ब्लूटूथ चप्पल का आविष्कार करने के पीछे का कारण जो भी हो, पर ये इनोवेटिव है

ब्लूटूथ चप्पल

ब्लूटूथ चप्पल : संजय दत्त की मुन्ना भाई MBBS फ़िल्म देश में बहुत बड़ी हिट साबित हुई थी। अरशद वारसी और संजय दत्त की जोड़ी, सर्किट और मुन्ना के नाम पर काफी मशहूर हुई। उस फिल्म के तमाम यादगार सीन में वह सीन भी शामिल है जहां मेडिकल कॉलेज का प्रधानाचार्य मुन्ना को विफल करना चाहता है लेकिन मुन्ना भाई एक तरकीब लेकर आता है जिसमें वह फोन और इयरफोन की मदद से बिना किसी की नजर में आए नकल करने में सफल हो जाता है। यह तरकीब फिल्म के हिसाब से काफी बढ़िया थी। कहानीकार ने इस सीन को अपनी स्टोरी में काफी अच्छे से पिरोया था। मौजूदा समय में राजस्थान में पकड़ा गया एक नकलचोर ने फिर से मुन्ना भाई के कैरेक्टर की याद दिला दी है। मुन्ना भाई MBBS के लेखक राजकुमार हिरानी के लिए यह अगली प्रेरणा भी साबित हो सकता है क्योंकि इस नकलचोर की हाई लेवल के कारनामे ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

ब्लूटूथ चप्पल हुआ बरामद

राजस्थान में नकल करने वाले ने उन्नत तकनीक और बेहतरीन कारीगरी से ब्लूटूथ युक्त चप्पल का निर्माण किया है। जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना…राजस्थान में इस समय शिक्षक भर्ती प्रक्रिया जारी है और इसमें विद्यार्थी चयनित होने के लिए अलग-अलग तरीके से दिमाग लगा रहे हैं और इसी क्रम में अब ब्लूटूथ चप्पल बरामद किया गया है।

यह चप्पल किसी बड़े वैज्ञानिक के दिमाग की उपज प्रतीत होती है। इसमें चप्पल के अंदर एक बैटरी, सिम कार्ड और ब्लूटूथ लगा हुआ है जो एक वायरलेस इयरफोन से कनेक्ट होता है। बाहर से फ़ोन पर एक आदमी फोन करेगा और फिर ब्लूटूथ चप्पल के जरिये वह उम्मीदवार को सही उत्तर बताने में मदद करेगा।

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31 हजार पदों के लिए 16.61 लाख उम्मीदवार

यहां ध्यान देने योग्य बात यह नहीं है कि ब्लूटूथ चप्पल का निर्माण हुआ है। ध्यान देने वाली बात है कि यह निर्माण करने वाला व्यक्ति इतना बुद्धिमान होते हुए ऐसे कामों में अपनी ऊर्जा बर्बाद कर रहा है। राजस्थान में ग्रेड-3 शिक्षकों के 31 हजार पदों के 16.61 लाख उम्मीदवार परीक्षा दे रहें है। यह भर्ती साल 2018 के बाद अब हो रही है। ऐसे में आप सीटों की संख्या और उम्मीदवारों की संख्या का अंदाजा लगा सकते हैं। नौकरी पाने की इसी मारामारी के चलते उम्मीदवार अलग-अलग किस्म के तरीके खोज रहे हैं। आप स्थिति का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि परीक्षा को दोषरहित रूप से कराने के लिए प्रदेश में कई जगह इंटरनेट बंद कर दिया गया है। हर सेंटर पर पुलिस की तैनाती की गई है। इसके बावजूद भी नकल हो रही है क्योंकि पुलिस प्रशासन की उम्मीद से ज्यादा बुद्धिमान परीक्षा देने वाले है।

बताया जा रहा है कि ऐसे ब्लूटूथ चप्पलों की कीमत 6 लाख रुपये तक है। सवाल तो यह भी है कि जितना दिमाग परीक्षार्थी ने ब्लूटूथ चप्पल को बनाने में लगाया है, उतने में वो कोई इनोवेशन कर अपना स्टार्टअप नहीं खोल सकता था?

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सरकारी नौकरी के मायाजाल में भारतीय

भारत में सरकारी नौकरी को सफलता का पैमाना माना जाता है। भारत में निम्न आय और मध्यम आय वर्ग के लोग अभी भी सरकारी नौकरी के मायाजाल से बाहर नहीं निकल पाएं है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि स्थिति कैसी भी हो, सरकारी तनख्वाह आती रहेगी।

ऐसे बहुत से परीक्षा के तैयारी करने वाले लोग है जो संभावित क्षेत्रों में बढ़िया नाम कमा सकते हैं। अगर उनके अंदर कुछ नया विचार हो, कुछ बढ़िया आइडिया हो तो वह सफल बिजनेस शुरू कर सकते है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि यह हाईटेक चप्पल बनाने वाला सरकारी नौकरी के पीछे पड़ा हुआ है।

दुनिया के विकसित देशों में भी सबको सरकारी नौकरी नहीं मिलती है। अमेरिका में कुल लेबर फोर्स का 12 से 15 प्रतिशत सरकारी नौकरी करता है। यूरोप में यह आंकड़ा 15 से 18 प्रतिशत है। भारत में सरकारी नौकरी में 3.7% लेबर फोर्स काम करता है, सभी को यही लगता है कि वह 3.7% में जगह बना लेंगे। ऐसे ही उम्मीदों के चलते भारतीय कौशल लंबे समय तक तैयारियों में व्यस्त रहता है और एक समय के बाद न उसके पास कौशल बचता है, ना काम करने का मन और नाहीं समय शेष रहता है। अगर भारत में लोग सही समय पर अपने हुनर को दूसरे क्षेत्रों में लगाएं तो वे काफी सफल हो सकते हैं लेकिन अभी तो भारत का टैलेंट ब्लूटूथ चप्पल बनाने में व्यस्त है।

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