मोदी सरकार ने भारत की एक बड़ी चुनौती का समाधान करना शुरू कर दिया है। चुनौती है टेलीकॉम सेक्टर में बंद होती कंपनियों को पुनर्जीवित करने की, जिससे टेलीकॉम बाजार को एकाधिकार की स्थिति से बचाया जा सके।
हर भारतीय के लिए आज भी कांग्रेस राज में हुए घोटालों की याद ताजा है। उन्हीं घोटालों में एक था 2G स्पेक्ट्रम घोटाला जिसके कारण भारत का उभरता टेलीकॉम सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ था। सरकार की धांधली के कारण हुए घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया था। कई कंपनियों के लाइसेंस रद्द हुए जिसमें कई विदेशी कंपनियां भी थीं। हालांकि, यह एक आदर्श निर्णय था लेकिन इसके बाद पूरे टेलीकॉम सेक्टर ने इसका प्रभाव महसूस किया।
इस निर्णय ने भारत में टेलीकॉम सेक्टर के विकास की गति धीमी कर दी। 2016 तक मोबाइल डेटा पैक से लेकर टॉपअप और मोबाइल रिचार्ज की दर आसमान छूती थी। फिर 2016 में रिलायंस जियो का प्रवेश हुआ और टेलीकॉम सेक्टर में बदलाव शुरू हुए। जिओ के आने से नेटवर्किंग का विस्तार तेजी से हुआ लेकिन कई बड़ी कंपनियां जिओ के साथ संघर्ष में बाहर हो गईं। एयरसेल 2018 में दिवालिया हो गई, वोडाफोन और आईडिया को स्वयं को बचाने के लिए साथ आना पड़ा लेकिन उसके बाद भी उनके लिए संघर्ष कठिन हो गया है।
टेलीकॉम कंपनियों ने कई वर्षों से सरकार से आवश्यक सुधार लागू करने को कहा था और सरकार ने अब इस बारे में पहल की है। मोदी सरकार ने बड़े बदलाव लागू करते हुए
- ग्रॉस रेवेन्यू या समायोजित सकल राजस्व की परिभाषा बदल कर उसकी गणना में परिवर्तन किया गया है। पहले कपंनियों को लाइसेंस शुल्क और आवंटित स्पेक्ट्रम के उपयोग शुल्क का भुगतान ‘राजस्व अंश’ के रूप में करना होता है। अर्थात एक कंपनी जो टेलीकॉम सेक्टर में उतरेगी वो लाइसेंस और उपयोग के लिए हर बार पैसे चुकाएगी। लेकिन अब मोदी सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए ग्रॉस रेवेन्यू में केवल टेलीकॉम रेवेन्यू जोड़ने का निर्णय किया है।
- जो टेलीकॉम सेक्टर कंपनीयां भारत सरकार को पुराने भुगतान नहीं कर पाई हैं उनके फंड की किल्लत को दूर करने के लिए उन्हें FDI में बड़ी राहत दी गई है। FDI की सीमा 49% से बढ़ाकर 100% कर दी गई है। यह FDI ऑटोमेटिक रूट से प्राप्त की जा सकती है अर्थात इस निवेश के लिए भारत सरकार की पूर्व अनुमति आवश्यक नहीं है।
- स्पेक्ट्रम के शुल्क निर्धारण को सरकार ने और अधिक तार्किक और युक्तिसंगत बनाने की घोषणा की है। साथ ही पहले जो शुल्क निर्धारण हर महीने होता था वह अब वार्षिक आधार पर होगा।
टेलिकॉम सेक्टर में जो भी सांविधिक बकाया है अर्थात जो भी भुगतान शेष है उसे चुकाने की समयसीमा को भी 4 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है। इसका लाभ यह होगा कि कंपनियों को तत्काल भुगतान की आवश्यकता नहीं होगी जिससे अगले कुछ वर्षों तक होने वाले निवेश का उपयोग कंपनी अपनी सेवाएं सुधारने और विस्तार में कर सकेंगी।
Big relief for #telecom sector!
Cabinet approves 4 year moratorium on dues telecom operators owe government
MCLR of + 2% interest to be paid by those who avail of moratorium. pic.twitter.com/PWU8JN9sTi
— Poulomi Saha (@PoulomiMSaha) September 15, 2021
आई टी, टेलीकम्युनिकेशन और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह सुधार मौजूदा कंपनियों को बंद होने से बचाएंगे और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि अभी ऐसे कई अन्य सुधार आने वाले समय में लागू होंगे। साथ ही केंद्रीय मंत्री ने और भी कंपनियों को भारत आने का निमंत्रण दिया है।
भारती एयरटेल, वोडाफोन आईडिया, और रिलायंस का सरकारी बकाया लगभग 1.3 लाख करोड़ है। लाइसेंस फी के रूप में 92000 करोड़ और स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल पर लगने वाले शुल्क के रूप में 41000 करोड़ रुपये बाकी हैं। अब भारत सरकार ने भुगतान के लिए 4 वर्ष का अतिरिक्त समय दे दिया है। भारत सरकार कुछ ही समय में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू करने वाली है। ऐसे में टेलीकॉम सेक्टर कंपनियों के सामने बड़ा प्रश्न यही था कि वे पहले सरकारी बकाया राशि का भुगतान करेंगी या 5G नेटवर्क का विस्तार करेंगी। लेकिन भारत सरकार ने इस दुविधा का समाधान कर दिया है।
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भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने भारत सरकार के इस क्रांतिकारी कदम को लेकर कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निवेश और देश की वृद्धि में तेजी लाने के आह्वान पर एयरटेल सकारात्मक प्रतिक्रिया देगीl दबाव से जूझ रहे दूरसंचार क्षेत्र के लिए राहत के कई कदमों के बीच मंत्रिमंडल ने आज सकल समायोजित राजस्व (AGR) की परिभाषा को युक्तिसंगत बनाते हुए इसमें से दूरसंचार क्षेत्र से इतर होने वाली आय को हटा दिया गया हैl सरकार को संभावित रूप से दी जाने वाली देय राशि पर दंड को भी हटा दिया हैl “
उन्होंने टेलीकॉम सेक्टर को दबाव से निकालने के लिए इन मौलिक सुधारों को शुरू करने को लेकर भारत सरकार का धन्यवाद किया और बधाई भी दीl मित्तल ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल द्वारा उठाए गए सुधार के कदम यह सुनिश्चित करते हैं कि उद्योग बिना डरे निवेश करने और भारत की डिजिटल महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करने में सक्षम होगाl हम दूरसंचार मंत्री और वित्त मंत्री को उनके नेतृत्व और समर्थन के लिए भी बधाई देते हैंl ’’
भारत तेजी से स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग का हब बन रहा है। एक अनुमान के अनुसार 2025 तक भारत में 90 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हो जाएंगे। इतनी बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को नेटवर्किंग की सुविधा दिलाना दो चार कंपनीयों के लिए सम्भव नहीं है।
जिस तेजी से भारतीय अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण हो रहा है, ग्रामीण इलाकों तक तेज नेटवर्किंग पहुंचाना भारत सरकार की प्राथमिकता बन गई है। यह कार्य तभी संभव है जब टेलीकॉम सेक्टर में भारतीय व विदेशी कंपनियां, सभी बढ़ चढ़कर भागीदारी करें। ऐसे में भारत सरकार द्वारा लागू किए गए टेलीकॉम सेक्टर सुधार पूरी अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे।