अंग्रेज चले गए बाबू छोड़ गए, अब इनपर भी लगाम कसनी जरूरी है

देश में स्थिति यह रही है कि UPSC के परीक्षा में गरीबी और भेदभाव पर निबंध लिखकर IAS बनने वाले लोग, जब अधिकारी बन जाते है तो फिर उनके अंदर दम्भ आ जाता है!

भारत में आपने लोगों को तमाम मुद्दों पर गुस्सा होते हुए देखा होगा। कभी बिजली खराब है, कभी अस्पताल में डॉक्टर नही है, कभी स्कूल में खाना बढ़िया नही है, कभी गांव के सड़क खड़ंजों की हालत खस्ता है इत्यादि। ज्यादातर लोग जब गुस्सा होते हैं तो सरकार को भर-भर के गाली देना शुरू कर देते है। उनके हिसाब से हर बेकाम के पीछे सरकार ही दोषी होती है लेकिन वह कार्यपालिका को लोग दोष नहीं देते है, जबकि ज्यादातर विधायिका के कार्यक्रमों का क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार कार्यपालिका होती है। देश में स्थिति यह रही है कि UPSC के परीक्षा में गरीबी और भेदभाव पर निबंध लिखकर IAS बनने वाले लोग, जब अधिकारी बन जाते है तो फिर उनके अंदर दम्भ आ जाता है। यही दम्भ आगे चलकर लालफीताशाही को जन्म देता है। यहां तक की UPSC और IAS एसोसिएशन के बारे में लोगों को ज्यादा खबर नहीं मिलती है। अभी कल खबर आई है कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी और झारखंड सरकार को फटकार लगाई है और यहां तक कह दिया है कि UPSC को मरम्मत की आवश्यकता है

मामला झारखंड में डीजीपी के नियुक्ति का है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने DGP के न्यूनतम दो साल के कार्यकाल का उल्लंघन करने के लिए राज्य और UPSC के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई करते हुए फटकार लगाई है।

CJI रमना ने झारखंड सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा डीजीपी नियुक्ति को सीधे प्रभावित करने वाले मामले में नोटिस जारी करने के बाद भी एक नया DGP क्यों नियुक्त किया गया।

न्यायमूर्ति का पारा तब आसमां चढ़ गया जब कपिल सिब्बल ने यह कहा कि झारखंड सरकार की ओर से UPSC को बार बार नोटिस भेजा गया है लेकिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रास्ते आने के लिए कहा है। बेंच ने कहा कि हमनें UPSC की नोटिस देखी है, ऐसा लगता है कि उन्हें मालूम ही नहीं है कि राज्य में क्या हो रहा है। न्यायमूर्ति ने कहा, ‘मुझे लगता है कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को मरम्मत की आवश्यकता है। उससे ज्यादा मैं कुछ नही कह सकता हूँ।’

ये बात सिर्फ आयोग की नही है। एक सप्ताह पहले ही करनाल के एसडीएम ने कैमरे के सामने यह कहा कि विरोध करने वाले किसानों का ‘सिर फोड़ दो।’ ऐसा बोलने वाले IAS आयुष सिन्हा के खिलाफ राजनीतिक शख्सियतों और खुद बड़े अफसरों ने निंदा की है। करनाल के डीएम निशांत यादव ने कहा कि SDM द्वारा दिये व्यक्तव्य पर वह माफी मांगते हैं।

छत्तीसगढ़ के डीएम रणबीर शर्मा ने भी अपना तेवर दिखाया था जब लॉकडाउन के समय वो एक लड़के को थप्पड़ मारें और फिर उसका फोन पटककर अपना ताव दिखाए। बात में मालूम चला कि छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में डीएम रणबीर शर्मा का विवादों से पुराना नाता रहा है। पहले भी व्व रिश्वतखोरी तो कभी भालू को गोली मारने का आदेश देकर चर्चा में आ चुके थे। उनके इस हरकत के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिया हटाने का आदेश दिया था।

पश्चिमी त्रिपुरा जिले के अफसर शैलेश कुमार यादव ने भी अपने ताकत का रौब दिखाते हुए एक शादी को रुकवा दिए थे। वो तो धन्य है फोन का जिससे ये बात बाहर आ गई और फिर डीएम साहब को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी थी।

कार्यपालिका अंग्रेजो द्वारा लाया गया व्यवस्था है। उस समय से ये एक तरीके से शासन की शक्ति थी और शायद बहुत से ताकत के भूखे लोग ये नहीं समझ पाते है कि अब ये क्रियान्वयन के लिए ही है और उससे ज्यादा कुछ नहीं है। कलेक्टर बाबू वाले टशन में रहने की आवश्यकता नहीं है, आप एक बड़े पद पर है तो चुपचाप काम करिए और फालतू के शो बाजी से बचिए।

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