ममता को CM की कुर्सी से बस सुवेंदु ही दूर रख सकते हैं इसलिए आजकल पगला सी गई हैं

उपचुनावों से सुवेंदु को दूर रखने के लिए ममता ने सरकारी तंत्र का प्रयोग शुरू कर दिया है!

सीआईडी सुवेंदु अधिकारी

जब बुद्धि पर अहंकार का ताला जड़ जाता है और इसमें भी व्यक्ति का सरोकार राजनीति से हो फिर तो बंटाधार होना निश्चित है। पश्चिम बंगाल में भी हालात ऐसे ही हैं जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधायक बनने के लिए लालयित हुई पड़ी हैं क्योंकि विधायक न बनने पर सीएम की कुर्सी त्यागने की स्थितियां सामने खडी हैं। अब उपचुनावों की घोषणा होने पर ममता हार से बचने के लिए उन स्तंभो को कमजोर करने में लगी हैं, जिनके आने से उन्हें हारने का डर है। इन्हीं स्तंभों में से प्रमुख सुवेंदु अधिकारी हैं जिसके पीछे अब ममता बनर्जी ने सीआईडी छोड़ दिया है। अपने उल्लू को सीधा करने के लिए ममता अपने प्रतिद्वंद्वी और विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी को सीआईडी जांच के जरीय दबाने में जुट चुकी हैं। ममता यह जानती हैं कि आम चुनावों की तरह ही यदि इन उपचुनावों में भी सुवेंदु अधिकारी ने भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार किया तो यह ममता के राजनीतिक जीवन के लिए विष साबित होगाl ममता की आज जो भी स्थिति है उसके सीधे जिम्मेदार सुवेंदु ही हैं, ऐसे में ममता और विधानसभा के बीच सबसे बड़ी बाधा सुवेंदु ही हैं।

सुवेंदु अधिकारी को आया सीआईडी का बुलावा

दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार के अपराध जांच विभाग (CID) ने रविवार को भाजपा विधायक और सदन में  विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी को उनके निजी सुरक्षा गार्ड की तीन साल पहले हुई अप्राकृतिक मौत की जांच से जुड़े एक मामले में पूछताछ के लिए तलब किया था। सीआईडी ​​ने अधिकारी के ड्राइवर शंभु मैती और उनके करीबी सहयोगी संजीव शुक्ला को भी मामले में मंगलवार को पूछताछ के लिए तलब किया है।

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सब-इंस्पेक्टर शुभब्रत चक्रवर्ती की मौत का मामला इसी साल जुलाई में सीआईडी ​​को सौंपा गया था।  चक्रवर्ती ने 2018 में पूर्वी मेदिनीपुर के कांठी में एक पुलिस बैरक में कथित तौर पर खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में सुवेंदु अधिकारी पर आरोप है कि उन्होंने अपने सुरक्षा गार्ड को आत्महत्या के लिए उकसाया था। शुभब्रत चक्रवर्ती सुवेंदु अधिकारी के तृणमूल कांग्रेस के सांसद होने के समय से ही भाजपा विधायक की सुरक्षा टीम का हिस्सा थे।

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वहीं अब कानूनी प्रक्रिया से चल रहे मामले में ममता अपनी टांग अड़ा रही हैं, पर सच तो यह है कि यह ड्रामा मात्र इस बार ममता के विधायक बनने तक सीमित है। ममता विधायक बनने के बाद ही सीएम पद पर बैठी रह सकती हैं। दरअसल, पहले जून में, सीआईडी ​​के अधिकारियों की एक चार सदस्यीय टीम ने चल रही जांच के तहत पूर्वी मेदिनीपुर में सुवेंदु अधिकारी के घर का दौरा किया था, जिसमें कुछ पुलिस कर्मियों सहित कम से कम 15 लोगों से पूछताछ की गई थी। अब एक बार फिर से उन्हें तलब किया गया है।

ममता को पता है सुवेंदु  हैं X-factor

यह कदम विद्वेष के परिणामस्वरूप उठाए गए हैं और निश्चित ही सीआईडी जांच का दवाब सुवेंदु अधिकारी पर उपचुनावों से पूर्व इसी वजह से बढ़ाया गया क्योंकि इससे ममता के लिए सुवेंदु उनकी राह के बीच अड़चन नहीं बन सकेंगे। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह भी है कि जांच का आदेश तब आया जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजीरा बनर्जी को कथित धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तलब किया गया था । ऐसे में यह तो तय है कि यह कोई सामान्य रूप से लिया गया निर्णय नहीं था। ममता सरकार ने जानबूझकर इस समय सीआईडी पुराण शुरू करते हुए सुवेंदु अधिकारी को चेताने का प्रयास किया है।

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अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के लिए सुवेंदु पर ये जांच दवाब में संचालित करवाकर ममता ने अपने लिए स्वयं ही गड्ढा खोदा है। सुवेंदु आज राज्य की ही नहीं अपितु देश की राजनीति में नाम बन चुके हैं। ऐसे में ममता इस सुवेंदु मैजिक को कम करने में असफल हैं और निश्चित ही इस बार सुवेंदु Factor ममता को इस उपचुनाव में धूल चटाने में अहम भूमिका निभाने वाला है, इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि ममता को CM की कुर्सी से बस सुवेंदु अधिकारी ही दूर रख सकते हैं इसलिए आजकल पगला सी गई हैं और उपचुनावों से सुवेंदु को दूर रखने के लिए ममता ने सरकारी तंत्र का प्रयोग शुरू कर दिया है।

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