पीएम मोदी के ‘हनुमान’ पीयूष गोयल भारत में कपास क्रांति लाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं

रेलवे और ऊर्जा क्षेत्र के बाद अब टेक्सटाइल क्षेत्र का कायाकल्प प्रारंभ!

कपड़ा उद्योग

क्या आपने कभी सोचा है कि जिस देश में कपास, ऊन और कपड़ा बनाने में सहायक अन्य सामग्रियों की कोई कमी ना हो, वह फिर भी अन्य देशों के मुकाबले क्यों पिछड़ जाता है? क्या कभी सोचा है कि टेक्सटाइल के लिए इतना बड़ा मार्केट होने के बावजूद भारत ने कभी अपने क्षमता को क्यों नहीं पहचाना? कारण तो अनेक है, परंतु अब सरकार चाहती है कि देश अपने बीते हुए कल से आगे बढ़ते हुए सफलता के नए शिखर पर पहुंचे और कपड़ा उद्योग क्षेत्र में भी रेलवे और ऊर्जा की भांति क्रांति आए, जिसमें एक बार फिर केंद्र सरकार के ‘संकटमोचक’ पीयूष गोयल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते दिखाई देंगे।

हाल ही में केंद्र सरकार की कैबिनेट एक अहम निर्णय के अंतर्गत PLI स्कीम को स्वीकृति देने वाली है, जो पाँच वर्षों में टेक्सटाइल क्षेत्र, विशेषकर कृत्रिम फाइबर सेगमेंट और टेक्निकल टेक्सटाइल क्षेत्रों को लगभग 10,700 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता पाँच वर्षों तक प्रदान करेगी, ताकि घरेलू उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा मिल सके।

टेक्सटाइल के क्षेत्र में भारत बनेगा वैश्विक शक्ति

इस स्कीम का प्रमुख उद्देश्य स्पष्ट है – टेक्सटाइल के क्षेत्र में भारत को इस स्तर तक आत्मनिर्भर बनाना जिससे टेक्सटाइल क्षेत्र में भारत वैश्विक शक्तियों से टक्कर के लिए योग्य हो सके। इस PLI स्कीम के अंतर्गत सरकार भारत को एक ऐसे महाशक्ति में पुनः परिवर्तित करना चाहती है, जो वैश्विक सप्लाई चेन का एक अहम भाग हो। Apparel Economic Promotion Council के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने स्पष्ट कहा कि काउन्सिल ने कृत्रिम फाइबर सेगमेंट और टेक्निकल टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में PLI की मांग की है, ताकि वैश्विक ट्रेड में भारत की हिस्सेदारी भी बढ़ सके। उन्होंने बताया कि भारत 80 फीसदी कपास और 20 फीसदी MMF यानी man-made fibre बना रहा है, जबकि दुनिया इसके उलट कर रही है। यदि ये स्कीम स्वीकृत हो गई, तो भारत भी  man-made fibre बनाने में अग्रणी हो जाएगा। भारत के कृत्रिम टेक्सटाइल्स की कुल एपरेल एक्स्पोर्टस में हिस्सेदारी मात्र 10 प्रतिशत है, जो 2019-20 के सत्र में 16 बिलियन डॉलर्स थी।

Federation of Indian Export Organizations के पूर्व अध्यक्ष एसके सराफ़ ने इसकी ओर ध्यान आकर्षित करते हुए ये कहा कि यदि सरकार कृत्रिम फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल्स में PLI को बढ़ावा देती है, तो कपड़ा उद्योग में भारत की हिस्सेदारी भी बहुत बढ़ेगी। बता दें कि भारतीय कपड़ा उद्योग दुनिया में कपड़ा और परिधान का छठा सबसे बड़ा निर्यातक है। देश के व्यापारिक शिपमेंट में कपड़ा और परिधान निर्यात का हिस्सा 2019-20 में 11 प्रतिशत था।

रोजगार के अवसर के साथ-साथ निर्यात में भी होगी वृद्धि

अब PLI योजना से वैश्विक निवेश आकर्षित होने, बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करने और निर्यात में पर्याप्त वृद्धि होने की उम्मीद है। यह भारतीय फर्मों को वैश्विक चैंपियन बनने में भी मदद करेगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय अक्षमताओं को दूर करके और दक्षता सुनिश्चित करके भारत में विनिर्माण को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। इसे भारत में एक component ecosystem  बनाने और भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न अंग बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

