“मुंबई अब भी सबसे सुरक्षित है”, साकीनाका रेप केस पर महाराष्ट्र सरकार की बेशर्मी भरी सफाई

इनको केवल राजनीति चमकाने से मतलब है

साकीनाका बलात्कार प्रेस कॉन्फ्रेंस

कुछ ही दिन पहले मुम्बई के साकीनाका नामक स्थान पर एक 32 वर्षीय महिला का बलात्कार किया गया था। बलात्कारी ने भयावहता की सारी हदें पार करते हुए महिला के निजी अंगों में ‘अनजान वस्तु’ तक डाल दी थी। अस्पताल में कई घंटों तक दर्द से जूझने के बाद पीड़ित महिला की मृत्यु हो गई और अब मुंबई के इस मामलें को आधार बनाकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना ने अभी तक साकीनाका बलात्कार घटना पर माफी नहीं मांगी है बल्कि पार्टी तो उल्टा बेशर्मी से यह बोल रही है कि मुम्बई महिलाओं के लिए दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह है।

बताया जा रहा है कि पीड़िता की उम्र 32 वर्ष है और वह तीन बच्चों की मां है। पीड़ित महिला का पति 8 वर्ष पूर्व से ही महिला को छोड़कर बाहर रह रहा है। मुंबई के कमिश्नर हेमंत नरगले के अनुसार, रात में पीड़िता की माता और उसके बीच बहस हुई और वो रात के तीन बजे घर से बाहर निकल आई। पीड़ित महिला और आरोपी मोहन चौहान कई बार पूर्व में भी मिल चुके थे। रात में दोनों के बीच मुलाकात हुई जिसके बाद आरोपी ने महिला को मारा और फिर टेम्पू में शारीरिक संबंध बनाने के बाद उसके निजी अंगों में धारदार हथियार डालकर उसे घायल कर दिया। पुलिस अफसर ने बताया, “जब वह (पीड़िता) बेहोश हो गई, तो आरोपी उसे टेंपो के अंदर ले गया, जहां उसने कथित तौर पर उसका यौन उत्पीड़न किया और उसके गुप्तांगों के अंदर एक नुकीली चीज डालकर उसकी हत्या कर दी।”

इसके बाद आलोचनाओं का दौर शुरू हुआ। तमाम लोग साकीनाका बलात्कार निर्भया कांड के समान बताने लगे। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने तीखा हमला करते हुए कहा, ”जघन्य! शर्मनाक! दिल दहलाने वाला! हम सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हैं। हालांकि, माननीय न्यायालय सज़ा सुनाएंगे लेकिन ऐसे दोषियों को मौत तक फांसी दी जानी चाहिए। मुख्यमंत्री को मुंबई हाई कोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश से मिलना चाहिए और इस #निर्भया केस के ट्रायल के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट से अनुरोध करना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, ”हम साकी नाका घटना की कड़ी निंदा करते हैं। न केवल साकी नाका बल्कि महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार में तेज़ी देखी जा रही है। ऐसी कई घटनाओं की सूचना मिलती रही है। महिला आयोग की अध्यक्ष भी अभी तक नियुक्त नहीं हुई है, शक्ति अधिनियम केवल चर्चा के चरण में है और अवैध स्थानान्तरण किए जा रहे हैं। सरकार को अब कार्रवाई करनी चाहिए।”

जवाब देते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना का इस्तेमाल किया और कहा, “साकीनाका में महिला के बलात्कार और हत्या ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। लेकिन, मुंबई महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे सुरक्षित शहर है और इसको लेकर किसी के मन में कोई शक नहीं होना चाहिए। “

सामना के इस खास सम्पादकीय का उद्देश्य यह नहीं था कि इस घटना की निंदा की जाए और इससे बचने के लिए उपाय किये जायें बल्कि यहां पर भी राजनीति करना ही मुख्य उद्देश्य था। सामना में कहा गया कि साकीनाका इलाके में एक महिला के साथ बलात्कार और हत्या जैसी घटनाएं एक “भयानक विकृति” का परिणाम थीं, जिसे दुनिया के किसी भी हिस्से में देखा जा सकता है और मुंबई की घटना की तुलना हाथरस मामले से नहीं की जा सकती है।”

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संपादकीय में दावा किया गया कि “हाथरस मामले के दोषियों को ‘राज्य के शासकों का समर्थन प्राप्त’ था और उनकी गिरफ्तारी में देरी हुई थी। सरकार ने सबूत मिटाने के लिए आनन-फानन में पीड़िता के शव को जला दिया था। अब, इस मामले को न्यायपालिका पर छोड़ दें। अपराधी को निश्चित रूप से फांसी पर लटका दिया जाएगा क्योंकि हाथरस और कठुआ (मामलों) के विपरीत, आरोपियों के समर्थन में कोई भी सामने नहीं आया है। किसी को पता होना चाहिए कि किस विषय का राजनीतिकरण करना है” शिवसेना ने कहा।

सरकारी आंकड़ो के अनुसार, 2020 में मुम्बई, दिल्ली के बाद देश की दूसरी बड़ी असुरक्षित शहर है। दिल्ली में छेड़खानी के 2,326 मामलें दर्ज किए गए थे और मुंबई में 2069 मामलों को रिकार्ड किया गया था। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते है कि देश में महिला अत्याचारों के मामलें पर दूसरे स्थान पर है। दिल्ली में 12902 मुकदमें दर्ज किए गए थे वहीं मुम्बई में 6519 अपराध रिकार्ड किये गए हैं।

ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलें में तो मुम्बई, दिल्ली से भी आगे है। मुंबई में जहां 85 मामलें पाए गए हैं, वहीं दिल्ली में 56 मामलें देखे गए थे। शहर स्थित प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में बलात्कार के मामलों की संख्या 2015-2016 में 728 से बढ़कर 2019-2020 में 904 (124%) हो गई है। उसी रिपोर्ट के अनुसार, 2015-2016 में कुल 2,145 छेड़छाड़ के मामले दर्ज किए गए, जबकि 2019-2020 में 2,677 मामलें दर्ज किए गए जिससे 25% की वृद्धि दर्ज की गई है।

मुंबई पुलिस की वेबसाइटों पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पुलिस ने इस साल के शुरू होने से जुलाई तक शहर भर में बलात्कार के 550 मामले दर्ज किए है, जिनमें से 445 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

आंकड़े तो शिवसेना के दावों के विपरीत है। अगर ये राजनीतिक छवि और राजनीति प्रेरित सम्पादकीय है तो बात दूसरी है लेकिन इस प्रकार के झूठे दावों से शिवसेना की निर्लज्जता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जरूरत यह है कि शिवसेना दुःख जताए, मामलें की गम्भीरता को समझे, सच स्वीकारें और उसे सुधारने का काम करें। इस तरह की बेशर्मी से वह अपनी ही किरकिरी करा रही है।

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