मुद्दे पर मोदी सरकार न्यायपालिका की पद्धति का विरोध करती रही है।

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इतना ही नहीं अदालतों में अजीबो-गरीब Activisum का दौर भी आया है क्योंकि कल्याणकारी हजारों प्रोजेक्ट के केस लंबित रहते हैं, और किसी नए राजनीति से प्रेरित याचिकाओं को अदालतें अधिक महत्व देने लगती हैं। प्रशांत भूषण जैसे वकील आए दिन किसी भी सरकारी प्रोजेक्ट पर चार लोगों को इकट्ठा करके एक याचिका लगा देते हैं, और सबकुछ ठप पड़ जाता है। राम मंदिर केस इसका सबसे सटीक उदाहरण है, जो देश की अदालतों में दशकों तक घिसता रहा।

कुछ इसी तरह 2010 में यूपीए सरकार के दौरान गठित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पर्यावरण संरक्षण के नाम पर कई बार महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर लगाम लगा देती है। हालांकि, इस संस्था द्वारा मुख्य रूप से हिंदू समुदाय के विरुद्ध नकारात्मकता ही देखी गई है, जिसके चलते दिवाली में पटाखे कम जलाने, होली में पानी बचाने से लेकर गणपति एवं मांग दुर्गा की मूर्ति विसर्जन पर NGT द्वारा अजीबो-गरीब गाइडलाइंस जारी होती हैष हालांकि, इन गाइडलाइंस को कोई भी गंभीरता सेनहीं लेता है।

इसके विपरीत पीएम मोदी द्वारा अब लंबित प्रोजेक्ट की लिस्ट मांगना और अन्य मंत्रालयों के साथ ही कानून मंत्रालय का भी सक्रिय होना दर्शाता है कि मोदी सरकार अब इस मुद्दे पर कुछ बड़े ठोस क़दम उठा सकती है, जिससे अदालत की मर्यादा भी न टूटे, और सरकार के सभी प्रोजेक्ट बहाल हो जाएं।

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