हालांकि, ये स्थिति हमेशा से ऐसी नहीं थी। टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में इस्लामिक आक्रान्ताओं के आक्रमण से पहले भारत की भूमिका सर्वमान्य थी। अरबों, तुर्कियों, अफगानों और मुगलों के आक्रमण के बाद भी इस पद में कोई परिवर्तन नहीं आया, परंतु अँग्रेज़ों के आगमन, और औद्योगिक क्रांति से स्थिति हमेशा के लिए बदल गई। रही सही कसर स्वतंत्रता के पश्चात हमारे अकर्मण्य और संकुचित सोच के नेताओं ने पूरी कर दी, जो कभी अपने कूप मंडूक प्रवृत्ति से आगे बढ़ ही नहीं पाए। आज प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण होने के बाद भी टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में भारत बेहद पिछड़ा हुआ है। भारत दुनिया में कपास का सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन नियामक और नौकरशाही अक्षमताओं के कारण देश में विनिर्माण अप्रतिस्पर्धी हो गया है। वास्तव में, भारत में कुछ औद्योगिक घराने जैसे आदित्य बिड़ला समूह (ABG) बांग्लादेश में उत्पादों का निर्माण करते हैं।

पीयूष गोयल संभालेंगे कमान

अब केंद्र की मोदी सरकार उसी मानसिकता को बदलते हुए इस क्षेत्र में क्रांति करने जा रही है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह भी है कि कपड़ा मंत्रालय एक ऐसे व्यक्ति के हाथों में है, जिनके कार्यकाल में रेलवे और ऊर्जा क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है। जी हाँ, हम बात कर रहें हैं पीयूष गोयल की। वे उन मंत्रियों में से नहीं, जो अपनी जिम्मेदारी किसी अन्य को सौंपे, अपितु अपनी जिम्मेदारी स्वयं संभालते दूसरों को अपना सर्वोच्च करने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके कपड़ा मंत्रालय के संभालने की खबर सामने आते ही कई कपड़ा कंपनियों के स्टॉक के दाम आसमान छूने लगे। अब ये किसी व्यक्ति की योग्यता का प्रमाण नहीं तो और क्या है?

मोदी सरकार ने इस क्षेत्र में भारतीय कौशल को पुनर्जीवित करने के लिए पीयूष गोयल को कपड़ा उद्योग का प्रभार दिया है। मंत्री ने निर्यात में 100 अरब डॉलर का एक बहुत ही महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में पीयूष गोयल ने कहा था, “मुझे यकीन है कि 100 अरब डॉलर से कम किसी को संतुष्ट नहीं करेगा और निश्चित रूप से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को संतुष्ट नहीं करेगा। वह कपड़ा उद्योग से बहुत अधिक उम्मीदों वाले व्यक्ति हैं।”

इस समय देश का कपड़ा निर्यात 33 अरब डॉलर का है और वित्त वर्ष 22 के लिए 44 अरब डॉलर का लक्ष्य है। पीयूष गोयल के नेतृत्व में केंद्र सरकार का लक्ष्य देश के विभिन्न राज्यों में निर्यात के लिए कपड़ा उद्योग पार्क स्थापित करना है।

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‘इंडिया साइज़’ को भी मिलेगा बढ़ावा

कपड़ा उद्योग में ये क्रांति यहीं तक सीमित नहीं है। आम तौर पर कई उत्पादों, विशेषकर कपड़ों और जूतों के हम विदेशी साइज़ देखते आए हैं, परंतु उसका भारतीय मापदंड यानि ‘इंडिया साइज़’ देखने को नहीं मिलता है। अब इस दिशा में भी सरकार व्यापक बदलाव करने जा रही है। 2019 में कपड़ा उद्योग और NIFT ने ‘साइज़ इंडिया’ अभियान के अंतर्गत ‘इंडिया साइज़’ एपरेल को निर्मित करने के अभियान को बढ़ावा देने की बात की थी। अब इस दिशा में सरकार आधिकारिक सर्वे भी कर रही है।

ऐसे में अब रेलवे और ऊर्जा क्षेत्र का कायाकल्प करने के पश्चात पीयूष गोयल अब कपड़ा उद्योग में भी क्रांति लाने जा रहे हैं। जिस प्रकार से वे कृत्रिम फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल्स क्षेत्र में PLI स्कीम को बढ़ावा दे रहे हैं, और ‘इंडिया साइज़’ के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि जो वो बोलते हैं, वो करके दिखाते भी हैं।

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