आसमान से मरते लोग और भयक्रांत हो भागती एक महशक्ति को देखकर शायद ही कोई अफगानी तालिबान के खिलाफ खड़ा होने का साहस करता। शायद, साहस नहीं दुस्साहस। दुनिया पीठ दिखा चुकी है। तालिबानी सत्ता को बहुत सारे देश स्वीकार करने लगे हैं। ऐसे में दुश्मन की माँद में घिरे होने के बावजूद उसे चुनौती देना कोई सामान्य साहस का काम नहीं है। तालिबान के बर्बरता के आगे पंजशीर ने झुकने से मना कर दिया। राष्ट्रीय प्रतिरोध का परिचायक बनी उसकी सेना ने तालिबान के दाँत खट्टे कर दिये हैं। सालेह, अहमद मसुदी, दोस्तम और नूर की जोड़ी अब तालिबानियों पर भारी पड़ रही है। खबर है कि उत्तरी गठबंधन और तालिबान के बीच पंजशीर घाटी और आसपास के इलाकों में भयंकर लड़ाई जारी है।
अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह के नेतृत्व वाली सेना ने बुधवार को लड़ाई में 300 से अधिक आतंकवादियों को खत्म करने का दावा किया, जबकि 130 अन्य को पकड़ लिया गया। सेना ने रक्षा उपकरणों पर कब्जा करने का भी दावा किया है। आतंकवादियों से 15 हुमवेस गाड़ियाँ, 1000 कलाश्निकोव राइफलें, 15 पाइक बेस, 15 आरपीजे रॉकेट लॉन्चर और बड़ी मात्रा में कलाश्निकोव, पाइक और रॉकेट से चलने वाले हथगोले ज़ब्त किए गए हैं। इस लड़ाई का केंद्र शटेल, जबल सिराज टप्पेह सोर्क, सालंद और अंदराब जिले थे जहां तालिबान के सैकड़ों आतंकी चारी छिपे घुसना चाहते थे। बता दें कि पंजशीर चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा है। इसमें घुसने का एकमात्र रास्ता पंजशीर नदी से लगता हुआ एक संकरा दर्रा है। अपनी इसी भौगोलिक स्थिति के कारण पंजशीर अभेद्य है और इसीलिए पंजशीर ‘आक्रांताओं की कब्रगाह और रक्षकों का ख्वाब’ है।
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अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह की सेना ने लड़ाई में शटेल जिले में 200 को मार गिराने का दावा किया है, जबकि जबल सिराज टप्पेह सोर्क और सालंद जिलों में क्रमशः 20 और 24 आतंकवादियों को मार गिराया गया है। पास के अंदराब प्रांत में, सेना ने तालिबान के 70 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया है।
प्रतिरोध बल के एक सदस्य ने तालिबान के आतंकवादियों के हार की पुष्टि की। अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह की सेना के एक सदस्य अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं, “तालिबान के आतंकवादी यहां खाई में आ गए, और उनमें से चार ने मुझ पर हमला किया। मैंने उन्हें एक-एक करके लड़ने के लिए बुलाया, और लड़ाई के दौरान मैंने मार डाला उन्हें।” इसके तुरंत बाद, नॉर्दर्न एलायंस ने पंजशीर के विभिन्न हिस्सों में अपनी जीत के सबूत के रूप में, जमीन पर खून से लथपथ मृत आतंकवादियों की कुछ परेशान करने वाली तस्वीरें भी साझा कीं।
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एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान ने अपने सैकड़ों लड़ाकों को घाटी में भेजा, जो वर्तमान में युद्ध से तबाह देश में प्रतिरोध का केंद्र है। लड़ाकों की संख्या बढ़ाने के अलावा, तालिबान ने उनके प्रतिरोध को कमजोर करने और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करने के लिए प्रांत की बिजली काट दी है और इंटरनेट कनेक्शन को भी बंद कर दिया है। हालांकि, अफगानिस्तान के ‘कार्यवाहक’ राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह, जिन्होंने अहमद मसूद के साथ हाथ मिलाया है, उन्होंने पंजशीर प्रांत की रक्षा करने की कसम खाई है और आत्मसमर्पण के विकल्प को खारिज कर दिया है।
अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के बाहर निकलने पर तालिबान हवा में गोलियां चलाकर जश्न मना रहा है, जबकि एक अकेला तालिबान विरोधी प्रांत पंजशीर क्षेत्र के पहाड़ों में मजबूती से खड़ा है। तालिबान पर अहमद मसूद ने कहा, “तालिबान उतना मजबूत नहीं हैं जितना लोग मानते हैं। तालिबान का देश पर कब्जा होने का कारण अफगान सरकार और सेना के नेतृत्व की कमजोरी थी। कौन जानता था कि तालिबान से कैसे लड़ना है और किसके पास दुश्मन से लड़ने की इच्छाशक्ति और प्रेरणा थी।”
नॉदर्न एलायंस के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने पंजशीर पर तालिबान के हमले को पीछे धकेल दिया है और तालिबान को भारी नुकसान हुआ है। वहीं तालिबान ने पंजशीर पर हमला करने से इनकार करते हुए कहा कि उसकी सेना पर मसूद समर्थकों ने हमला किया और उन्होंने केवल हमले का जवाब दिया।
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दोनों पक्षों के बीच जारी लड़ाई में तालिबान नेता आमिर खान मुत्ताकी ने बुधवार को कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत अब तक विफल रही है। हालांकि, उन्होंने कहा कि तालिबान अभी भी इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहता है।